महाराष्ट्र: जानिए क्या होता है प्रोटेम स्पीकर जिसकी देखरेख में होगा फडणवीस सरकार का फ्लोर टेस्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के सियासी ड्रामे पर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना को राहत देने वाले फैसले के तहत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार को 27 नवंबर को फ्लोर टेस्ट का सामना करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि एक प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में यह शक्ति परीक्षण होगा और इसके बाद ही सरकार पर कोई फैसला हो सकेगा। फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति होनी बाकी है। जानिए क्या होता है है प्रोटेम स्पीकर और कैसे होता है इनका चुनाव।
कैसे होता है चयन
आमतौर पर आम चुनावों के संपन्न होने और नई सरकार के गठन तक लोकसभा या फिर विधानसभा की लेजिस्लेटिव सेलेक्शन में शामिल सदस्यों की तरफ से एक लिस्ट तैयार की जाती है। इस लिस्ट को संसदीय मामलों से जुड़े मंत्री के पास भेजा जाता है। इन मंत्री पर जिम्मेदारी होती है कि वह प्रोटेम स्पीकर का चयन करें। इस चयन को राष्ट्रपति की तरफ से मंजूरी मिलनी जरूरी होती है।
नए सदस्यों को दिलाएंगे शपथ
राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद प्रोटेम स्पीकर नए सदस्यों को शपथ दिलाते हैं। नए सांसदों या फिर विधायकों को को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए सरकार की तरफ से दो-तीन और लोगों के नामों की सिफारिश की जाती है। करीब दो दिनों तक सदस्यों को शपथ दिलाने का काम चलता है और इसके बाद सदस्य अपने लोकसभा या विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होता है।
प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी
जब तक स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं हो जाता है जब तक चुने हुए सदस्य प्रोटेम स्पीकर के तहत ही काम करते हैं। स्पीकर की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर को उसकी जिम्मेदारी पूरी करनी होती है और दोनों की अनुपस्थिति में स्पीकर की ओर से चुनी गई छह लोगों की समिति वरिष्ठता के अनुसार स्पीकर के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करती है।
क्या होती है योग्यता
प्रोटेम स्पीकर भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए और साथ ही वह केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी ऑफिस का जिम्मा न संभाल रहा हो। प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर से प्रेरित है जिसका अर्थ होता है- 'कुछ समय के लिए'। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक लोकसभा या विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती।