महाराष्ट्र में अब उद्धव ठाकरे सरकार के सामने आया ये बड़ा संकट !
This party is creating a big problem for the Uddhav government in Maharashtra at every step! महाराष्ट्र में अघाड़ी सरकार को चलाने में सीएम उद्वव ठाकरे को चलाने में हर कदम पर नयी मुसीबत खड़ी हो रही हैं। जानिए कौन सी राजनीतिक पार्टी अब अडंगा अटका रही है?
बेंगलुरु। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की विकास अघाड़ी सरकार को चलाने में नित नए संकट का सामना करना पड़ रहा हैं। यह संकट कोई विरोधी पार्टी नहीं बल्कि गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी खड़े कर रही है। कांग्रेस पार्टी उद्धव सरकार के संचालन में कदम-कदम पर रोड़े अटका रही है। ऐसे में महज एक माह पुरानी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन की तीन पहियों की सरकार में खींचतान शुरु हो गयी है।
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बता दें महाराष्ट्र मंत्रीमंडल विस्तार आगामी 30 तारीख को होने की संभावना जतायी जा रही है। उद्धव सरकार में 28 कैबिनेट मंत्री और 8 राज्य मंत्री शामिल होंगे। लेकिन मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर एक बार फिर पद और मंत्रालयों को लेकर रस्साकसी शुरू हो गयी हैं। महाराष्ट्र में अगले सप्ताह होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार से पहले, कांग्रेस की राज्य इकाई पार्टी के खाते में आए मंत्री पदों से संतुष्ट नहीं है।
विभागों के बंटवारे से नाराज हुई कांग्रेस
कांग्रेस सू्त्रों के अनुसार कांग्रेस उपमुख्यमंत्री पद चाहती है। माना जा रहा है कि अघाड़ी सरकार में शामिल एनसीपी गृहमंत्रालय की मांग कर रही थी। यही कारण है कांग्रेस भी अब उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस कुछ बड़े मंत्रालय चाहती है। जिनमें गृह निर्माण, इंड्रस्ट्री, ग्रामीण विकास और कृषि जैसे मंत्रालयों पर कांग्रेस की नजर है। इनमें से कम से कम दो मंत्रालय कांग्रेस अपने खाते में चाहती है। वह किसी भी मामले में एनसीपी से पीछे नहीं रहना चाहती हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस की राज्य इकाई ने मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर अपनी नाराजगी से कांग्रेस आलाकमान को अवगत करा दिया है।
कांग्रेस कर रही ये डिमांड
गौरतलब है कि वर्तमान में 6 मंत्रियों को जो मंत्रीपद दिया गया है उनमें शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी को दो-दो मंत्री हैं। फिलहाल कांग्रेस के पास अन्य मंत्रीपदों के अतिरिक्त राजस्व और लोक निर्माण विभाग हैं। महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के नेताओं के अनुसार उद्वव सरकार में कांग्रेस को जो विभाग मिले हैं उनमें अधिकांश विभागों का महाराष्ट्र की जनता से कोई सीधा संबंध नहीं हैं। कांग्रेस की मांग है कि जो उसे पशुपालन और कपड़ा मंत्रालय दिए गए हैं उनको कृषि और उद्योग मंत्रालय में मिला दिया जाए। इस संबंध में कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन खडगे शीर्ष ही उद्वव सरकार से चर्चा करेंगे। कांग्रेस नेताओं की मांग उद्वव सरकार के लिए बड़ा संकट बन चुकी हैं।
कांग्रेस को सता रहा ये डर
वहीं कांग्रेस का मानना है कि अगर अभी कांग्रेस के साथ हो रहे दोगले व्यवहार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भविष्य में पार्टी के लिए समस्याएं बढ़ सकती है। कांग्रेस पार्टी की नजर कृषि, सहकारिता, उद्योग, आवास और ग्रामीण विकास मंत्रालयों पर है और इनमें से कम से कम दो उसे मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि गृह, वित्त, शहरी विकास में राज्यमंत्री के पद के लिए भी कांग्रेस को दृढ़ होना होगा। तभी तीनों दलों के बीच शक्ति संतुलन कायम हो सकेगा।
पहले भी कांग्रेस कर चुकी है ये मांग
पिछले
दिनों
माना
जा
रहा
था
कि
चूंकि
कांग्रेस
ने
विधानसभा
अध्यक्ष
पद
ले
चुकी
है
तो
इ
वह
उपमुख्यमंत्री
पद
पर
जोर
नहीं
देगी।
इसीलिए
माना
जा
रहा
था
कि
शिवसेना,
एनसीपी
और
कांग्रेस
की
गठबंधन
सरकार
में
उपमुख्यमंत्री
का
पद
एनसीपी
के
कोटे
में
ही
रहेगा।
बता
दें
पूर्व
में
भी
कांग्रेस
नेताओं
का
कहना
था
कि
पार्टी
इस
बात
पर
राजी
है
कि
मंत्रिमंडल
में
भले
उसे
एकाध
जगह
कम
मिले
परंतु
उपमुख्यमंत्री
पद
जरूरी
है
क्योंकि
तभी
महाविकास
अघाड़ी
की
सरकार
में
तीनों
दलों
का
गठबंधन
दिखेगा।
उद्धव
के
मुख्यमंत्री
पद
की
शपथ
से
पहले
भी
अघाड़ी
की
बैठक
में
यह
मुद्दा
उठा
था
और
तब
भी
कांग्रेस
ने
कहा
था
कि
उसे
उपमुख्यमंत्री
पद
नहीं
मिला
तो
बेहतर
होगा
कि
शिवसेना-एनसीपी
मिलकर
सरकार
बनाएं।
शुरु
से
ही
एनसीपी
इस
पद
पर
अपना
दावा
पहले
ही
ठोक
चुकी
हैं।
एनसीपी
शुरु
से
ही
दो
उपमुख्यमंत्रियों
पर
भी
एनसीपी
राजी
नहीं
थी।
पूर्व में इस मुद्दे पर भी जता चुकी कांग्रेस विरोध
मालूम हो कि कुछ दिनों पूर्व भी उद्वव सरकार के लिए कांग्रेस नागकिरता संशोधन कानून को लेकर बड़ा संकट खड़ा कर दिया था। इस बिल को लेकर महाराष्ट्र में हाल ही में गठित महाविकास अघाडी सरकार में विरोध शुरु हो गया था। महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बावजूद शिवसेना ने इस बिल का सपोर्ट करने का ऐलान कर दिया था। इतना ही नहीं नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश होने के समय भी शिवसेना के इस बिल के सपोर्ट में खड़े होने पर कांग्रेस ने महाराष्ट्र सरकार गठबंधन से बाहर आने की धमकी तक दे डाली थी। इतना ही नहीं राज्यसभा के पटल पर यह बिल जब पेश किया तो शिवसेना ने महाराष्ट्र में अघाडी सरकार बचाने के लिए इसके पक्ष में वोट करने के बजाय सदन से वॉकआउट कर लिया था। शिवसेना के वॉकआइट के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने इस पर नाराजगी जतायी थी। बता दें अब शिवसेना ने महाराष्ट्र में सीएए को लागू करने से इंकार कर चुकी है।
इस होर्डिंग से भी मचा है महाराष्ट्र में हड़कंप
आपको यह बता दें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे के लिए एक ये ही समस्या नहीं है बल्कि आजकल उनकी सरकार के लिए एक होर्डिंग्स ने हडकंप मचा कर रखा है। जिस कारण एक महीने पुरानी महा विकास अघाड़ी की सरकार में विवाद शुरु होता दिख रहा है। मालूम हो कि प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी वाले फैसले से जुड़े कुछ होर्डिंग्स में सिर्फ शिव सेना के नेताओं को दिखाए जाने के बाद कांग्रेस और एनसीपी नाराज हो गई है। शिवसेना सरकार के दोनों घटक दलों की शिकायत है कि जब कर्ज माफी का फैसला गठबंधन का साधा फैसला है, तब शिवसेना सिर्फ अपने नेताओं और पार्टी का प्रचार क्यों कर रही है। औरंगाबाद जिले में पिछले कुछ दिनों में ऐसी होर्डिंग्स सामने आई हैं, जिसमें कर्ज माफी से जुड़े प्रचार में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके पिता बाल ठाकरे को तो दिखाया गया है, लेकिन दोनों सहयोगी दलों के नेता उसमें से गायब हैं। बड़े नेताओं की तस्वीर होर्डिंग्स से गायब रहने के खिलाफ कांग्रेस-एनसीपी के नेता खुलकर सामने आ रहे हैं।
दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं का कहना है कि तस्वीरों में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तस्वीरें को भी जगह देनी चाहिए थी। हालांकि इस विवाद के गहराने पर सफाई देते हुए शिवसेना के औरंगाबाद जिलाध्यक्ष और एमएलसी अंबादास दानवे ने कहा है कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने भावना में बहकर इस तर के होर्डिंग्स लगा दिए हैं। उन्होंने कहा कि, "आगे से हम इस बात का ख्याल रखेंगे कि ऐसे पोस्टर में गठबंधन के सहयोगियों को भी प्रमुखता से जगह दी जाए।
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