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महाराष्‍ट्र: शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की संभावित सरकार में भी लग सकती हैं सेंध!

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बेंगलुरु। महाराष्‍ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन को लेकर सरकार बनाने की घोषणा हो चुकी हैं। जहां एक ओर प्रदेश में नई सरकार के गठन को लेकर शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर चर्चा चल रही है, इसी बीच इस संभावित सरकार में भी सेंध लगने के अभी से आसार नजर आने लगे हैं। आखिर क्या वजह है जानते हैं?

शिवसेना में हो रहा विरोध

शिवसेना में हो रहा विरोध

पहले बता दें शिवसेना ने भाजपा से 50:50 फार्मूला, मुख्‍यमंत्री पद के बंटवारे के चलते चुनाव परिणाम के कुछ दिनों बाद गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद अपनी विरोधी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर शिवसेना सरकार बनाने की कवायद में जुटी हैं।
इसी बीच शिवसेना में इस गठबंधन को लेकर विरोध शुरु गया हैं। यह विरोध करने वाले कोई और नहीं शिवसेना के जीत कर आए विधायक ही हैं। एनसीपी के साथ सरकार बनाने के कारण शिवसेना के अंदर घमासान का आरंभ शुक्रवार को हो चुका हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि शिवसेना के विधायक कभी भी बागी रुख अख्तियार कर सकते हैं।

शिवसेना को सता रहा है ये डर

शिवसेना को सता रहा है ये डर

इसमें कोई ताज्जुब नहीं होगा कि ऐसे हालात में शिवसेना का महाराष्‍ट्र किंग बनने के मंसूबो पर एक बार पानी फिर न जाएं। पहले बता दें कि शिवसेना और भाजपा का गठबंधन टूटने के पहले से ही शिवसेना अपने विधायाकों में फूंट पड़ने से डरी हुई हैं। जिस कारण उसने गठबंधन टूटने से पहले ही महाराष्‍ट्र में चुनाव जीत कर आए शिवसेना के विधायकों को एक होटल में रखा है।

शिवसेना के विधायकों के बीच हुई गली-गलौच

शिवसेना के विधायकों के बीच हुई गली-गलौच

मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार शुक्रवार को मुंबई के होटल में शिवसेना के विधायकों में इसी बात को लेकर गाली-गलौच और हाथापाई तक की नौबत आ गई। विधायकों ने मुख्‍यमंत्री पद को लेकर ठाकरे परिवार के इस फैसले पर भी सवाल उठाए। विधायकों ने पूछा है कि एक पद जिससे सिर्फ ठाकरे परिवार को फायदा होगा, उसके लिए क्यों पूरी पार्टी को ऐसे रखा जा रहा है।

विधायकों ने पूछे ये सवाल

विधायकों ने पूछे ये सवाल

शिवसेना विधायकों के बीच यह लड़ाई की खबर पाते ही शिवसेना के मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार और वर्ली से विजयी विधायक आदित्‍य ठाकरे को होटल में पहुंच कर बीच बचाव करना पड़ा। एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी उद्धव ठाकरे की मुलाकात को लेकर भी शिवसेना विधायक खुश नहीं हैं। खबरों के मुताबिक एक विधायक ने ठाकरे से यह पूछा है कि मतदाताओं को कैसे बताएंगे कि क्यों उन्‍होंने पार्टियों का दामन थाम लिया, जिनके खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था।

सीएम कुर्सी के लिए शिवसेना ने सबकुछ दांव पर लगाया

सीएम कुर्सी के लिए शिवसेना ने सबकुछ दांव पर लगाया

चुनाव परिणाम आने के बाद से ही शिवसेना मुख्‍यमंत्री की सीट पाने की जिद के चलते लगातार अड़ी हुई हैं। शिव सैनिक ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनेगा, ये राग अलापने वाली शिव सेना ने भारतीय जनता पार्टी से अपना तीन दशक पुराना रिश्ता ख़त्म कर दिया। एनसीपी के कहने पर केन्द्र सरकार में शामिल शिवसेना मंत्री ने भी इस्तीफ़ा दे दिया।

विधायकों के खिलाफत के स्‍वर दे रहे ये संकेत

विधायकों के खिलाफत के स्‍वर दे रहे ये संकेत

इतना ही नही कट्टर हिंदुत्‍व एजेंडे को लेकर चलने वाली शिव सेना अपनी विरोधी विचारधारा वाली पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के सामने नतमस्‍त को गई। कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करने पर उसे कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी की छवि भी छोड़नी पड़ेगी।

शिव सेना अगर हिंदुत्व का मुद्दा छोड़ती है तो उसकी वैचारिक पहचान खत्म हो जाएगी। जिसका अंदेशा इन विधायकों को भी है। उद्धव ठाकरे के इस फैसले के विरोध में होटल में विधायकों के उठे ये स्‍वर कुछ ऐसे ही संकेत कर रहे हैं कि सच्‍चे शिवसैनिक कभी भी बगावत कर सकते हैं। जिसका फायदा भाजपा को हो सकता हैं।

 गठबंधन के खिलाफ कोर्ट में दाखिल हो चुकी है याचिका

गठबंधन के खिलाफ कोर्ट में दाखिल हो चुकी है याचिका

गौर करने वाली बात हैं कि एक ओर प्रदेश में नई सरकार के गठन को लेकर शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर मसौदा तैयार हो रहा है। वहीं इस गठबंधन के खिलाफ एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इस याचिका में चुनाव बाद हो रहे इस गठबंधन को सत्ता हासिल करने के लिये मतदाताओं से की गई धोखेबाजी घोषित करने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता प्रमोद पंडित जोशी ने ये याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना के रुख में जो बदलाव आया है वो और कुछ और नहीं, बल्कि मतदाताओं के एनडीए गठबंधन पर जताए गए भरोसे के साथ विश्वासघात है। याचिका मे केंद्र सरकार और राज्य को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वे चुनाव बाद बन रहे शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की तरफ से नियुक्त किए जाने वाले मुख्यमंत्री की नियुक्ति से बचें। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है।

सीएम की कुर्सी के लिए एनसीपी-कांग्रेस ने रखी ये मांग

सीएम की कुर्सी के लिए एनसीपी-कांग्रेस ने रखी ये मांग

महाराष्ट्र में जिस तरह से शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के बीच खींचतान चल रही है उसे देखकर अभी संदेह है कि इन तीनों पार्टियों की गठबंधन की सरकार बन भी पाएगी ? तीनों पार्टियों में यह तय हो गया है कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। इस बीच खबर ये आ रही है कि कांग्रेस-एनसीपी ने शिवसेना से साफ कह दिया है कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में वो उद्धव ठाकरे को ही मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। कांग्रेस-एनसीपी को सीएम के तौर पर उद्धव के अलावा और कोई क्यों मंजूर नहीं है।

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महाराष्‍ट्र में भाजपा सरकार बनने की अभी भी जिंदा हैं उम्मीद! महाराष्‍ट्र में भाजपा सरकार बनने की अभी भी जिंदा हैं उम्मीद!

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English summary
It is reported that some Shiv Sena MLAs are upset with Shiv Sena's alliance with Congress-NCP. In such a situation, the MLA of Shiv Sena can be a rebel. Know what are the reasons?
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