अरुंधति रॉय ने फिर उगला जहर, महात्मा गांधी पर लगाया जातिवादी होने का आरोप
तिरुवनंतपुरम। देश की जानी-मानी लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरूंधति रॉय ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में एक बार फिर विवादास्पद बयान देकर बवाल मचा दिया है। अरुंधति रॉय ने महात्मा गांधी पर जातिवादी होने का गंभीर आरोप लगाया है। महात्मा गांधी की आलोचना करते हुए अरुंधति रॉय ने कहा है कि अब यह वो वक्त है जब गांधी के नाम पर बने विश्वविद्यालयों का नाम बदल देना चाहिए। अरुंधति रॉय ने कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत विश्वविद्यालयों के नाम बदलने से की जाए। केरल यूनिवर्सिटी में महात्मा अय्यंकाली स्मृति व्याख्यानमाला में अरुंधती का इशारा शायद राज्य के अग्रणी संस्थान महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी को लेकर था।
अरुंधति ने यहां एक दलित नेता के स्मरण में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केरल यूनिवर्सिटी में यह बात कही। उन्होंने 1936 में प्रकाशित महात्मा गांधी की लिखी किताब 'द आईडियल भंगी' का जिक्र करते हुए कहा कि गांधी ने इसमें लिखा है, 'सफाई करने वाले अपने हाथों से मैला उठाएं और उसे एक गड्डे में जमा करें, ताकि वो जमीन उपजाउ बना सके।' उन्होंने कहा कि इससे गांधी जी के हरिजनों के प्रति व्यवहार और जातिप्रथा को दर्शाता है। इधर इस बयान के बाद रॉय की घोर निंदा की जा रही है।
कौन हैं अरुंधति रॉय
अरुंधति रॉय अंग्रेजी की सुप्रसिद्ध लेखिका और समाजसेवी हैं। रॉय ने लेखन के अलावा नर्मदा बचाओ आंदोलन समेत भारत के दूसरे जनांदोलनों में भी हिस्सा लिया है। कश्मीर को लेकर उनके विवादास्पद बयानों के कारण वे पिछले कुछ समय से चर्चा में हैं। अरुंधति रॉय का जन्म शिलांग में 24 नवंबर 1961 को हुआ। उन्होंने अपने जीवन के शुरुवाती दिन केरल में गुज़ारे। उन्होंने आर्किटेक्ट की पढ़ाई दिल्ली से की। रॉय न केवल लेखिका के रूप में अपनी पहचान बनायी, बल्कि करियर की शुरुवात उन्होंने अभिनय से की। मैसी साहब फिल्म में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। 1997 में उपन्यास गॉड ऑफ स्माल थिंग्स के लिये रॉय को बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अरुंधति रॉय न्यायपालिका की अवमानना के आरोप में जेल की हवा भी खा चुकी हैं।