Maharashtra Politics:क्या औरंगाबाद के नाम पर इस वजह से शिवसेना-कांग्रेस में मचा है घमासान
नई दिल्ली- लगता है कि महराष्ट्र (Maharashtra ) के औरंगाबाद (Aurangabad )शहर के नाम बदलने की मांग पर सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी के दो दलों- शिवसेना और कांग्रेस के बीच तनाव टला नहीं है। शिवसेना की इस मांग को कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के जरिए सिरे से खारिज किए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की पार्टी ने अभी भी उसका नाम संभाजीनगर (Sambhajinagar) करने की उम्मीद नहीं छोड़ी है। भाजपा का आरोप है कि यह सिर्फ दोनों सत्ताधारी दलों के बीच नूरा कुश्ती चल रही है और इसके पीछे की असल वजह चार महीने बाद होने वाला एक चुनाव है।
औरंगाबाद बनाम संभाजीनगर पर घमासान
महाराष्ट्र (Maharashtra )के औरंगाबाद (Aurangabad )का नाम बदलकर संभाजीनगर (Sambhajinagar)करने की मांग शिवसेना (Shiv Sena) पिछले तीन दशकों से कर रही है। शायद उसका मंसूबा है कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray)के मुख्यमंत्री रहते यह काम हो जाए तो उसके पास अपने वोटरों को बताने के लिए एक बड़ी चीज हो सकती है। लेकिन, उसका सामना अपनी ही सहयोगी कांग्रेस (Congress) से हो रहा है, जिसे इस मुद्दे पर राजी कर लेना दूर की कौड़ी है। एनसीपी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar)यह सोचकर निश्चिंत हैं कि इसमें उन्हें ज्यादा बयानबाजी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी,क्योंकि इसे आखिरकार कांग्रेस और शिवसेना को आपस में ही सुलझाने की मजबूरी है। क्योंकि, कांग्रेस इसके लिए तैयार होगी ऐसा लगता नहीं और इसके लिए उद्धव अपनी सरकार को कुर्बान कर देंगे इसकी भी संभावना नहीं के बराबर है। फिर सवाल उठता है कि कांग्रेस के कड़े विरोध के बावजूद शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) इसे बार-बार उठाकर क्या संदेश देना चाहते हैं।
कांग्रेस क्यों कर रही है नाम बदलने का विरोध?
आगे बढ़ें इससे पहले औरंगाबाद (Aurangabad) के नाम के इतिहास पर एक नजर डाल लेना जरूरी है। औरंगाबाद शहर का नाम मुगल शासक औरंगजेब (Mughal ruler Aurangzeb) के नाम पर रखा गया है, जो अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात रहा है। उसने मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji) महाराज के बेटे संभाजी की हत्या कर दी थी। इसी के चलते इस शहर की मांग संभाजीनगर (Sambhajinagar) करने की हो रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष (Maharashtra Congress President) बालासाहेब थोराट (Balasaheb Thorat ) ने शिवसेना(Shiv Sena) की यह मांग सख्ती से ठुकरा दी है और कहा है कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के एजेंडे में यह मुद्दा नहीं है। दो दिन पहले ही उन्होंने कहा था, 'यह हमारे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का हिस्सा नही है और कांग्रेस नाम बदलने में भरोसा नहीं करती। कांग्रेस विकास में भरोसा करती है। सिर्फ नाम बदलने से आम आदमी का विकास नहीं होता।' समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी (Abu Azmi) भी इस मुद्दे पर शिवसेना पर वोट बैंक पॉलिटिक्स करने का आरोप लगा रहे हैं।
आपस में सुलझा लेंगे विवाद- राउत
कांग्रेस की मनाही के बावजूद शिवसेना ने शनिवार को यह भरोसा जताया कि जब शरद पवार (Sharad Pawar)समेत अघाड़ी सरकार के तीन सदस्य दल बैठक करेंगे तो इस मसले को सुलझा लिया जाएगा। पार्टी सांसद संजय राउत (anjay Raut) ने कहा है कि, 'यह मांग बालासाहेब ठाकरे ने की थी। उन्होंने संभाजीनगर नाम बदल दिया था........सिर्फ कागजी काम बाकी रह गया है।' राउत बोले कि, 'एमवीए के सहयोगियों के बीच कोई विवाद नहीं है। हम साथ में बैठेंगे और इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।' यही नहीं शिवसेना ने मुखपत्र सामना के जरिए इस मुद्दे को तूल देने के लिए विपक्षी भाजपा के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। इसमें लिखा गया है कि कांग्रेस के रवैए ने 'बीजेपी को खुश कर दिया...........कांग्रेस का विरोध (नाम बदलने के प्रस्ताव का) नया नहीं है और इसलिए इसे महा विकास अघाड़ी सरकार से जोड़ना वेबकूफी है।'
क्या नाम है बहाना, निगम चुनाव है निशाना ?
दरअसल, अब से करीब चार महीने बाद औरंगाबाद में नगर निकाय के चुनाव होने हैं। इस शहर में मुसलमानों की आबादी अच्छी-खासी है। नाम बदलने की मांग और उसके विरोध के पीछे की राजनीति को अब ज्यादा अच्छे तरीके से समझा जा सकता है। भाजपा के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) भी आरोप लगा रहे हैं कि यह राजनीति उसी चुनाव की वजह से हो रही है। उन्होंने कहा है,'यह शिवसेना और कांग्रेस दोनों का ड्रामा और राजनीति है।' वहीं भाजपा विधायक राम कदम (Ram Kadam) का आरोप है कि, 'उन्होंने पहले ही तय कर लिया है.....एक विरोध करेगा और दूसरा प्रस्ताव लाएगा।'
मराठा समाज कर रहा है कांग्रेस का विरोध
कहा जाता है कि औरंगाबाद की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी। इसका नाम संभाजीनगर करने का प्रस्ताव सबसे पहले 1995 में आया। तब औरंगाबाद नगर निगम ने यह मामला उठाया था, जिसे कांग्रेस ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब कांग्रेस फिर इसका खुलकर विरोध कर रही है तो शहर के मराठा समाज के लोग ने सड़कों पर उतरकर उसका विरोध शुरू कर दिया है। मराठा मोर्चा के अध्यक्ष खैरे पाटिल ने कहा कि उनका संगठन कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन करेगा।