सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी के पहने गए बलिदान बैज ही नहीं पैरा कमांडोज के इन बैजस के बारे में भी जानिए
नई दिल्ली। टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक वाले महेंद्र सिंह धोनी ने पिछले दिनों वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के दौरान जो ग्लव्स पहने उस पर इंडियन आर्मी के पैरा-कमांडोज का बैज बलिदान का निशान छपा हुआ था। धोनी के ग्लव्स की वजह से कई लोगों को भी बलिदान बैज की जानकारी हुई। लेकिन सेना की पैराशूट रेजीमेंट के पास सिर्फ बलिदान बैज ही नहीं बल्कि कई और बैज हैं जिन्हें काफी मेहनत से हासिल किया जाता है। पैराशूट रेजीमेंट को पैरा कमांडोज या पैरा (स्पेशल फोर्सेज) भी कहते हैं। स्पेशल फोर्सेज पर बंधक संकट को सुलझाने से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक करने की जिम्मेदारी है। कई मिशन को सफलतापूर्वक करने के बाद पैरा-कमांडोज को कई बैज से सम्मानित किया गया। आइए आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही खास बैजेस के बारे में।
बलिदान बैज
पैरा (स्पेशल फोर्स) 1940 के दशक से ही अस्तित्व में है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान तत्कालीन ब्रिटिश शासकों ने इसकी स्थापना की थी। भारतीय सशस्त्र बल से जुड़ी इस यूनिट ने देश के महत्वपूर्ण सैन्य ऑपरेशंस में हिस्सा लिया। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध हो या 1984 का ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार या फिर 1999 का कारगिल युद्ध, सभी सैन्य अभियानों में इसने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सेना में अलग-अलग रेजीमेंट्स, पदों के हिसाब से विभिन्न तरह के प्रतीक चिह्न होते हैं। धोनी के दस्तानों पर जो लोगो दिखा है, वह पैरा (स्पेशल फोर्स) का है, जिसमें दो पंखों के बीच एक कटार होती है और नीचे 'बलिदान' लिखा होता है। इस बल से जुड़े जवानों के कंधों पर स्पेशल फोर्स लिखा होता है और वे अपनी वर्दी में सीधी जेब के ऊपर नेम प्लेट के साथ वह बैज भी लगाते हैं।
सेना प्रशस्ति बैज
प्रशस्ति कार्ड्स मिलिट्री की तीनों शाखाओं की ओर से जारी किए जाते हैं। ये कार्ड्स ऑपरेशन या फिर गैर-ऑपरेशन में प्रदर्शित असाधारण सेवा भाव के बाद दिए जाते हैं। ये बैज सेना प्रमुख, नेवी प्रमुख और एयर फोर्स चीफ की ओर से दिए जाते हैं।
डाइविंग बैज
डाइविंग बैज किसी भी कमांडो को कॉम्बेट डाइविंग या गोताखोरी के बाद दिया जाता है।
सिर पर पहने जाने वाली कैप
अक्सर पैरा कमांडोज सिर पर मैरून रंग की टोपी पहनते हैं और सिख सैनिकों को मैरून पगड़ी पहननी होती हैं। इनके टोपी या फिर पगड़ी पर भी एक बैज होता है। इसके अलावा एक तांबे का बैज होता है तो बायीं तरफ की जेब पर पहना जाता है। इस बैज में नीचे की तरफ पैराशूट पर सितारे होते हैं। 25 जंप के बाद एक सितारा मिलता है और दो जंप के बाद 50 सितारे होते हैं।
रेजीमेंटल बैज
यह बैज खासतौर पर पैराशूट रेजीमेंट के लिए ही डिजाइन किया जाता है। इस बैज में एक ओपेन पैराशूट होता है जो आधे घेरे में नजर आता है। इसके टॉप पर पैराशूट शब्द होता है और रेजीमेंट सबसे नीचे लिखा होता है। यह बैज पूरा चांदी का बना होता है। इसके बाद आता है कंधे पर पहने जाना वाला बैज जिस पर मैरून रंग के कपड़े पर स्पेशल फोर्सेज लिखा होता है।
कॉम्बेट फ्री फालिंग बैज
इस बैज को हासिल करने के लिए किसी भी जवान को कम से कम 50 बार कूदना पड़ता है और वह 33,500 फीट की हाईट से कूदने पर ही वह इस बैच के लिए योग्य माना जाता है। इस दौरान जवान को निचले स्तर पर पैराशूट खोलने की तकनीक यानी हाई ऑल्टीट्यूट लो ओपनिंग जिसे हालो और ऊंचाई पर पैराशूट खोलने की तकनीक जिसे हाई ऑल्टीट्यूट हाई ओपनिंग या हाहो कहते हैं, उसे पास करना होता है।
पैरा-विंग्स
इस बैज को दायीं तरफ की जेब के ठीक ऊपर लगाया जाता है और इसके साथ जवान या ऑफिसर का नाम भी होता है। यह हल्के नीले रंग में होता है।
टाइगर हिल बैज
पैरा-कमांडोज को सन् 1999 में कारगिल की जंग के दौरान टाइगर हिल बैज से भी सम्मानित किया गया था।