जख्मी होने के बाद भी 4 माओवादियों से निहत्था भिड़ा जवान, मैदान छोड़कर भागे हमलावर
गढ़चिरौली। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में तैनात एक जवान पर चार माओवादी हमलावरों ने अचानक ही हमला कर दिया। इस हमले में घायल होने के बाद भी ये जवान निहत्थे ही हमलावरों से भिड़ गया। उन्होंने माओवादियों से ऐसी टक्कर ली कि अंत में हमला करने वाले माओवादियों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ गया। जांबाज जवान का नाम गोमजी मात्तामी है, जो सी-60 कमांडो पुलिस में तैनात हैं। टीओआई के मुताबिक 2006 से जिला पुलिस में शामिल गोमजी मात्तामी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी उम्र से ज्यादा एनकाउंटरों का हिस्सा लिया है। रविवार को भी उनका सामना चार माओवादियों से हुआ, जहां घायल होने के बाद भी ये जवान उनसे भिड़ गया और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
गोमजी मात्तामी पर माओवादियों ने किया हमला
गोमजी मात्तामी पर हमला उस समय हुआ जब वो रविवार को अपनी पुलिस पोस्ट की ओर लौट रहे थे। उनके साथ बाकी साथी भी थे लेकिन किसी से मुलाकात के लिए वो बाजार में रुके हुए थे जब सादे कपड़ों में चार माओवादियों की एक ऐक्शन टीम ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। हालांकि माओवादियों का गोमजी ने पूरी ताकत से सामना किया और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। पूरा मामला गढ़चिरौली के इटापल्ली तालुका के जांबिया गट्टा का है।
एके-47 राइफल छीनने की थी कोशिश
टीओआई के मुताबिक माओवादियों की कोशिश गोमजी मात्तामी की एके-47 राइफल छीनने की थी। हालांकि गोमजी ने इसका विरोध किया, उन्होंने अपनी राइफल को पूरी मजबूती से पकड़ कर रखा। हमलावरों ने उन पर लगातार हमले किए, उनके सीने में घाव भी हो गया, बावजूद इसके गोमजी ने माओवादियों के सामने हार नहीं मानी। इस बीच हमलावर माओवादियों में से एक ने गोमजी पर पिस्टल से गोली मारने की भी कोशिश की, हालांकि उसकी पिस्टल अचानक अटक गई, जिसकी वजह से गोमजी मात्तामी की जान बच गई। इस हमले के दौरान मात्तामी ने हमलावरों को अपनी पकड़ से जाने नहीं दिया, घायल अवस्था में भी उन्होंने उन हमलावरों का पीछा किया। आखिरकार चारों माओवादी जो गोमजी मात्तामी हथियार लूटने के लिए आए थे उन्हें खुद अपना हथियार भी छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पिस्टल अटकने से बची जवान की जान
फिलहाल गोमजी मात्तामी औरेंज सिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (ओसीएचआरआई) अस्पताल में भर्ती हैं। टीओआई से बातचीत में गोमजी ने बताया कि जिस समय मुझ पर हमला हुआ जब तक मैं कुछ समझ पाता, हमलावरों ने मुझे जमीन पर गिरा दिया और मुझे घेर लिया। उनमें से एक ने अपनी पिस्टल से गोली मारनी चाही लेकिन वो पिस्टल अचानक ही अटक गई। जिसकी वजह से मेरी जान बच गई। हालांकि उन्होंने मुझसे जमकर मारपीट की। जिसमें मैं घायल हो गया।
घायल जवान अस्पताल में भर्ती
गोमजी मात्तामी ने जिस तरह से माओवादियों के हमले को विफल किया और अपनी एके-47 राइफल बचाने में कामयाब रहे। पुलिस विभाग भी गोमजी मात्तामी की जमकर तारीफ कर रहा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने जिस तरह से माओवादियों से मुकाबला किया उसके लिए अगले साल उन्हें वीरता पुरस्कार भी मिल सकता है। गोमजी मात्तामी ने माओवादी हमलावरों से न केवल अपनी एके-47 राइफल बचाने में कामयाब रहे बल्कि उन्हें भी अपने हथियार छोड़कर भागने पर मजबूर करने में सफल रहे।