महात्मा गांधी कट्टर हिंदू थे और उन्हें खुद को ऐसा दिखाने में कभी शर्म नहीं आई: मोहन भागवत
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि 'महात्मा गांधी एक कट्टर हिंदू थे और उन्हें कभी खुद को ऐसे दिखाने में लज्जा नहीं आई। उन्होंने अनेक बार अपनेआप को 'कट्टर सनातनी हिंदू' बताया था।' भागवत ने महात्मा गांधी के जीवन दर्शन पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा, 'गांधी जी ने इस बात को समझा था कि भारत का भाग्य बदलने के लिए पहले भारत को समझना पड़ेगा, जिसके लिए उन्होंने यात्रा की। '
भागवत ने आगे कहा, 'वो (गांधी) कहते थे कि वो कट्टर सनातनी हिंदू हैं। वो ये भी मानते थे कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।' आरएसएस प्रमुख ने कहा कि '20 साल पहले मैं कहता था कि गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था, उसका गठन होना अभी बाकी है, लेकिन देशभर में घूमने के बाद मैं कह सकता हूं कि आज गांधी के सपनों का साकार होना प्रारंभ हो गया है और जिस नई पीढ़ी की आप चिंता कर रहे हैं वह नई पीढ़ी ही उन सपनों को पूरा करेगी।'
उन्होंने
आगे
कहा
कि
अगर
कभी
आंदोलन
भटक
गया,
तो
गांधी
जी
ने
कभी
उसका
प्रायश्चित
नहीं
किया।
भागवत
ने
आज
के
परिवेश
में
आंदोलनों
के
भटकने
पर
सवाल
उठाते
हुए
कहा,
'अगर
आंदोलन
में
कोई
गड़बड़
हो
जाए,
कुछ
कानून
व्यवस्था
का
भय
हो
गया
हो
तो
इसका
प्रायश्चित
लेने
वाला
कोई
है?
प्रायश्चित
तो
कभी
कुछ
लाठीचार्ज
होता
है,
गोलीबारी
होती
है
या
जो
पकड़े
जाते
हैं
उनको
भुगतना
पड़ता
है।
जो
कराने
वाले
हैं
वो
या
तो
जीतते
हैं
या
हारते
हैं।'
उन्होंने महात्मा गांधी के भारत दर्शन के तहत भारत को जानने और समझने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि, 'भारत को संवारना है या भारत का भाग्य बदलना है तो गांधी जी का स्मरण करने के बजाय गांधी जी का अनुसरण करना होगा।' भागवत ने कहा कि 'गांधी जी को समझने का सही समय आ गया है, अगर हम गांधी जी को सही में समझ पाते तो आजादी के बाद जो भी समयाएं बनी हुई हैं, उनका हल हो गया होता। आज का भारत गांधी जी की कल्पना का भारत नहीं है।'
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