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महाराष्ट्र: 22 की रात राज्यपाल को सौंपी चिट्ठी में अजित पवार ने क्या लिखा था, अब हुआ खुलासा

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नई दिल्ली- अभी तक एनसीपी के चीफ शरद पवार को भी शायद नहीं पता था कि उनके भतीजे ने पार्टी की ओर से बीजेपी को समर्थन की जो चिट्ठी 22 नवंबर की देर रात गवर्नर को सौंपी थी, उसमें लिखा क्या हुआ था। लेकिन, जब सोमवार को उनकी चिट्ठी का अनुवाद अदालत में पेश किया गया तो इस राज पर से भी पर्दा उठ गया। मराठी में की लिखी गई चिट्ठी में अजित पवार ने लिखा था कि वह प्रदेश में ज्यादा दिन तक राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते, इसलिए एनसीपी की सभी 54 विधायकों का बीजेपी को समर्थन देना चाहते हैं। हालांकि, अब एनसीपी की ओर से दावा किया जा रहा है सिर्फ अजित पवार को छोड़कर उनके लगभग सारे विधायक शरद पवार के खेमे में लौट आए हैं।

अजित पवार की इसी चिट्ठी ने पलट दी थी बाजी

अजित पवार की इसी चिट्ठी ने पलट दी थी बाजी

एनसीपी के बागी नेता अजित पवार ने 22 नवंबर की रात बीजेपी को समर्थन देने वाली पार्टी की जो चिट्ठी गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को सौंपी थी वह मराठी में लिखी हुई थी। सोमवार को वकील तुषार मेहता ने उस चिट्ठी का अनुवाद करके उसे सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच के सामने पेश किया। गवर्नर को दिए पवार के पत्र ये लिखा गया है कि 'मैं नहीं चाहता कि महाराष्ट्र में ज्यादा दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा रहे। इसलिए भाजपा को सत्ता स्थापित करने के लिए समर्थन देता हूं। मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गुट का नेता हूं। मेरे साथ पार्टी के 54 एमएलए हैं।' गौरतलब है कि इस समर्थन पत्र के साथ अजित पवार ने भगत सिंह कोश्यारी को पार्टी के सभी 54 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र भी दिया था। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर गवर्नर ने देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था।

अजित पवार ही हैं पार्टी के नेता-वकील

अजित पवार ही हैं पार्टी के नेता-वकील

बता दें कि शनिवार को जब चाचा शरद पवार की मौजूदगी में एनसीपी विधायक दल की बैठक हुई तो उसमें अधिकतर विधायकों की मौजूदगी में भतीजे अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से बेदखल कर दिया गया। उनकी जगह जयंत पाटिल को एनसीपी विधायक दल का नया नेता बनाया गया। अब इसी आधार पर एनसीपी की ओर से दावा किया जा रहा है कि अजित पवार विधायक दल के नेता नहीं रहे, इसलिए उनकी ओर से सौंपी गई समर्थन की चिट्ठी का कोई मतलब नहीं है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अजित पवार के वकील मनिंदर सिंह ने उनकी ओर से कहा है कि 'मैं एनसीपी हूं। जो पत्र मैंने दिया है वह तथ्यात्मक रूप से सही है। उस पत्र में कुछ भी विरोधाभास नहीं है। जिस दिन मैंने पत्र सौंपा मैं विधायक दल के नेता के तौर पर पार्टी के 54 विधायकों की ओर से सरकार बनाने को लेकर पार्टी की ओर से फैसला लेने के लिए अधिकृत किया गया था।'

जब सारे विधायक लौट आए तो शरद खेमा परेशान क्यों ?

जब सारे विधायक लौट आए तो शरद खेमा परेशान क्यों ?

उधर शरद पवार खेमे की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि उनके 54 में से 52-53 विधायकों की घर वापसी हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि फिर भतीजे अजित पवार को मनाने के लिए चाचा का खेमा इतना बेहाल क्यों है? सोमवार को भी छगन भुजबल, जयंत पाटिल से लेकर दिलीप वालसे तक ने उन्हें मनाने की कोशिशें की है। यही नहीं, जब अजित पवार का चाचा की पार्टी में कोई वजूद नहीं रह गया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई से परहेज क्यों किया जा रहा है? दरअसल, इसके पीछे तीन वजहें हो सकती हैं। एक तो चाचा चाहते हों कि देर-सबेर भतीजा लौट जाएगा तो परिवार भी बच जाएगी,पार्टी भी नहीं टूटेगी और विधायकों की पूरी संख्या भी बनी रहेगी। दूसरा, उन्हें इस बात का भी डर है कि जिस प्रकार से संगठन पर भतीजे का दबदबा रहा है और उन्होंने 30 से ज्यादा विधायकों को टिकट दिलवाने से लेकर चुनाव जितवाने तक में सहायता की है, बहुमत परीक्षण के दौरान कहीं वे अजित के पक्ष में गुलाटी न मार जाएं? तीसरा कारण ये हो सकता है कि अगर उन्होंने खुद इस्तीफा दिया तो उनकी सदस्यता चली जाएगी और या अगर उन्होंने व्हीप तोड़ा तो भी सदस्यता जाने का खतरा है।

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English summary
Maharashtra,What Ajit Pawar had written in the letter submitted to the Governor on the night of 22, revealed
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