कभी डॉक्टरों ने कर दिया 'मृत' घोषित, आज ब्लेड रनर ने लगाई आसमान से छलांग
नासिक। कारगिल की जंग के हीरो और 'इंडियन ब्लेड रनर' के नाम से मशहूर मेजर डीपी सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। मेजर डीपी सिंह को आपने कई मैराथन में दौड़ते हुए देखा है। वह अपने कृत्रिम पैर के बाद भी मेजर सिंह कई युवाओं के आदर्श हैं। गुरुवार को मेजर डीपी सिंह ने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है जिसके बाद आप उनके जोश को सलाम किए बिना और उनके प्रेरित हुए बिना नहीं रह पाएंगे। मेजर सिंह ने महाराष्ट्र के नासिक में पहली स्काईडाइव पूरी की और इसके साथ ही एक नया कीर्तिमान दर्ज कराया।
ऐसा करने वाले पहले वेटरन
मेजर सिंह नासिक में 'स्प्रीट ऑफ एडवेंचर' को एंडोर्स करने के लिए मौजूद थे। इसी दौरान उन्होंने पहली स्काई डाइव सफलतापूर्वक पूरी की। मेजर सिंह को इसके लिए सेना की ओर से ही ट्रेनिंग दी गई थी। आज उन्होंने नासिक में अपनी पहली स्काईडाइव सफलतापूर्वक पूरी की। मेजर सिंह अपने इस रोमांचक रिकॉर्ड से सेना के उन तमाम जवानों और ऑफिसर्स को प्रेरित करना चाहते थे जो युद्ध या फिर शांति काल के दौरान घायल हो गए और अब दिव्यांग हैं।
कृत्रिम पैर के सहारे दौड़ते हैं मैराथन
मेजर सिंह ने कृत्रिम पैर के सहारे मैराथन में हिस्सा लिया था और उन्हें हराना काफी मुश्किल होता है। इस वजह से ही उन्हें भारत में 'ब्लेड रनर' का टाइटल दिया गया है। 46 वर्ष के मेजर सिंह ने कारगिल की जंग में एक अहम रोल निभाया था। मेजर सिंह जिनका पूरा नाम देवेंदर पाल सिंह है, कारगिल युद्ध में एक ब्लास्ट की चपेट में आ गए थे। विस्फोट की वजह से उनका पैर चला गया था। गंभीर रूप से घायल मेजर सिंह को मिलिट्री अस्पताल लाया गया। यह भी दिलचस्प बात है कि मेजर सिंह को डॉक्टरों ने डेड डिक्लेयर कर दिया था।
कारगिल वॉर में हुए थे घायल
जिस समय मेजर सिंह को अस्पताल लाया गया, उनका काफी खून बह चुका था। डॉक्टरों ने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। एक पल को तो उनकी हृदय गति तक रुक गई थी। इस वजह से डॉक्टरों को उन्हें मृत घोषित करना पड़ गया। लेकिन तभी उस मिलिट्री अस्पताल में मौजूद एक सीनियर डॉक्टर ने उनका चेकअप किया और उन्होंने उनकी जान बचाने की कोशिशें कीं। मेजर सिंह की जिंदगी वापस आ गई और यहां से एक नए मेजर सिंह यानी ब्लेड रनर का जन्म हुआ।
साल में दो बार मनाते हैं बर्थडे
मेजर डीपी सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह अगर आज जिंदा हैं जो इसका श्रेय उस सीनियर डॉक्टर को ही है। डॉक्टर और उनकी कोशिशों के कारण मेजर डीपी सिंह साल भर अस्पताल में रहने के बाद अपने घर वापस लौटे। हर वर्ष 15 जुलाई को मेजर सिंह अपना एक और बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं। कारगिल युद्ध के बाद मेजर डीपी सिंह अपना पैर गंवा चुके थे, ऐसे में उन्हें सेना से रिटायर होना पड़ा। मेजर सिंह ने तय किया कि वह कृत्रिम पैर की मदद से दोबारा चलना शुरू करेंगे। इसमें सेना ने उन्हें पूरा सहयोग किया। उनके लिए विदेश से कृत्रिम पैर मंगवाया।
अब तक 18 बार मैराथन रनर
मेजर डीपी सिंह ने 2009 में धीरे-धीरे उस नकली पैर सहारे चलना शुरू किया। देखते ही देखते कुछ ही समय में उन्होंने इसी पैर के सहारे दौड़ लगानी शुरू कर दी। मेजर डीपी सिंह अब तक 18 बार मैराथन दौड़ चुके हैं। जिस कृत्रिम पैर के सहारे वह दौड़ते हैं उसे ब्लेड प्रोस्थेसिस कहते हैं। इसी पैर के सहारे दौड़ने वाले खिलाड़ी को ब्लेड रनर कहा जाता है। सेना ने उनके लिए 4.5 लाख रुपए की कीमत अदा करके उनके लिए विदेश से यह पैर मंगवाया था। वह अब तक दो बार लिम्बा बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं।