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महाराष्ट्र पॉलिटिक्सः क्या हिंदुत्व और सेक्युलरिज्म में बैलेंस बनाते-बनाते थक चुकी है शिवसेना?

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में परस्पर विरोधी दलों के साथ साझा सरकार बनाने वाली शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे की हालत हिंदुत्व और सेक्युलरिज्म पर बैलेंस बनाने को लेकर सांप और छछूंदर जैसी है। दोनों में से किसी एक को छोड़ देना पार्टी के लिए मुश्किल बना हुआ है। महा विकास अघाड़ी मोर्चे का नेतृत्व कर रहे शिवसेना चीफ अपनी यह हालत एक बार नहीं, कई बार बयां कर चुके हैं, लेकिन जिन विचारों को तज कर सीएम की कुर्सी के लिए गठबंधन की नैया की सवारी सीएम उद्धव ठाकरे कर चुके हैं, अब उन्हें एहसास हो गया है कि एक न एक दिन यह नैया मंझधार में जरूर फंसेगी।

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क्या 2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आशंकित है शिवसेना?

क्या 2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आशंकित है शिवसेना?

यही कारण है कि एक सेक्युलर पार्टी की तरह महाराष्ट्र में शासन और सत्ता संभाल रही शिवसेना भविष्य के चुनावों में जनता को फेस करने के विचार से कांप उठती है। इसकी तस्दीक शिवसेना द्वारा हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर होने और उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व विरोधी होने जैसे बयानों पर प्रतिक्रियाओं से होती है। अपनी सुविधानुसार हिंदुत्व और सेक्युलरिज्म का इस्तेमाल कर रही शिवसेना अभी से 2024 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आशंकित है, वो भी तक जब महाराष्ट्र सरकार का एक वर्ष पूरा हुआ है।

मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की कवायद से शिवसेना ने बदला गेयर

मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की कवायद से शिवसेना ने बदला गेयर

हाल में शिवसेना द्वारा मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की कवायद और उससे पहले मस्जिद के अजान की खूबसूरती को लेकर दिए बयान परस्पर विरोधी बयान दर्शाते हैं कि उद्धव ठाकरे पार्टी के भविष्य को लेकर कितनी आशंकित हैं। महाराष्ट्र में मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण देने के सवाल पर देवेंद्र फडणवीस सरकार में साझेदार रही शिवसेना करीब 5 वर्षों तक चुप्पी साधे रही, लेकिन खुद को सेक्युलर खांचे में बैठाने लिए शिवसेना तुरंत मान गई। हालांकि सीएम उद्धव ठाकरे यह कहकर बच सकते हैं कि यह कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के एजेंडे में शामिल था।

सरकार के एक वर्ष पूरे होने के बाद भी अयोध्या नहीं जा सके हैं उद्धव

सरकार के एक वर्ष पूरे होने के बाद भी अयोध्या नहीं जा सके हैं उद्धव

याद कीजिए, नवंबर में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अयोध्या जाने की बात कहने वाले उद्धव ठाकरे महा विकास अघाड़ी सरकार के एक वर्ष पूरे होने के बाद भी अयोध्या नहीं जा सके हैं, जो दर्शाता है कि महा विकास अघाड़ी मोर्चा सरकार कौन चला रहा है। निःसंदेह मातोश्री की पहचान किंग मेकर के रूप में रही है, जहां से सरकारें गिराई और बनाईं जाती थीं, लेकिन यह पहला अवसर था, जब मातोश्री किंगमेकर की भूमिका छोड़कर किंग बनने के लिए उतावला हो उठा। शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की इतनी कौतुहल थी कि उन्हें एनडीए से रार करना भी गलत नहीं लगा।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली साझा सरकार की कोई गारंटी नहीं है

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली साझा सरकार की कोई गारंटी नहीं है

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली साझा सरकार कितने दिन तक सत्ता में टिकी रहेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का हालिया बयान इस पर रोशनी डालती है, जिसमें वो कहते हैं कि इस बार सुबह नहीं, बल्कि आराम से मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। फडणवीस के इस बयान के क्या मायने हैं, इसको समझना आसान है, लेकिन यह समझना थोड़ा मुश्किल है कि उद्धव ठाकरे के दिमाग में क्या चल रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उद्ध ठाकरे का एक वर्ष का कार्यकाल बेहद ही खऱाब रहा हैं।

1 वर्ष में महाराष्ट्र सरकार में उपलब्धियों के नाम पर सिर्फ लाचारी दिखी हैं

1 वर्ष में महाराष्ट्र सरकार में उपलब्धियों के नाम पर सिर्फ लाचारी दिखी हैं

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में पिछले एक वर्ष से चल रही महाराष्ट्र सरकार में उपलब्धियों के नाम पर सिर्फ लाचारी दिखी हैं, जहां उद्धव ठाकरे सिर्फ और सिर्फ लाचार दिखे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह उद्ध ठाकरे का पहला मौका था, जब उन्होंने सरकार और सत्ता का स्वाद चखा है, जिसका उनका पहले कभी नहीं रहा, क्योंकि शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी कोई पद ग्रहण नहीं किया था, जिससे उद्ध ठाकरे को दूर से ही सही, सरकार चलाने का अनुभव हासिल होता। वैसे भी उद्धव ठाकरे की राजनीति में दिलचस्पी कम थी।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। इसमें महामारी के रोकथाम में उद्ध सरकार की विफलता प्रमुख है, जिसके सबूत महाराष्ट्र में रिकॉर्ड नंबर में मिले कोरोना संक्रमित मरीज और सर्वाधिक संख्या में हुए कोरोना संक्रमितों की मौत हैं। इसके अलावा उद्ध सरकार लॉ एंड आर्डर संभालने में पूरी तरह से विफल रही है। बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के नाम पर लीपापोती और अभिनेत्री कंगना रनौत के साथ उद्ध सरकार का टकराव बताती है कि पिछले एक वर्ष उद्ध सरकार महाराष्ट्र के मूलभूत जरूरतों के लिए कितनी गंभीर रही होगी।

विचारधारा से मुंह मोड़कर बिना आत्मा के प्राण वाली स्थिति में हैं शिवसेना

विचारधारा से मुंह मोड़कर बिना आत्मा के प्राण वाली स्थिति में हैं शिवसेना

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में एनडीए के साथ चुनाव में उतरी शिवसेना मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर गठबंधन तोड़ दिया, लेकिन पार्टी की मूल विचारधारा से मुंह मोड़कर शिवसेना बिना आत्मा के प्राण वाली स्थिति में हैं। यही वजह है कि पार्टी हिंदुत्व को लेकर उठे किसी भी सवाल पर भावुक हो जाती है और पलटवार करना नहीं भूलती है। यही नहीं, वह बीजेपी के साथ अपने रिश्तों के लेकर भी अधिक तल्ख नहीं होती है। इसका मुजाहरा प्रधानमंत्री मोदी के हालिया पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के दौरे गए शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के बयान से किया।

महाराष्ट्र दौर गए PM मोदी को संजय राउत ने 'हमारे नेता' बताया

महाराष्ट्र दौर गए PM मोदी को संजय राउत ने 'हमारे नेता' बताया

प्रधानमंत्री मोदी को महाराष्ट्र दौर पर संजय राउत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री हमारे नेता है और उनका स्वागत महाराष्ट्र में स्वागत है। ये वही संजय राउत हैं, जिन्होंने जून, 2019 में कोरोना महामारी में आई अर्थव्यवस्था में गिरावट पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उनसे इस्तीफा मांगने की बात कह चुके थे। बड़ी बात यह है कि संजय राउत, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी से इस्तीफा मांगने की सोच रहे थे, उससे निपटने में पूरे देश मे सबसे फिसड्डी कोई सरकार रही थी, तो वह भी महाराष्ट्र की उद्धव सरकार, जहां सर्वाधिक संख्या में कोरोना मामले सामने आए हैं।

बेमेल विचारधारा वाली यह सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चलेगीः विश्लेषक

बेमेल विचारधारा वाली यह सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चलेगीः विश्लेषक

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में जब साझा सरकार बन रही थी, तभी विश्लेषकों ने कहा था कि बेमेल विचारधारा वाली यह सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चलेगी। शिवसेना के साथ विधानसभा चुनाव लड़कर नंबर एक पार्टी बनकर भी विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई बीजेपी ने भी कहा था कि यह सरकार अपने बोझ से गिर जाएगी। हालांकि उद्धव सरकार ने एक वर्ष का सफर तय कर लिया है, लेकिन आगे का रास्ता तय करना उसके लिए कितना मुश्किल होगा, यह शिवसेना से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है।

शिवसेना ने हिन्दुत्व को लेकर हमेशा खुद की स्थिति को डिफेंड किया है

शिवसेना ने हिन्दुत्व को लेकर हमेशा खुद की स्थिति को डिफेंड किया है

हिंदुत्व के मुद्दे को छोड़ने को लेकर लगातार लोगों के निशाने पर रही शिवसेना हमेशा खुद की स्थिति को डिफेंड किया है। उसके मुताबिक उसने महाराष्ट्र की जनता के लिए सरकार का गठन किया है, लेकिन एनडीए गठबंधन को दोबारा चुनकर सत्ता में भेजने वाले महाराष्ट्र की जनता अच्छी तरह जानती है कि महाराष्ट्र में चल रही बेमेल गठबंधन सरकार का गठन किस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए किया गया है। बीजेपी नेता बार-बार दोहरा चुकी है कि चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री पद शिवसेना को देने को लेकर कोई बात नहीं हुई थी, लेकिन शिवसेना ने झूठा करार देकर गठबंधन तोड़ लिया।

चचेरे भाई राज ठाकरे ने हिंदू वोट के लिए एक बार फिर भगवा थाम लिया

चचेरे भाई राज ठाकरे ने हिंदू वोट के लिए एक बार फिर भगवा थाम लिया

बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के साथ ही शिवसेना का हिंदुत्व के मुद्दे और एजेंडे से भी दूर होना स्वाभाविक था, क्योंकि उसने सेक्यूलर पार्टियों से मिलकर सरकार बनाया था। यही वजह थी कि शिवसेना के कभी असली उत्तराधिकारी माने जाने वाले चचेरे भाई राज ठाकरे ने नीला रंग छोड़कर एक बार भगवा रंग थाम लिया। महाराष्ट्र में हिंदुत्व के मुद्दे को कैश करने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे ने बाकायदा रैली करके हिंदुत्व पर अपना दावा ठोका, लेकिन शिवसेना ने इस पर भी एतराज जताया।

क्या बीजेपी को सबक सिखाने के लिए सेक्युलर दलों से मिल गई थी शिवसेना?

क्या बीजेपी को सबक सिखाने के लिए सेक्युलर दलों से मिल गई थी शिवसेना?

ऐसा माना जाता है कि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे बीजेपी को सबक सिखाने के लिए सेक्युलर दलों के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना तो ली है, लेकिन सेक्युलर दलों के साथ दिखना नहीं चाहते हैं। इसीलिए जब भी हिंदुत्व के मुद्दे को छोड़ने पर सवाल किया जाता है, तो शिवसेना पूरी तरह से झल्ला जाती है। शिवसेना की उक्त हरकत एक छोटे बच्चे जैसी है, जिसने हठ करके पेड़ पर तो चढ़ गया और अब पेड़ से गिरने से डर रहा है इसलिए उतर भी नहीं पा रहा है।

1 वर्ष महाराष्ट्र सरकार की नाकामियों का ठीकरा उद्धव के सिर पर फूटा है

1 वर्ष महाराष्ट्र सरकार की नाकामियों का ठीकरा उद्धव के सिर पर फूटा है

शिवसेना के हालिया बयानों के संदर्भ में समझा जाता है कि शिवसेना सेक्युलर दलों के साथ सरकार बनाकर फंसी हुई दिखती है। चूंकि उद्धव ठाकरे के पास सत्ता का अनुभव नहीं है, इसलिए वो असहज महसूस कर रहे है। असहज इसलिए क्योंकि पिछले एक वर्ष महाराष्ट्र सरकार के हिस्से आईं सारी नाकामियों का ठीकरा उद्धव ठाकरे के सिर पर फूटा है, जबकि एनसीपी और कांग्रेस सत्ता में होकर इस कालिख से दूर हैं। ऐसे में इनकार नहीं किया जा सकता है कि शिवसेना घऱ वापसी की राह देख रही है, जिसका इशारा शिवसेना और बीजेपी नेता लगातार दे रहे हैं।

English summary
Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray, who formed a joint government with conflicting parties in Maharashtra, is like a snake and a snakebite to balance on Hindutva and secularism. It remains difficult for the party to leave either of them. The Shiv Sena chief, who is heading the Maha Vikas Aghadi Front, has stated this condition not once, but many times, but the views that have been taken by CM Uddhav Thackeray are riding the coalition for the CM's chair. That one day it will definitely get trapped in the boat.
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