Maharashtra: देवेंद्र फडणवीस के तीर से चारों खाने चित्त उद्धव ठाकरे, ना पद रहा ना पार्टी! जानिए क्यों?
Maharashtra:देवेंद्र फडणवीस के तीर से चारों खाने चित्त उद्धव ठाकरे, ना पद रहा ना पार्टी! जानिए क्यों?
मुंबई, 30 जून: महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आ चुका है। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया है। उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद जहां चर्चा थी कि देवेंद्र फणनवीस मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेगे लेकिन फणनवीस ने अचानक शिंदे को सीएम बनाने का ऐलान करके उद्धव ठाकरे को चारों खाने चित्त कर दिया है। भाजपा और फडणवीस के इस एक वार से उद्धव ठाकरे की सत्ता तो हाथ से गई ही साथ ही पिता बाला साहेब ठाकरे से विरासत में मिली हिंदुत्ववादी शिवसेना पार्टी से भी हाथ धोना पड़ रहा है! आइए जानते हैं कैसे?
ना पद रहा ना पार्टी!
मालूम हो महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे नए नेता बनकर उभरे हैं और भाजपा और शिवसेना की सरकार महाराष्ट्र में बनने जा रही है। जिसमें शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे। उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे को शिवसेना के लगभग 40 विधायकों का समर्थन है। अगर सीएम शिवसेना का है तो मतलब ये है कि शिवसैनिकों का समर्थन उन्हें प्राप्त है तो इससे साफ है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एकनाथ को ही नेता चुन लिया है। ऐसे में उद्धव सरकार को सत्ता से बेदखल करने वाले शिंदे ही अब शिवसेना प्रमुख माने जाएंगे।
शिवसेना पर से ठाकरे का प्रभुत्व खत्म
हालांकि इस्तीफा देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना उनकी थी और उनकी ही रहेगी, लेकिन अब जब कि शिवसेना में दो फाड़ हो चुकी है और चुनाव में जीतकर आए शिवसैनिकों यानी शिवसेना का विधायकों का समर्थन एकनाथ शिंदे को मिला है तो शिवसेना के प्रमुख भी शिंदे ही बन गए ऐसे में शिवसेना की पहचान जो मतोश्री (ठाकरे परिवार का घर) से होती थी वो अब नहीं होगी। भाजपा नेता देवेंन्द्र फडणवीस ने शिंदे को सीएम पद पर बैठवा कर ठाकरे को अब कहीं का नहीं छोड़ा है।
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सीएम पद से प्यार ले डूबा
दरअसल, उद्धव ठाकरे का जो हाल हुआ उसके पीछे प्रमुख कारण उनका मुख्यमंत्री पद से मोह बना। 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र का सीएम बनने की जिद में अपनी सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी भारतीय जनता पार्टी से सारे संबंध तोड़ दिए। सीएम बनने की चाहत में उन्होंने अपनी हिंदुत्ववादी विचारधारा वाली शिवसेना की पार्टी लाइन से हटकर विरोधी विचारधारा वाली एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन कर लिया। ये मुख्यमंत्री पद से प्यार ही उन्हें आज इस मोड़ पर लाकर रख दिया जहां ना ही उनके पास पद रहा और ना ही शिवसेना।
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2019 में महाराष्ट्र के वोटरों की इच्छा अब होगी पूरी
गौरतलब है कि 2019 में विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने जिन दो पार्टियों की सरकार बनाने के लिए बहुमत दिया था वो अब 2022 में होने जा रहा है। नवंबर 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद शिवसेना ने भाजपा के साथ दो दशक पुराने संबंधों को तोड़ दिया और राकांपा और कांग्रेस के साथ मिल गए। भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने 288 के साथ बहुमत हासिल किया था। सदस्य सदन लेकिन शिवसेना ने गठबंधन से बाहर कर दिया और भाजपा को दूर रखने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई।