महाराष्ट्र: रेलवे कोच को कोविड यूनिट में बदलने पर आया 6 करोड़ का खर्च, एक भी मरीज नहीं हुआ भर्ती
नई दिल्ली: चीन से आया कोरोना वायरस जब भारत में फैलना शुरू हुआ तो स्वास्थ्य सुविधाएं उतनी ज्यादा अच्छी नहीं थीं। साथ ही उम्मीद जताई जा रही थी कि अस्पतालों में बेड भी कम पड़ जाएंगे। इसके बाद भारतीय रेलवे ने भी मोर्चा संभाला और अपने नॉन एसी कोच को कोविड केयर यूनिट में तब्दील कर दिया। बाद में ये कोच जरूरतमंद राज्यों को भेजे गए, जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल था। अब ये बात सामने आई है कि इन कोचों में महाराष्ट्र में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ।
दरअसल ठाणे निवासी रविंद्र भागवत ने एक आरटीआई दायर की, साथ ही सेंट्रल और वेस्ट रेलवे से कोविड कोच से संबंधित जानकारी मांगी। जिसमें पता चला कि महाराष्ट्र में 900 नॉन एसी स्लीपर कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया था। जिसमें आज तक एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ। हैरानी की बात ये है कि इन कोच पर 6 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। वहीं दूसरी ओर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार ने इन कोविड कोच का अच्छा इस्तेमाल किया, जहां पर 933 मरीजों का इलाज कर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
भारत में 78,64811 पहुंची कोरोना मरीजों की संख्या, बीते 24 घंटों में 578 मौतें
Recommended Video
आरटीआई के जवाब में रेलवे ने बताया कि मध्य रेलवे ने 3.8 करोड़ की लागत से 482 कोविड केयर कोच बनाए थे। इसके अलावा पश्चिम रेलवे ने 2 करोड़ में 410 कोच को तैयार किया था। ये आपातकाल स्थित के लिए रखे गए थे। ऐसे में देखा जाए तो एक कोच को बदलने की लागत करीब 85 हजार रुपये थी। वहीं दूसरी ओर रेलवे अधिकारियों ने कहा कि कि ये कहना गलत है कि फंड बर्बाद हो गए। ये सभी आपात स्थिति के लिए थे, जब कोरोना अनियंत्रित हो जाता और अस्पतालों में बेड नहीं बचते। पूरे देश में 5000 कोविड कोच तैयार किए गए थे, जिनकी क्षमता 80 हजार बेड की थी।