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शिवसेना बैक सीट पर बैठने को राजी हुई, फ्रंट सीट पर बीजेपी की बादशाहत बरकरार

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बेंगलुरू। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी और शिवसेना गठबंधन साथ-साथ चुनाव लड़ेंगे। दोनों दलों के बीच में सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति लगभग बन गई लगती है। सूत्रों की मानें तो 288 विधानसभा सीटों में से 144 सीटों के लिए बीजेपी से झगड़ रही शिवसेना फिलहाल बैक सीट बैठने को तैयार हो गई है और महाराष्ट्र विधानसभा 2019 में 126 सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी हो गई है।

Shivsena

दरअसल, इससे पहले बीजेपी ने शिवसेना को 125 सीटों का ऑफर दिया था, जिसे शिवसेना ने 135 सीटों तक खींचने के लिए बीजेपी को अल्टीमेटम भी दे दिया था, लेकिन अब लगता है कि शिवसेना 126 सीटों पर मान गई है। माना जा रहा है कि दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर हुए सहमति की औपचारिक घोषणा 1-2 में कर दी जाएगी।

इससे पहले हालांकि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि अगर पार्टी को 288 विधानसभा सीटों में से 50 फीसदी यानी 144 सीटें नहीं दी गईं तो चुनाव से पूर्व भाजपा के साथ उसका गठबंधन टूट सकता है। राउत का यह बयान शिवसेना नेता और राज्य सरकार में मंत्री दिवाकर राउत के उक्त बयान समर्थन में आया था।

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दिवाकर राउत ने कहा था कि शिवसेना महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 144 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है, अगर भाजपा ने शिवसेना को बराबर सीटें नहीं दीं तो गठबंधन नहीं होगा। संजय राउत के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने 50-50 प्रतिशत सीटों के बंटवारे के फॉर्मूला पर फैसला हुआ था, लेकिन लगता है शिवसेना को बात समझ में आ चुकी हैं कि अभी उसके लिए बैक सीट पर बैठना ही सही है।

गौरतलब है वर्ष 2014 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा में भी शिवसेना बैक सीट पर बैठने को तैयार नहीं थी और 50-50 फार्मूले के तहत महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे के लिए बीजेपी दे दिया था और अंततः दोनों दलों ने गठबंधन छोड़कर अकेले चुनाव में उतरे थे। चुनाव परिणाम के बाद हालांकि शिवसेना को अपनी गलती का एहसास हो गया था और उसने बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बना ली।

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पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 260 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 162 सीटों पर उसने जीत दर्ज की थी जबकि शिवसेना को उसकी आशानुरूप परिणाम नहीं मिला था। शिवसेना ने भी कुल 282 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन उसे सिर्फ 63 सीटों पर ही जीत हासिल हुई।

ऐसा लगता है देर से सही, लेकिन शिवसेना का महाराष्ट्र में अपनी क्षमता का आभास हो गया है। क्योंकि पिछले विधानसभा में शिवसेना की मटियामेट का एहसास पार्टी आलाकमान हो चुका है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को भान हो चुका है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का बीजेपी का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फायदा मिलने वाला है इसलिए पिछले विधानसभा चुनाव की गलती को दोहराना नहीं चाहती है।

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वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव में शिवसेना की जीत का औसत महज 22 फीसदी था, जो बीजेपी का जीत के औसत की तुलना में लगभग एक तिहाई था। बीजेपी ने लगभग 260 सीटों में 162 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जो लगभग 63 फीसदी बैठता है।

एक बार फिर शिवसेना को बैक सीट पर बिठाने में कामयाब हुई बीजेपी के पीछे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम लिया जा सकता है, क्योंकि देवेंद्र फडणवीस ने न केवल महाराष्ट्र में सफलता पूर्वक गठबंधन सरकार में कामयाबी पाई है, बल्कि अपने नेतृत्व में विपक्षियों का हमलों का सामना करते हुए पार्टी के कोर वोटरों को छिटकने नहीं दिया है।

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देवेंद्र फडणवीस ही गठबंधन सरकार के अगले मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगे इसमें कोई दो राय नहीं है, क्योंकि देवेंद्र फडणनीव के नेतृत्व में ही बीजेपी गठबंधन सरकार ने वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के 48 लोकसभा सीटों में से 41 सीट जीतने में कामयाब हुई। बीजेपी और शिवसेना को क्रमशः 23 और 18 सीटों पर जीत दिलाकर जनता ने भी जता दिया कि बीजेपी के साथ शिवसेना का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रह सकता है।

महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार देवेंद्र फडणवीस ही होंगे। इसकी अभी तक घोषणा भले ही नहीं की गई हो, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी कैंपेन करने पहुंचे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां के वोटरों से निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कामकाजों के आधार पर वोट मांग रहे हैं।

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हालांकि जब दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर रार चल रही थी तब अमित शाह ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों की अनदेखी करते हुए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दोनों देवेंद्र फडणवीस के कामकाज के आधार पर चुनावी कैंपेन करवा रहे है।

यह भी पढ़ें-कांग्रेस के बाद क्या शिवसेना से जुड़ने जा रही हैं उर्मिला मातोंडकर, खुद दिया ये जवाब

2014 में अकेले चुनाव लड़कर शिवसेना का हुआ था नुकसान

2014 में अकेले चुनाव लड़कर शिवसेना का हुआ था नुकसान

वर्ष 2014 में गठबंधन टूटने के बाद प्रदेश की 288 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी ने 260 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 122 सीट जीती थी। जबकि गठबंधन तोड़ शिवसेना ने 282 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था और उन्हें महज 63 सीटों पर ही जीत का स्वाद चखने का मौका मिला था। हालांकि चुनाव परिणामों के बाद अपने मतभेद भुलाकर दोनों पार्टियों के बीच वापस गठबंधन हो गया था। शायद यही कारण है कि शिवसेना ने जल्द ही अपना अड़ियल रवैया छोड़ते हुए बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने को तैयार हो गई है।

अनुच्छेद 370 हटाने का बीजेपी गठबंधन का मिलेगा फायदा

अनुच्छेद 370 हटाने का बीजेपी गठबंधन का मिलेगा फायदा

2014 विधानसभा चुनाव के पुराने अनुभव का याद करते हुए ही शिवसेना ने तेजी से पाला बदलने में समझदारी दिखाई है। क्योंकि पिछले विधानसभा में शिवसेना ने अंत तक अपना अड़ियल रवैया बरकरार रखा था और बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ा था। 2014 विधानसभा में बीजेपी को मोदी लहर का खूब फायदा हुआ और शिवसेना का काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीजेपी ने जहां 260 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़कर 162 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। वहीं, शिवसेना 282 सीटों पर चुनाव लड़कर महज 63 सीट ही जीत पाई थी।

नारायण राणे की बीजेपी में संभावित एंट्री खिलाफ है शिवसेना

नारायण राणे की बीजेपी में संभावित एंट्री खिलाफ है शिवसेना

महाराष्ट्र में सिर्फ सीटों के बंटवारे को लेकर ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे की भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) में संभावित एंट्री पर भी शिवसेना नाराज है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और गृह राज्य मंत्री दीपक वसंत केसरकर ने कहा है कि बीजेपी नारायण राणे को पार्टी में लेने की जोखिम न उठाए. 2005 मे शिवसेना छोड़ने वाले राणे ने 2017 में कांग्रेस को भी अलविदा कहकर 'महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष' नामक पार्टी बना चुके हैं। नजदीकियां बढ़ने पर बीजेपी उन्हें 2018 में राज्यसभा भेज चुकी है। हालांकि शिवसेना के विरोध के कारण अब तक बीजेपी में उनकी एंट्री नहीं हो सकी है। जबकि नारायण राणे काफी समय से अपनी पार्टी के बीजेपी में विलय की कोशिशों में जुटे हैं।

देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ के नेतृत्व के खिलाफ नहीं चला उपक्रम

देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ के नेतृत्व के खिलाफ नहीं चला उपक्रम

शिवसेना का मौजूदा सीएम देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ कोई चलाया जा रहा कैंपन भी काम नहीं कर पाया, क्योंकि तमाम विरोधों के बीच देवेंद्र फडणवीस ने न केवल प्रदेश की सरकार और गठबंधन को एक साथ लेक चलने में कामयाब रहे बल्कि उन्होंने वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से कुल 41 सीटों पर ऐतिहासिक सफलता दिलाने में भी प्रुमख भूमिका निभाई। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व का ही जादू था कि बीजेपी और शिवसेना क्रमशः 23 और 18 लोकसभा सीट जीतने में कामयाब हुई। यही कारण है कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी सीएम कैंडीडेट के तौर पर देवेंद्र फडणवीस को प्रोजेक्ट कर रही है और उनके कामकाज के नाम पर जनता से वोट मांग रही है।

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English summary
BJP and Shiv sena alliance in Maharashtra assembly election 2019 will remained lock. As report says shiv sena agreed to fight election with bjp and they are agreed on 126 assembly seat as well. while before were claiming 50-50 seat with BJP
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