नागरिकता एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा
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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन एक्ट, 2019 के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। अपनी याचिका में मोइत्रा ने कानून की वैधता पर सवाल उठाया है। मोइत्रा ने शुक्रवार को अपनी अर्जी के साथ अदालत से उस पर तुरंत सुनवाई की भी दरख्वास्त की। हालांकि चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने त्वरित सुनवाई से इंकार कर दिया। टीएमसी इस बिल का सदन के भीतर और बाहर भी विरोध कर रही है। अब मोइत्रा ने कानून को अदालत में चुनौती दी है।
नागरिकता कानून के खिलाफ अदालत जाने वाली महुआ मोइत्रा अकेली नहीं हैं। बिल के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल हो चुकी है। यह याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दाखिल किया है। याचिका में कानून को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये कानून धर्म के आधार पर वर्गीकरण करता है और इससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है। इसके अलावा भी कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने एक्ट को अदालत में चुनौती देने की बात कही है।
नागरिकता संशोधन एक्ट, 2019 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। बिल सोमवार को लोकसभा से और बुधवार को राज्यसभा में पास हुआ। बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है। कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दल और कई संगठन भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं।
नागरिकता संशोधन कानून का देश के कई हिस्सों, खासतौर से पूर्वोत्तर में भारी विरोध हो रहा है। असम के कई जिलों में बीते कुछ दिनों में लोगों ने इस बिल के विरोध में प्रदर्शन किए हैं। भारी तोड़फोड़ और आगजनी के बाद कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा को रोक दिया गया है। गुवाहाटी में कर्फ्यू लगाया गया है। पुलिस फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। कई लोग घायल भी हुए हैं।
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