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महाराष्ट्र: क्या कांग्रेस के इन तीन विधायकों के विरोध के चलते सरकार गठन में हो रही है देरी ?

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नई दिल्ली- महाराष्ट्र में गैर-बीजेपी सरकार गठन में हो रही देरी पर अकेले शिवसेना ही परेशान नहीं है। कांग्रेस के विधायकों में भी खलबली मची हुई है कि प्रदेश की राजनीति पता नहीं, आगे क्या मोड़ लेने जा रही है। ज्यादातर कांग्रेसी विधायक शिवसेना के साथ सरकार बनाने के पक्ष में नजर आ रहे हैं। लेकिन, पार्टी में ऐसे विधायक भी हैं जो इस विचार की मुखालफत कर रहे हैं। बता दें कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस की ओर से अभी तक खुलकर कुछ भी नहीं कहा गया है और सिर्फ पार्टी के अंदर चर्चाओं का दौर ही जारी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इन विधायकों के विरोध की वजह से ही पार्टी आलाकमान चुनाव नतीजे आने के 26 दिन बाद भी किसी फैसले के नजदीक नहीं पहुंच पाया है?

कांग्रेस के 3 विधायकों के चलते फंसी पेंच ?

कांग्रेस के 3 विधायकों के चलते फंसी पेंच ?

महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक इन 44 विधायकों में से 41 शिवसेना के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने के लिए बेसब्र हो रहे हैं। लेकिन, पार्टी के 3 विधायक किसी भी सूरत में शिवसेना के साथ गठबंधन करने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, कांग्रेसी परंपरा के मुताबिक शिवसेना को समर्थन देना या न देना, पूरी तरह पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निर्भर है। लेकिन, वह अबतक हां या ना के पक्ष में अपना इरादा पक्का नहीं कर पाई हैं। प्रदेश में कांग्रेस कोर कमेटी से जुड़े सूत्रों की मानें तो 'सभी विधायकों ने आलाकमान को अपनी इच्छा पहले ही जता दी है। पार्टी के 41 विधायक नई सरकार में शामिल होना चाहते हैं। लेकिन, 3 विधायक शिवसेना के साथ जाने का विरोध कर रहे हैं।' जानकारी के मुताबिक जो तीन कांग्रेसी विधायक शिवसेना के साथ जाने का विरोध कर रहे हैं वे हैं- मुंबई के अमीन पटेल और वर्षा गायकवाड़। इसके अलावा महाराष्ट्र के किसी ग्रामीण इलाके से एक एमएलए भी इस गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस शुरू से असमंजस में नजर आई है। लेकिन, पहली बार प्रदेश के विधायक सरकार बनाने को लेकर आलाकमान पर इतना दबाव डाल रहे हैं, जिसके कारण वह विचार करने पर भी मजबूर हुई। जबकि, चर्चा है कि कुछ वरिष्ठ नेता और खासकर केरल यूनिट इस तरह के प्रस्ताव पर विचार करने से भी मना कर रहा है।

सबको हवा देकर निश्चिंत क्यों हैं पवार ?

सबको हवा देकर निश्चिंत क्यों हैं पवार ?

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगे हुए भी एक हफ्ते गुजर चुका है। जब राज्यपाल ने शिवसेना और एनसीपी को दावा पेश करने के लिए बुलाया था, जब उन्होंने 24 घंटे को अपर्याप्त मानकर 48 घंटे देने की मांग की थी और शिवसेना तो उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी चली गई। लेकिन, ये सारी पार्टियां अभी भी खाली हाथ हैं। सबसे चौंकाने वाली राजनीति तो एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की नजर आ रही है। वे जिस तरह से बोल रहे हैं, उसने सबको असमंजस में डाल रखा है। उनका सबसे चौंकाने वाला बयान सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद आया, जब उन्होंने कह दिया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कोई बात ही नहीं हुई है। जब उनसे शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार बनने की संभावना पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- 'बीजेपी-शिवसेना साथ-साथ चुनाव लड़ी हैं और कांग्रेस-एनसपी एकसाथ चुनाव लड़ी हैं। उन्हें अपना रास्ता चुनना है और हम अपनी राजनीति करेंगे।' हद तो तब हो गई जब पवार मंगलवार को संसद पहुंचे और मीडिया वालों ने फिर सवाल दागा तो उन्होंने कह दिया कि उनसे सवाल पूछिए, जिनको सरकार बनानी है।

पवार के 'पावरप्ले' से शिवसेना बेहाल

पवार के 'पावरप्ले' से शिवसेना बेहाल

शिवसेना कीपरेशानी यह है कि उसने बीजेपी को तो ठुकरा दिया है, लेकिन कांग्रेस से पूरी तरह सीधा संवाद स्थापित नहीं कर पाई है। उद्धव और सोनिया के बीच पवार ही संपर्क सूत्र का काम कर रहे हैं। कभी वह ठाकरे को अच्छे सपने दिखा देते हैं और कभी उन्हें ऐसी स्थिति में लाकर पटकर रहे हैं, जहां से उनके पास सिर्फ पछतावे के कुछ बचता नहीं है। यही वजह है कि अब पार्टी के नेता और बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के मुख्य सूत्रधार रहे संजय राउत को लगने लगा है कि शरद पवार को समझने में तो कई जन्म लग जाएंगे। शिवसेना की दुविधा को 'सामना' के संपादकीय से भी समझा जा सकता है। मोदी सरकार में शामिल पार्टी के एकमात्र मंत्री खुद ही इस्तीफा देकर बाहर हुए थे। लेकिन, अब शिवसेना इस बात से परेशान है कि उसे एनडीए से बाहर क्यों किया गया? पार्टी के मुखपत्र में लिखा है- 'हमें एनडीए से निकालने वाले तुम कौन?.....यात्रा में जल्दबाजी दुर्घटना को निमंत्रण देती है' इस प्रकार की जल्दबाजी इन लोगों के लिए ठीक नहीं है..' पता नहीं शिवसेना किस जल्दबाजी की बात कर रही है। क्या वह पवार के बदलते सुर की वजह से तो ऐसा नहीं कह रही है? क्योंकि, अगर उसने जब एक बार मैनडेट ठुकरा कर बीजेपी का साथ छोड़ दिया तो फिर वह एनडीए से बाहर होने को लेकर इतना परेशान क्यों है?

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English summary
Three Congress MLAs in Maharashtra are against supporting Shiv Sena
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