बिहार चुनाव पर सुलगी महाराष्ट्र की राजनीति, अमृता फडणवीस पर शिवसेना का पलटवार
नई दिल्ली- शिवसेना ने बिहार चुनाव नतीजों पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस की टिप्पणी पर जोरदार पलटवार किया है। शिवसेना ने कहा है कि उन्हें हर अक्षर के महत्त्व को समझना चाहिए। गौरतलब है कि अमृता फडणवीस ने बिहार में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के खराब प्रदर्शन पर तंज कसते हुए उसे 'शवसेना' कहा था और यह भी आरोप लगया था कि इस पार्टी ने बिहार में अपने ही साथियों को हराने में भूमिका निभाई है। हिंदी और मराठी में किए गए इस तंज पर अब शिवसेना ने जवाबी हमला बोला है और कहा है कि वो अपने नाम के 'अ' अक्षर के महत्त्व को समझें और उसे 'मृता' (मराठी में म्रुता ) न बनाएं।
अमृता फडणवीस ने गुरुवार को बिहार चुनाव के नतीजों पर शिवसेना के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हिंदी और मराठी में इस तरह से ट्वीट किया था- "का है ये - शवसैना ने अपने ही साथियों की लाशें बिछा दी बिहार में ! काय चाल्लय तरी काय - शवसेनेने आपल्याच साथीदारांना ठार मारले बिहार मधे ! महाराष्ट्र कुठे ही नेला असो पण बिहार योग्य ठिकाणी नेउन ठेवल्या बाबत धन्यवाद।" इसके बाद उन्होंने 'पेंग्विन' की इमोजी का भी इस्तेमाल किया।
इसके जवाब में शिवसेना की प्रवक्ता और महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरे ने उनपर हमला बोला है। उन्होंने एक बयान में कहा है कि 'आपको शिवसेना का नाम लेते रहने से फायदा नहीं होगा।' उन्होंने कहा है, 'आप अपने नाम से 'अ' अक्षर हटाकर उसे 'मृता' ना बनने दें। आप अपने नाम अमृता में 'अ' के महत्त्व को समझें। दिवाली के शुभ अवसर पर अपने मन में खराब विचार नहीं आने दें।
दरअसल, अमृता फडणवीस के ट्वीट का भाव ये था कि 'चल क्या रहा है? बिहार में 'शवसेना' ने अपने ही साथियों (कांग्रेस) को हरा दिया। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि महाराष्ट्र को कहां ले जा रहे हैं। लेकिन, बिहार को सही जगह पर लाने के लिए धन्यवाद।' गौरतलब है कि देवेंद्र फडणवीस बिहार में भाजपा के चुनाव प्रभारी थे और वहां पार्टी चौथी बार एनडीए सरकार बनवाने में कामयाब हो रही है। भाजपा का प्रदर्शन वहां सभी दलों के मुकाबले बेहतरीन रहा है।
जबकि, शिवसेना ने भी वहां कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनकी जमानतें भी नहीं बच पाई हैं। पार्टी को महज 0.05% वोट मिले हैं। यही नहीं महाराष्ट्र सरकार में उसकी सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी का भी वहां बुरा हाल हुआ है। कांग्रेस 70 में से सिर्फ 19 सीटें जीती हैं और चार में उसकी जमानत जब्त हो गई है। खुद कांग्रेस के बड़े नेता भी सार्वजनिक तौर पर बयान दे रहे हैं कि पार्टी ने महागठबंधन की लुटिया डुबो दी है। जबकि, एनसीपी को शिवसेना से थोड़ा ज्यादा यानि 0.23% वोट प्राप्त हुए हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना सत्ता में रहते हुए एक साथ चुनाव लड़ी थी। लेकिन, चुनाव में बहुमत मिलने के बाद बीजेपी से काफी कम सीटें मिलने के बावजूद भी शिवसेना अपना मुख्यमंत्री बनवाने की जिद पर अड़ गई और बाद में जिस कांग्रेस और एनसीपी के खिलाफ जनादेश लिया था, उन्हीं के समर्थन से सरकार बना ली। तब से एनडीए के सीएम पद के उम्मीदवार रहे देवेंद्र फडणवीस की पत्नी शिवसेना पर हमलावर रहती हैं।