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पुरानी रंगत में लौट आई है शिवसेना, BJP ने दिया महाराष्ट्र में सरकार बनाने का ऑफर!

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बेंगलुरू। असम को देश से अलग करने' की बात कहने वाले जेएनयू छात्र शरजील इमाम के हाथ काटकर हाइवे पर रखने के उत्तेजक बयान देकर शिवसेना ने अपने रंगत में लौटने के संकेत देते ही एक बार फिर महाराष्ट्र में राजनीति गरमाने लगी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने हालिया तेवर से पहले ही संकेत दे दिए थे, जिसमें पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की तारीफ अह्म कड़ी है, क्योंकि देवेंद्र फडणवीस के चलते ही उद्धव ठाकरे बीजेपी छोड़कर क्रांतिकारी कदम उठाया था।

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राजधानी दिल्ली में सीएए विरोध में धरने के दौरान वायरल हुए शरजील इमाम के वीडियो ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को अपने पत्ते खोलने का सुनहरा मौका दे दिया और अपने उत्तजेक भाषणों और बयानों के लिए मशहूर शिवसेना ने मुखपत्र सामना में एक लेख के जरिए आरोपी शरजील इमाम के हाथ काटने वाले उत्तेजक बयान देकर कांग्रेस और एनसीपी दोनों को चौंका दिया।

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यही वजह है कि शिवसेना को उसकी पुरानी रंगत में लौटता देखकर बीजेपी ने मौका पर चौका लगाते हुए शिवेसना को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए फिर ऑफर दे दिया है।

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महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुंगतीवार ने शुक्रवार को दिए बयान में कहा है कि बीजेपी एक बार फिर महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए तैयार है अगर उसकी प्राकृतिक सहयोगी शिवसेना किसी भी तरह का प्रस्ताव लेकर उनके पास आती है, जिससे महाराष्ट्र में एक बार सियासी पारा बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं।

फड़णवीस सरकार में वित्त मंत्री रहे सुधीर मंगतीवार ने कहा कि अगर शिवसेना भाजपा के साथ अलग होने की अपनी गलती को महसूस करती है तो बीजेपी एक बार फिर से उनके साथ समझौता करने के लिए तैयार हैं।

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मुंगतीवार ने आगे कहा कि अगर कल शिवसेना हमारे पास आती है और कहती है कि अलग होना शिवसेना की गलती थी और सरकार बनाने का प्रस्ताव देती है तो बीजेपी उस प्रस्ताव को स्वीकारने में कोई दिक्कत नहीं है। मुंगतीवार ने यह बयान नांदेड़ में एक कार्यक्रम के दौरान दिया है।

हालांकि कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर भी मुंगतीवार ने शिवसेना पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस का शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन देना भी 21वीं सदी का चमत्कार है। इस फैसले के साथ ही मुंबई का मजबूत मातोश्री कमजोर हो गया है, लेकिन दिल्ली का मातोश्री मजबूत हो गया है।

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गौरतलब है पिछले वर्ष शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनाई है, लेकिन तीन परस्पर विरोधी दलों की सरकार में शिवसेना सबसे अधिक असहज महसूस कर रही है। महा विकास अघाड़ी मोर्च की सरकार की अगुवाई भले ही शिवसेना चीफ और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कर रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार की बागडोर बैकडोर से एनसीपी चीफ शरद पवार के हाथ में होने से उद्धव ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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इतना ही नहीं, गठबंधन सरकार में उद्धव की हालत रबड़ स्टैंप जैसी बनी हुई है, जिससे मातोश्री की ही नहीं, खुद उद्धव ठाकरे की छवि रसातल में चली गई है, क्योंकि सत्ता के केंद्र अब शिवसेना चीफ आवास मातोश्री और मुख्यमंत्री आवास वर्षा से निकलकर सिल्वर ओक बन गया, जो कि एनसीपी चीफ शरद पवार का आवास है। मुख्यमंत्री भले ही उद्धव ठाकरे हैं, लेकिन फैसले सिल्वर ओक पर होते हैं।

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हालांकि शिवसेना के पुरानी रंगत में लौटने और डेढ़ माह पुरानी महा विकास अघाड़ी मोर्च की सरकार को खतरे में डालने के पीछे की प्रमुख वजह हिंदूवादी राजनीति पर कब्जे की है, क्योंकि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे पूरी तरह से मन बना चुके हैं कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भगवा रंग में रंगने जा रही है।

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इसकी तस्दीक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के झंडे का भगवा रंग करती है, जो पहले तीन रंगों में हुआ करती थी। उद्धव ठाकरे के कांग्रेस और एनसीपी जैसे सेक्युलर पार्टियों के साथ सरकार में शामिल होने के बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में खाली पड़ी हिंदूवादी राजनीति की उर्वर जमीन पर फसल लहलहाने के लिए आगे बढ़े थे।

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वैसे भी राज ठाकरे को शिवसेना संस्थापक बालासाहिब ठाकरे का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता रहा है, लेकिन वर्ष 2004 में बालासाहिब ने जब उद्धव ठाकरे को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था, तो राज ठाकरे को शिवसेना छोड़कर जाना पड़ा और उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण नाम से अलग राजनीतिक पार्टी बना ली थी।

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शुरूआती आंशिक सफलता और उत्तर प्रवासी भारतीयों के खिलाफ छेड़ी गई राज ठाकरे की मुहिम राज ठाकरे से तगड़ा झटका लगा था और मनसे 2009 महाराष्ट्र विधानसभा में मिली आंशिक सफलता को दोहरा नहीं सकी और पिछले दो विधानसभा चुनावों में मनसे को महज 1-1 सीट पर संतोष करना पड़ा था। यही कारण है कि राज ठाकरे शिवसेना की अनुपस्थित में महाराष्ट्र में हिंदूवादी राजनीति की ओर कब्जा करने की कोशिश में है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे चचेरे भाई की हरकतों से अंजान नहीं थे, बल्कि उनकी हरकत पर नज़र गड़ाए हुए थे, यही कारण था कि उन्होंने महा विकास अघाड़ी मोर्च की सरकार के 100 दिन पूरे पर अयोध्या यात्रा की घोषणा करके यह संकेत देने की कोशिश की, शिवसेना हिंदुवादी राजनीति से दूर नहीं होगी।

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उद्धव ठाकरे ने बाकायदा बयान जारी करके चचेरे भाई राज ठाकरे को आगाह किया कि शिवसेना अपनी जमीन पर किसी और को खेती करने की इजाजत नहीं देगी, भले उसकी सरकार से अलग ही क्यों न होना पड़े। यह शिवसेना की कुलबुलाहट कहिए या मौजूदा महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना की लगातार छोटी होती गई हैसियत पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बौखलाहट कहिए, लेकिन शिवसेना किसी भी कीमत पर हिंदुवादी राजनीति पर किसी और को कब्जा देने के मूड में बिल्कुल नहीं दिखती है।

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यही वह कारण था कि शिवसेना को पुराने रंगत में लौटने के लिए मजूबर होना पड़ा और बुधवार को छपे मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए शिवसेना ने देश द्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू छात्र शारजील इमाम पर उत्तेजक टिप्पणी करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

वरना जब से शिवसेना सेक्युलर दलों के साथ गठबंधन में बंधी है, वह हिंदू, हिंदुत्व और हिंदुवादी राजनीति से लगभग किनारा कर चुकी थी। आपको याद हो तो मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद बुलाए एक प्रेस कांफ्रेंस में शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने एक पत्रकार के हिंदुत्व की राजनीति पर पूछे गए सवाल पर टका सा जवाब देकर निकल गए थे।

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कह सकते हैं कि शिवसेना चीफ को आभास हो चुका है कि हिंदूवादी राजनीति से इतर शिवसेना का अस्तित्व नहीं है। यही कारण है कि चचेरे भाई राज ठाकरे के हिंदुत्व की ओर उन्मुख होते ही उद्धव ठाकरे बिलबिला उठे और पुरानी रंगत मे लौटने में देर नहीं लगाई। शरजील इमाम के खिलाफ सामना में लिखे लेख में बेहद ही उत्तेजक ढंग से शब्द पिरोए गए हैं, जो शिवसेना की पुरानी पहचान है।

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संपादकीय में शरजील इमाम को टारगेट करते हुए लिखा गया है, जो शरजील इमाम 'चिकन नेक' पर कब्जा कर भारत को विभाजित करना चाहता है, उसके हाथ काट कर चिकन नेक हाई-वे पर रख देना चाहिए ताकि लोग उसे देखकर सबक ले सके। लेख के जरिए शिवसेना ने गृहमंत्री अमित शाह को हिदायत देते हुए कहा कि शरजील जैसे कीड़ों को तुरंत खत्म कर देना चाहिए।

उल्लेखनीय है देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम अभी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की हिरासत में है और पूछताछ में शरजील ने अपने गुनाह कबूल लिए हैं। शरजील ने वायरल वीडियो में खुद के होने की भी बात कबूल की है। दिल्ली पुलिस सूत्रों ने बताया है कि शरजीह इमाम घोर कट्टरपंथी है। शरजील का मानना है कि भारत को एक इस्लामिक राज्य होना चाहिए।

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सूत्र बताते हैं कि दिल्ली पुलिस क्राइन ब्रांच द्वारी की गई पूछताछ में शरजील इमाम ने यह भी माना है कि उसके अलग-अलग भाषणों के वीडियो के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शरजील को अपनी गिरफ्तारी पर कोई पछतावा नहीं है। फिलहाल उसके सभी वीडियो फोरेंसिक साइंस लैब में भेजे गए हैं और उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जा रही है।

यह भी पढ़ें- Hindutva: आए उद्धव पहाड़ के नीचे, पूर्व CM फड़णवीस की तारीफ कर घर वापसी के दिए संकेत!

हिंदुत्व राजनीति पर राज ठाकरे के बढ़ते कदम से घबरा गए उद्धव

हिंदुत्व राजनीति पर राज ठाकरे के बढ़ते कदम से घबरा गए उद्धव

उद्धव ठाकरे को सबसे अधिक चोट हिंदुत्व राजनीति पर चचेरे भाई राज ठाकरे के कब्जाने की कोशिश से हो रही है। शिवसेना के सेक्युलर राजनीति के झंडाबरदार कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बाद महाराष्ट्र में हिंदूवादी राजनीति शून्यता की ओर बढ़ चली थी, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने भले ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के चलते हिंदुत्व की राजनीति से किनारा किया हो, लेकिन हिंदू, हिंदुत्व और भगवा से उद्धव की राजनीति मजबूरी और दूरी ने राज ठाकरे को हिंदुत्व की राजनीति को कब्जाने का मौका दिया।

मनसे की तीन रंगों वाले पार्टी के झंडे को पूरी तरह से भगवा में बदल दिया

मनसे की तीन रंगों वाले पार्टी के झंडे को पूरी तरह से भगवा में बदल दिया

राज ठाकरे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सेक्युलर दलों के साथ सरकार में शामिल होने और हिंदुत्व की राजनीति से किनारा करने के बाद उभरे शून्यता को भरने के लिए हिंदुत्व की राजनीति में पुनः प्रवेश की योजना तैयार की और उसको अमलीजामा पहनाने के लिए राज ठाकरे ने मनसे की तीन रंगो वाले पार्टी के झंडे को पूरी तरह से भगवा रंग में रंग दिया। मनसे की राजनीति में भगवा रंग के शामिल होते ही उद्धव के कान खड़े हो गए और उन्हें आभास हो गया कि मौजूदा सरकार में माया मिली न राम वाली कहावत उनके साथ चरित्रार्थ होने जा रही है।

बीजेपी-शिवसेना में फूट पर पहली बार उद्धव ठाकरे का छलका दर्द

बीजेपी-शिवसेना में फूट पर पहली बार उद्धव ठाकरे का छलका दर्द

CM उद्धव ने बीजेपी-शिवसेना में फूट का दर्द साझा करते हुए कहा कि उन्होंने फडणवीस से बहुत कुछ सीखा है, वो देवेंद्र फडणवीस को कभी विपक्ष को नेता नहीं कहूंगा, बल्कि एक पार्टी का बड़ा जिम्मेदार नेता कहूंगा। अगर आप हमारे लिए अच्छे होते तो यह सब (बीजेपी-शिवसेना में फूट) कभी नहीं होता। देवेंद्र फडणवीस की ओर इशारा करते हुए उद्धव ने आगे कहा, मैं एक भाग्यशाली मुख्यमंत्री हूं, क्योंकि जिन्होंने मेरा विरोध किया वो अब मेरे साथ बैठे हैं और जो मेरे साथ थे वे अब विपरीत दिशा में बैठे हैं। मैं अपनी किस्मत और जनता के आशीर्वाद से यहां पहुंचा हूं, मैंने कभी किसी को नहीं बताया कि मैं यहां आऊंगा लेकिन मैं आ गया।'

अयोध्या जाने की घोषणा कर उद्धव ने हिंदुत्व राजनीति में वापसी के दिए संकेत

अयोध्या जाने की घोषणा कर उद्धव ने हिंदुत्व राजनीति में वापसी के दिए संकेत

महाविकास अघाड़ी मोर्च की सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अयोध्या जाने की घोषणा की थी। अयोध्या यात्रा के जरिए उद्धव ठाकरे चचेरे भाई राज ठाकरे और पुरानी सहयोगी बीजेपी को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि शिवसेना हिंदुत्व को नहीं छोड़ने जा रही है, लेकिन उद्धव ठाकरे की यह कोशिश बेमानी तक साबित होती रहेगी जब तक कांग्रेस और एनसीपी दलों के साथ सरकार में शामिल रहेंगे, क्योंकि उद्धव ठाकरे अयोध्या यात्रा राम के अस्तित्व से जुड़ा हुआ, लेकिन कांग्रेस तो भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर चुकी है।

किसी भी कीमत पर हिंदुत्व की राजनीति से हाथ नहीं धोना चाहते हैं उद्धव

किसी भी कीमत पर हिंदुत्व की राजनीति से हाथ नहीं धोना चाहते हैं उद्धव

महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी मोर्च सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे को कहावत 'माया मिली न राम' के साथ 'कर्म से गए तो गए धर्म से नहीं जाएंगे' श्लोक भी याद आ गए। निः संदेह कांग्रेस और एनसीपी जैसी परस्पर विरोधी विचारधारा वाली सरकार में उद्धव ठाकरे का दम घुट रहा है। महाराष्ट्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण से लेकर मंत्रालय बंटवारे को लेकर हुई खींचतान में शिवसेना को सबसे अधिक नुकसान हुआ है और अब जब पार्टी की मूल एजेंडा हिंदुत्व, जिसको ऊपर रखकर वर्ष 1966 में शिवसेना की स्थापना की गई थी, उस पर चोट पहुंची तो उद्धव ठाकरे बिलबिला उठे।

उद्धव ठाकरे ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की जमकर तारीफ

उद्धव ठाकरे ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की जमकर तारीफ

गत 26 जनवरी को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की जमकर तारीफ की। सदन में बोलते हुए उद्धव ने कहा, मैंने देवेंद्र फडणवीस से बहुत चीजें सीखी हैं और मैं हमेशा उनका दोस्त रहूंगा। उद्धव यही नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा, मैं अभी भी हिंदुत्व की विचारधारा के साथ हूं और इसे कभी नहीं छोडूंगा। मालूम हो, शिवसेना ने एनडीए छोड़ने के लिए देवेंद्र फडणवीस को जिम्मेदार ठहराया था और देवेंद्र के अलावा किसी और नेता के साथ गठबंधन में शामिल होने की तैयार थी।

सरकार में महत्वपूर्ण गृह विभाग और वित्त विभाग से हाथ धोना पड़ा

सरकार में महत्वपूर्ण गृह विभाग और वित्त विभाग से हाथ धोना पड़ा

महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के गठन के करीब दो महीनों बाद शपथ ले चुके और मंत्रिमंडल विस्तार के बाद लेने वाले मंत्रियों के बीच विभागों को बंटवारा संपन्न हो सका था। विभागों के बंटवारे में पेंच गृह मंत्रालय और राजस्व मंत्रालय को लेकर फंसा हुआ था। उद्धव ठाकरे अपने साथ गृह मंत्रालय को रखना चाहते थे, लेकिन पिछली दो सरकारों में गृह मंत्रालय एनसीपी के पास था, तो उसने उस पर दावा ठोंक दिया और अंततः उद्धव को समझौता करना पड़ा और शिवसेना के हाथ से महत्वपूर्ण गृह विभाग और राजस्व विभाग दोनों चला गया। अभी कांग्रेस शिवसेना से कृषि विभाग भी छीनने की जद्दोजहद में है, जो सीधे-सीधे किसानों और किसान राजनीति से जुड़ा हुआ है।

सरकार में एनसीपी चीफ शरद पवार के अंकुश से बेचैन हैं उद्धव

सरकार में एनसीपी चीफ शरद पवार के अंकुश से बेचैन हैं उद्धव

महाराष्ट्र गठबंधन सरकार में भले ही उद्धव ठाकरे मुखिया हैं, लेकिन गठबंधन सरकार पर एनसीपी चीफ शरद पवार पर स्वैच्छिक अंकुश उन्हें बेचैन कर रहा है। स्वैच्छिक अंकुश इसलिए क्योंकि सरकार चलाने का पूर्व अनुभव होने के चलते उद्धव को शरद पवार के इशारों पर सरकार चलाना पड़ रहा है। उद्धव चाहे-अनचाहे इसलिए शरद पवार को अपना गुरू बनाना पड़ा है, जिससे कई जगहों पर हुए नफा-नुकसान का पता उद्धव को बाद में पता चला है। महाराष्ट्र में विभाग बंटवारे के दौरान उद्धव ठाकरे की स्थिति को अच्छी तरह से समझा जा सकता है।

सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव नहीं लाकर उद्धव ने दिए संकेत

सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव नहीं लाकर उद्धव ने दिए संकेत

पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार और केरल की पिन्राई विजयन सरकार, राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार और पश्चिम बंगाल क ममता बनर्जी सरकार समेत कुल चार राज्य सरकारें अभी विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आ चुकी है, लेकिन उद्धव एक रणनीति के तहत ऐसा करना नहीं चाहते हैं। इसकी पुष्टि डिप्टी सीएम अजीत पवार भी एक बयान में कर चुके हैं। हालांकि केंद्रीय सूची से संबद्ध सीएए के खिलाफ राज्यों को प्रस्ताव लाने का अधिकार ही नहीं है वरना संविधान का उल्लंघन माना जाएगा और ऐसी सरकार बर्खास्त भी की जा सकती हैं।

शरजील इमाम के हाथ काटकर हाइवे पर लटकाने वाले उत्तेजक बयान देकर चौंकाया

शरजील इमाम के हाथ काटकर हाइवे पर लटकाने वाले उत्तेजक बयान देकर चौंकाया

शरजील इमाम के खिलाफ सामना में लिखे लेख में बेहद ही उत्तेजक ढंग से शब्द पिरोए गए हैं, जो शिवसेना की पुरानी पहचान है। संपादकीय में शरजील इमाम को टारगेट करते हुए लिखा गया है, जो शरजील इमाम ‘चिकन नेक' पर कब्जा कर भारत को विभाजित करना चाहता है, उसके हाथ काट कर चिकन नेक हाई-वे पर रख देना चाहिए ताकि लोग उसे देखकर सबक ले सके। लेख के जरिए शिवसेना ने गृहमंत्री अमित शाह को हिदायत देते हुए कहा कि शरजील जैसे कीड़ों को तुरंत खत्म कर देना चाहिए।

शिवसेना काबदला हुआ तेवर देख बीजेपी ने सरकार बनाने का ऑफर दिया

शिवसेना काबदला हुआ तेवर देख बीजेपी ने सरकार बनाने का ऑफर दिया

महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुंगतीवार ने शुक्रवार को दिए बयान में कहा है कि बीजेपी एक बार फिर महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए तैयार है अगर उसकी प्राकृतिक सहयोगी शिवसेना किसी भी तरह का प्रस्ताव लेकर उनके पास आती है, जिससे महाराष्ट्र में एक बार सियासी पारा बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। फड़णवीस सरकार में वित्त मंत्री रहे सुधीर मंगतीवार ने कहा कि अगर शिवसेना भाजपा के साथ अलग होने की अपनी गलती को महसूस करती है तो बीजेपी एक बार फिर से उनके साथ समझौता करने के लिए तैयार हैं।

Comments
English summary
The video of the Sharjeel Imam, which went viral during a protest at the CAA protest in the capital Delhi, gave the Shiv Sena chief Uddhav Thackeray a golden opportunity to open his cards and the Shiv Sena, famous for its provocative speeches and statements, through an article in the mouthpiece Saamana shocked both Congress and NCP by making provocative statements to cut off the hands of accused Sharjeel Imam.This is the reason that seeing the Shiv Sena returning to its old tone, BJP has given a chance to make Shivsena again to form the government in Maharashtra.
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