'बागी' हुए अजित पवार को वापस लाने के लिए शरद पवार ने चला ये आखिरी दांव
एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने 'बागी' हुए अजित पवार को पार्टी में वापस लाने के लिए अब अपना आखिरी दांव चला है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शनिवार को सुबह-सुबह हुए सियासी उलटफेर के बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी सकते में हैं। एनसीपी नेता अजित पवार की तरफ से भाजपा को समर्थन देने के बाद महाराष्ट्र में भाजपा-एनसीपी की सरकार का गठन हो तो गया है, लेकिन बहुमत को लेकर अब पेंच फंस गया है। एनसीपी नेताओं की तरफ से दावा किया जा रहा है कि भाजपा के पास जाने का फैसला अजित पवार का निजी फैसला है औऱ पार्टी के 53 विधायक उनके साथ हैं। वहीं, एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने 'बागी' हुए अजित पवार को पार्टी में वापस लाने के लिए अब अपना आखिरी दांव चला है।
सुप्रिया सुले ने अजित के भाई श्रीनिवास पवार से की बात
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, एनसीपी प्रमुख शरद पवार के परिवार के कई लोगों ने अजित पवार पर दबाव बनाते हुए उनसे कहा है कि वो महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा दें और पार्टी में वापस लौटें। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में हुए सियासी उलटफेर के बाद शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार से बात की है। इसके अलावा शरद पवार के पोते और एनसीपी विधायक रोहित पवार ने भी अजित पवार से वापस पार्टी में लौटने की अपील की है।
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बहुमत साबित नहीं कर पाएगी भाजपा- एनसीपी
इनके अलावा एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने भी अजित को समझाने के लिए उनसे मुलाकात की। जयंत पाटिल ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि अजित पवार अपनी पार्टी में जरूर वापस लौंटेंगे। वहीं, एनसीपी ने यह भी दावा किया कि उनके पास अपने 53 विधायकों का समर्थन हासिल है और अगर सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में तत्काल फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे, तो भारतीय जनता पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भी दावा किया कि एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन के पास 165 विधायकों का समर्थन है। संजय राउत ने कहा कि भाजपा के पास महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए जरूरी संख्याबल नहीं है।
समर्थन उद्धव को, पत्र देवेंद्र फडणवीस को
आपको बता दें कि बीते शनिवार को देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी नेता अजीत पवार ने प्रदेश के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली। दरअसल खबर है कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को समर्थन देने के लिए जिस कागज पर एनसीपी विधायकों के दस्तखत कराए गए थे, वो ही कागज अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस को दे दिया। सूत्रों की मानें तो एनसीपी की बैठक में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के लिए जिस पेपर पर पार्टी के विधायकों से दस्तखत कराए गए थे, उस पेपर पर मुख्यमंत्री का नाम नहीं था। इसकी वजह ये थी कि शिवसेना की तरफ से उस समय तक सीएम पद के लिए कोई नाम ही तय नहीं हुआ था। दरअसल शुक्रवार देर रात तक उद्धव ठाकरे सीएम पद के लिए अपने नाम को लेकर पूरी तरह तैयार नहीं थे। इसी बात का फायदा अजीत पवार ने उठाया और विधायकों के समर्थन वाला पेपर देवेंद्र फडणवीस के समर्थन में राज्यपाल को सौंप दिया।
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