महाराष्ट्र: राष्ट्रपति शासन में विधायकों को सैलरी मिलेगी या नहीं ? जानिए
नई दिल्ली- नई दिल्ली- महाराष्ट्र में जिन हालातों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, उससे कई तरह के सवाल पैदा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि उन 288 विधायकों का क्या होगा, जो अभी-अभी चुनकर आए हैं। उन्हें सैलरी मिलेगी या नहीं। नए विधानसभा का कार्यकाल कब से शुरू माना जाएगा। क्योंकि, पिछली विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को ही खत्म हो चुका है। दरअसल, महाराष्ट्र में जिस तरह से राजनीतिक उलझन पैदा हुई है उससे विधायकों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि उनका भविष्य कौन सी मोड़ लेने वाला है। आइए इन सब बातों पर एक्सपर्ट की राय जानते हैं।
महाराष्ट्र की नई विधानसभा का कार्यकाल
महाराष्ट्र की पिछली विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो गया था। इसलिए उसकी मियाद पूरी होने से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को औपचारिक तौर पर अपना इस्तीफा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंप देना पड़ा था। लेकिन, पिछली विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के तीन दिनों बाद तक भी जब राज्य में कोई भी दल गवर्नर के सामने आवश्यक विधायकों का संख्याबल नहीं दिखा पाया तो उन्होंने राज्य को संवैधानिक संकट से बचाने के लिए 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। केंद्रीय कैबिनेट ने उसी दिन गवर्नर की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजी और उन्होंने भी उसी दिन उसे मंजूरी भी दे दी। इसके साथ ही केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति को महाराष्ट्र विधानसभा को निलंबित रखने की भी सलाह दी थी, जिसे राष्ट्रपति की हरी झंडी मिल गई। इसका मतलब ये हुआ कि महाराष्ट्र विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल उसी दिन यानि 12 नवंबर से शुरू माना जाएगी, जिसकी मियाद 12 नवंबर, 2024 तक रहेगी। इस तरह से मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल तीन दिन आगे बढ़ चुका है। जबकि, अगर राज्य में नया मुख्यमंत्री पहले ही शपथ ले लेता तो विधानसभा पहले ही गठित हो जाती।
महाराष्ट्र के नए विधायकों को अभी नहीं मिलेगी सैलरी
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए इसबार चुने गए 288 विधायकों की दिक्कत ये है कि उनके विधानसभा में शपथ लेने की औपचारिकता पूरी होने से भी पहले ही राष्ट्रपति शासन लग चुका है। संविधान के जानकार आदित्य नाथ झा ने वन इंडिया को बताया कि 'शपथग्रहण की औपचारिकता नहीं पूरी होने की वजह से नव निर्वाचित विधायक सभी वेतन और भत्तों की सुविधाओं से तबतक वंचित रहेंगे, जब तक राष्ट्रपति शासन लागू रहेगा।' जबकि, नई विधानसभा भले ही निलंबित रखी गई है, लेकिन उसका कार्यकाल शुरू हो चुका है और विधायकों को कार्यकाल के रूप में मिले पांच साल में से हर दिन की कमी होती जा रही है। यानि, विधायकों को तभी सैलरी मिलनी शुरू होगी जब राष्ट्रपति शासन खत्म होगा और सस्पेंडेड एनिमेशन में रखी गई विधानसभा फिर से सक्रिय होगी। इसके बाद ही विधायक शपथ ले सकेंगे।
सरकार गठन को लेकर अभी तक नहीं निकला फॉर्मूला
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में भाजपा के 105, उसके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और उसकी सहयोगी कांग्रेस के 44 विधायक चुनाव जीते। इसके अलावा 29 विधायक छोटी पार्टियों के और निर्दलीय हैं। जहां तक नई सरकार बनने का सवाल है तो अभी तक शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी कोई फॉर्मूले पर नहीं पहुंच पाई हैं। उधर, बीजेपी फिर से सरकार बनाने की रेस में वापस लौटने के लिए अगले दांव के इंतजार में है।