महाराष्ट्र: कौन हैं बाला साहब ठाकरे को 'काका' कहकर बुलाने वालीं सुप्रिया सुले
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मुंबई। मंगलवार को महाराष्ट्र की राजनीतिक ड्रामा खत्म हुआ और अगले ही दिन एनसीपी की सुप्रिया सुले की भाई अजित पवार को गले लगाने वाली तस्वीरें आने लगीं। शनिवार को जब अजित ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया था तो सुप्रिया का व्हाट्स एप स्टेटस काफी चर्चा में था। एनसीपी मुखिया शरद पवार की लाडली सुप्रिया ने करीब 10 बजकर 45 मिनट पर व्हाट्स एप स्टेटस लगाया, 'परिवार और पार्टी टूट गए हैं'।' इस ड्रामे के खत्म होने में पर्दे के पीछे सुप्रिया का बड़ा रोल रहा। आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं सुप्रिया सुले और कैसे पिछले कुछ वर्षों में उनका कद महाराष्ट्र और देश की राजनीति में बढ़ता गया है।
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बाला साहब के भांजे से हुई शादी
20 जून 1969 को पुणे में शरद और प्रतिभा पवार के घर सुप्रिया का जन्म हुआ। मुंबई के जयहिंद कॉलेज से माइक्रो बायलॉजी में बीएससी की डिग्री लेने वाली सुप्रिया की शादी चार मार्च 1991 को सदानंद सुले से हुई जो शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे के भांजे हैं। शादी के बाद सुप्रिया, कैलिफोर्निया गईं और यहां पर उन्होंने यूएस बार्कले से जल प्रदूषण पर रिसर्च किया। इसी दौरान वह सिंगापुर और इंडोनेशिया भी गईं और फिर मुंबई वापस आ गईं। बताया जाता है कि उस समय दोनों की शादी की बातचीत भी बाला साहब ठाकरे ने ही की थी। सुप्रिया, बाला साहब को काका कहकर बुलाती थीं।
कैसे हुई पति से मुलाकात
सुप्रिया और पति सदानंद की लवस्टोरी और इनकी शादी की कहानी भी कम इंट्रेस्टिंग नहीं है। इनकी मुलाकात पुणे में हुई थी और उस समय सुप्रिया एक अखबार में जर्नलिस्ट के तौर पर काम कर रही थीं। यहीं पर उनकी मुलाकात, सदानंद से हुई और दोनों एक फैमिली फ्रेंड के घर पर मिले थे। पति सदानंद उस समय अमेरिका में नौकरी करते थे। फ्रेंड के घर हुई मुलाकात प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी पर सोचना शुरू कर दिया। सुप्रिया और सदानंद दो बच्चों विजय और रेवती के माता-पिता हैं।
आम मतदाता की नब्ज पकड़ने में माहिर
सुप्रिया को महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली राजनेता के तौर पर जाना जाता है। 17वीं लोकसभा में वह अपने परिवार के गढ़ बारामती का नेतृत्व करती हैं। साल 2011 में उन्होंने महाराष्ट्र राज्य कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ कैंपेन लॉन्च किया था। साल 2006 में सुप्रिया, राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं। सुप्रिया के बारे में कहा जाता है कि उन्हें एक आम नागरिक से खुद को कनेक्ट करना भली-भांति आता है। वह हमेशा उन लोगों के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं जो शहर में रहते हैं और अक्सर काम की वजह से तनाव का सामना करने को मजबूर हैं।
सुप्रिया की वजह से अजित के करीब वर्कर्स
इस वर्ष जनवरी में सुप्रिया ने संसद में प्राइवेट मेंबर बिल जिसे राइट टू डिसकनेक्ट नाम दिया गया, उसे पेश किया गया था। इसके अलावा सुप्रिया, देश का मिजाज समझने में भी कभी पीछे नहीं रहती हैं। जुलाई में जब लोकसभा चुनावों के बाद संसद का सत्र शुरू हुआ तो सुप्रिया ने एक और बिल पेश किया। इस बिल में उन सैनिकों के परिवार के लिए करीब दो करोड़ का भत्ता और जॉब कोटे की मांग की गई थी जो युद्ध क्षेत्र में शहीद हो गए हैं। सुप्रिया पार्टी वर्कर्स के काफी करीब हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो सुप्रिया की वजह से ही वर्कर्स अजित पवार को दादा के तौर पर संबोधित करते हैं।