अजित पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाले का केस ACB ने वापस लिया
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नई दिल्ली। एनसीपी नेता अजित पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाले से जुड़े मामलों को महाराष्ट्र सरकार ने वापस ले लिया है। महाराष्ट्र की एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजित पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाले के आरोपों को वापस ले लिया है। एसीबी की ओर से 27 नवंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट में एफिडेविट जमा किया गया है जिसमे कहा गया है कि वीआईडीसी के चेयरमैन अजित पवार एग्जेक्युटिव एजेंसी के कृत्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराए जा सकते हैं क्योंकि इस मामले में उनकी कानूनी रूप से कोई जिम्मेदारी नहीं है। बता दें कि उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनक शपथ ग्रहण से एक दिन पहले ही यह एफिडेविट कोर्ट में जमा कर दी गई थी।
पहले भी केस हटने की खबर आई थी
बता दें कि इससे पहले जब अजित पवार ने अपनी पार्टी से बगावत की और देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार का गठन किया तो भी खबरें सामने आई थी कि महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ सिंचाई घोटाले के मामले को वापस ले लिया था। लेकिन उस वक्त एसीबी ने इन खबरों को अफवाह बताया था। एसीबी की ओर से कहा गया था कि सिंचाई घोटाले से जुड़े 3 हजार टेंडरों की भी जांच चल रही है। उस वक्त कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला था।
पहले किया था इनकार
एसीबी की के डीजी परमबीर सिंह ने उस वक्त कहा था कि हम सिंचाई घोटाले से जुड़े 3 हजार टेंडरों को लेकर हुई शिकायतों की जांच कर रहे हैं, जिन 9 जांचों को बंद किया गया है वह रोजमर्रा की जांच है। लेकिन जिन मामलों में पहले से जांच चल रही है वह आगे भी पहले की तरह जारी रहेगी। लेकिन अब जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार अजित पवार के खिलाफ मामले को एसीबी ने वापस ले लिया है।
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कांग्रेस ने बताया था प्रजातंत्र का चीरहण
गौरतलब है किक अजित पवार से इस मामले में एसीबी ने पूछताछ की थी। यह मामला 2012 में सामने आया था। वर्ष 1999-2000 में महाराष्ट्र में एनसीपी व कांग्रेस के शासन काल में 35 हजार करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था, जिसमे अजित पवार का भी नाम सामने आया था। पिछली बार जब देवेंद्र फड़णवीस 3 दिन के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और अजित पवार के खिलाफ केस वापस लिए जाने का मामला सामने आया था तो कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे प्रजातंत्र का चीरहरण बताया था और कहा था कि बेशर्मी और ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से भ्रष्टाचार के मुक़दमे वापस लेने से साफ़ है की BJP अब सही मायनों में ‘भ्रष्टाचार जगाओ पार्टी' बन गई है।किसानों की सुध लेने की बजाय भाजपा सरकार भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है।