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सोनिया गांधी को शरद पवार के एक फोन कॉल ने शिवसेना की उम्मीदों पर फेर दिया पानी

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मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना जिस तरह से एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त थी, उसे देखकर हर किसी को यही लग रहा था कि प्रदेश में शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार का रास्ता साफ हो गया है। खुद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनके पास पूर्ण बहुमत होने का दावा किया था। लेकिन जब राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए दिए गए निश्चित समय की सीमा खत्म होने वाली थी बावजूद इसके कांग्रेस ने शिवसेना को अपना समर्थन पत्र नहीं दिया तो उसके बाद सरकार बनाने की शिवसेना की उम्मीदों पर पानी फिर गया। माना जा रहा है कि आखिरी समय पर शिवसेना की उम्मीद पर उस फोन कॉल ने पानी फेरा जो शरद पवार और सोनिया गांधी के बीच हुई थी।

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सोनिया ने बदला अपना फैसला

सोनिया ने बदला अपना फैसला

सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी सोमवार की शाम को शिवसेना को समर्थन नहीं देने के अपने फैसले में थोड़ी नरमी दिखाई थी। लेकिन इस दौरान शरद पवार का फोन कॉल सोनिया गांधी के पास आया, जिसने सोनिया गांधी के फैसले को बदल दिया। सोमवार की सुबह से ही कांग्रेस के खेमे में बैठकों का दौर शुरू हो गया, माना जा रहा था कि सोनिया गांधी शिवसेना को समर्थन देने के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं थीं। उनका मानना था कि हिंदुत्ववादी कट्टर शिवसेना को समर्थन देने की वजह से कांग्रेस को चुनाव में काफी नुकासन हो सकता है।

सोनिया शिवसेना के समर्थन में नहीं थीं

सोनिया शिवसेना के समर्थन में नहीं थीं

सोनिया गांधी शिवसेना को अपना समर्थन देने के पक्ष में नहीं थीं और उन्हें इस मसले पर एके एंटनी, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक, राजीव सातव जैसे दिग्गज नेताओं का साथ मिला। लेकिन इससे इतर महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे, अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और बालासाहब थोराट का मानना था कि मौजूदा परिस्थिति में शिवसेना को समर्थन देना चाहिए जिससे कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखा जा सके। इस बैठक में मौजूद कुछ नेताओं का मानना था कि सोनिया गांधी इस बात पर राजी थीं कि शिवसेना को समर्थन दे देना चाहिए।

उद्धव ठाकरे ने मांगा था समर्थन

उद्धव ठाकरे ने मांगा था समर्थन

लेकिन सोमवार को शाम 5 बजे उद्धव ठाकरे ने पहली बार सोनिया गांधी को फोन किया और आधिकारिक रूप से शिवसेना को समर्थन देने की अपील की। जिसके बाद सोनिया गांधी ने उन्हें वादा किया कि वह जल्द ही उन्हें जवाब देंगी। लेकिन इस फोन कॉल के एक घंटे बाद शरद पवार ने सोनिया गांधी को फोन किया और शिवसेना को समर्थन नहीं देने में हिचकिचाहट जाहिर की। उन्होंने कहा कि शिवसेना को समर्थन देना बहुत जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार में हिस्सेदारी के कई पहलुओं पर अभी भी चर्चा की जरूरत है और उन्होंने खुद भी अभी तक शिवसेना को समर्थन का पत्र नहीं दिया है।

एक फोन कॉल ने बदल दिया गणित

एक फोन कॉल ने बदल दिया गणित

शरद पवार ने सोनिया गांधी से बातचीत के दौरान कहा कि उनकी पार्टी के पास शिवसेना से सिर्फ दो सीट कम हैं, ऐसे में एनसीपी को फिर से विचार करने की जरूरत है कि क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी शिवसेना को पूरे 5 साल के कार्यकाल के लिए दी जानी चाहिए। शरद पवार की इस बात पर कांग्रेस के खेमे में इस बात पर विचार शुरू हुआ कि क्या एनसीपी सरकार में हिस्सेदारी के लिए शिवसेना से मोलभाव करना चाहती है। लेकिन जैसा कि एनसीपी चाहती थी उसके उलट कांग्रेस ने पूरे गणित को बिगाड़ दिया और अपना समर्थन पत्र देने से हाथ पीछे कर लिया। सोमवार शाम को एनसीपी नेता अजीत पवार ने मीडिया के सामने आकर कहा कि सुबह 10 बजे से शाम 7.30 बजे तक हमारे नेता शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल कांग्रेस के पत्र का इंतजार कर रहे थे। शिवसेना को यह पत्र शाम 7.30 बजे तक राज्यपाल को देना था, ऐसे में अगर कांग्रेस अपना समर्थन पत्र नहीं भेज रही है तो हम कैसे यह समर्थन पत्र दे सकते हैं।

शरद पवार का यू टर्न

शरद पवार का यू टर्न

वहीं कांग्रेस का कहना है कि राज्यपाल द्वारा दी गई तय समयसीमा से कुछ घंटे पहले जिस तरह से शरद पवार ने यू टर्न लिया, उसकी वजह से कांग्रेस ने शिवसेना को अपना समर्थन देने से हाथ पीछे खींच लिए। जिसके बाद कांग्रेस की ओर से आधिकारिक रूप से बयान सामने आया जिसमे शिवसेना का जिक्र तक नहीं किया गया। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि वह शरद पवार के साथ बातचीत करेगी। वहीं शिवसेना का प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचा और अतिरिक्त समय देने की अपील की, लेकिन राज्यपाल ने इस मांग को ठुकरा दिया।

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English summary
Maharashtra: One phone call of Sharad Pawar to Sonia Gandhi ruined the hope of Shiv Sena.
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