लोकसभा चुनावों में राज की हालत 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' जैसी
जानिए कौन-कौन से फिल्मी सितारे पहुंचे लोकसभा
हमेशा जहर उगलने वाली राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की तोड़फोड़ वाली राजनीति को महाराष्ट्र की जनता ने 16वें लोकसभा चुनाव में सिरे से ठुकरा दिया। महाराष्ट्र में मनसे को जो भी मत मिले उससे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस गठबंधन के ही वोट काटने वाले साबित हुए।
जब मीडिया ने इस हश्र का कारण जानना चाहा तो मुंबई के स्थानीय नागरिको ने कहा कि "यह तो होना ही था, क्योंकि मनसे क्षेत्रीयतावाद और प्रांतीयतावाद की संकीर्ण राजनीति कर रही थी, जो पूरी तरह विफल रही। मनसे की सबसे बड़ी हार तो यह है कि खुद को बाल ठाकरे की विरासत बताने वाले उसके दावे को जनता ने झुठला दिया, और उद्धव ठाकरे को सही मायने में वह विरासत सौंप दी।
महाराष्ट्र में भाजपा की गठबंधन सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "अगर आप महाराष्ट्र में राजनीति करना चाहते हैं, तो आपको उद्धव ठाकरे से मिलकर चलना होगा।"
मनसे के सामने महाराष्ट्र में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव तक कम से कम अपने कार्यकर्ताओं को बांधे रखना होगा, क्योंकि उनमें से अधिकांश शिव सैनिक ही हैं, जो असंतुष्ट होकर मनसे में आए।
मुंबई में कांग्रेस के एक नेता ने कहा, "राज के लिए तो वही स्थिति हो गई है कि 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' । उनकी पार्टी को भविष्य में महाराष्ट्र की राजनीति में किंगमेकर के रूप में देखा जाने लगा था, उसकी राजनीतिक जमीन अब सिकुड़ कर रह गई है।"
मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से बचते हुए मनसे के उपाध्यक्ष वागीश सारस्वत ने अपनी पार्टी के भाजपा के साथ किसी तरह के समझौते की बात से इनकार कर दिया। "हमने सभी उम्मीदवार जीतने के इरादे से खड़े किए थे..हम जनता के जनादेश को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं। हम हमेशा से राजनीति में अकेले थे और आगे भी अपने दम पर ही राजनीति करेंगे।"