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फिर चुनाव की ओर बढ़ रही है महाराष्ट्र, अकेले दम पर बीजेपी ला सकती है बहुमत!

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बेंगलुरू। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में जनता के जनादेश के बाद एनडीए सरकार नहीं बना पाई, क्योंकि एनडीए सहयोगी शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ गई। शिवसेना बार-बार सुलह की कोशिशों के बीच बीजेपी पर आरोप लगाती रही कि बीजेपी ने चुनाव से पूर्व 50-50 फार्मूले के तहत सत्ता में हिस्सेदारी का वादा किया था।

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हालांकि महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के दावों का बार-बार खंडन करते हुए कहा कि चुनाव पूर्व शिवसेना के साथ ऐसे किसी फार्मूले पर बात नहीं हुई है। अभी यह यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि कौन झूठ बोल रहा है और अगर दोनों पार्टियां सच बोल रही हैं तो नाफरमानी कौन कर रहा है।

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गौरतलब है महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को महाराष्ट्र की जनता ने सरकार बनाने के लिए स्पष्ट जनादेश दिया था, बावजूद इसके दोनों दल पॉवर टशल में महाराष्ट्र में सरकार बनने की गुंजाइश खत्म हो चुकी है और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी है।

क्योंकि महाराष्ट्र में कोई भी एलायंस अभी तक महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कोई दल तैयार नहीं हो सका है। सोमवार को राज्यपाल ने बीजेपी के सरकार बनाने के इनकार के बाद दूसरे नंबर की पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता दिया, जिसे शिवसेना 48 घंटे का समय मांगकर गंवा दिया।

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राज्यपाल कोश्यारी ने शिवसेना के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया, लेकिन महाराष्ट्र में सरकार गठन की एनसीपी की तैयारी भी नहीं थी और वह डेडलाइन से पहले ही ढेर हो गई। हालांकि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन की सरकार एक बेमेल जोड़ी थी।

शायद इसीलिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एड़ी-चोटी की जोर लगाने से भी गुरेज किया। अब चूंकि बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी सभी महाराष्ट्र में सरकार बनाने में असफल रही हैं, तो माना जा रहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई और विकल्प शेष नहीं रह गया है।

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महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद फेल रही एनसीपी ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहराया है। एनसीपी नेता अजीत पवार ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा है कि सोनिया गांधी के कंफ्यूजन के चलते एनसीपी महाराष्ट्र में सरकार बनाने में नाकाम हुई।

अजीत पवार का कहना था कि उन्हें सरकार गठन के लिए कुछ कम वक्त मिला है। हालांकि एनसीपी ने राज्यपाल कोश्यारी से सरकार गठन के लिए मंगलवार रात 8.30 बजे तक का वक्त लिया था, लेकिन संभावनाएं तलाशने के बाद हार गई एनसीपी ने अंततः 8.30 रात से पहले ही हथियार डाल दिए।

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अब बड़ा सवाल यह है कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। कमोबेश महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के लिए शिवसेना ही धुरी बनी हुई है। शिवसेना और बीजेपी को महाराष्ट्र की जनता ने स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन शिवसेना और बीजेपी के बीच पॉवर टशल से महाराष्ट्र की जनता को एक बार फिर चुनाव का सामना करना पड़ सकता है।

कहा जा रहा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने उक्त कदम पुत्रमोह में उठाया। उद्धव ठाकरे के 26 वर्षीय आदित्य ठाकरे पहली बार विधायक चुने गए हैं और शिवसेना चीफ की बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की जिद के चलते महाराष्ट्र की जनता को एक और चुनाव का अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ जाएगा।

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ऐसा माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति लगा तो बीजेपी का महाराष्ट्र में होने वाले अगले विधानसभा में बड़ा फायदा मिलेगा। 105 सीट जीतकर महाराष्ट्र विधानसबा चुनाव 2019 में नंबर वन पार्टी रही बीजेपी ने शिवसेना के साथ चले 15 दिन से अधिक की सुलह की कोशिशों के बीच सरकार बनाने से इनकार कर दिया और शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को सरकार बनाने की मौका दिया, लेकिन शिवसेना और एनसीपी दोनों बारी-बारी से सरकार बनाने में असफल रहीं।

अनिश्चिता के बाद अंततः अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगता है और महाराष्ट्र में दोबारा विधानसभा चुनाव की नौबत आती है तो बीजेपी को महाराष्ट्र की जनता की सहानुभूति मत तो मिलेंगे जो मिलेंगे, उससे अधिक बीजेपी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त होने को फायदा चुनाव में मिल सकता है।

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ऐसी आशंका है कि महाराष्ट्र में दोबारा विधानसभा चुनाव हुआ तो बीजेपी महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़ेगी और कोई आश्यर्य नहीं होगा कि बीजेपी महाराष्ट्र में अकेले दम पर जनादेश लाने में कामयाब हो जाए। अकेले दम पर वर्ष 2014 का महाराष्ट्र विधानसभा लड़ी बीजेपी 122 सीट जीतकर नंबर वन पार्टी रही थी और 2019 महाराष्ट्र विधानसभा में भी बीजेपी 105 सीट जीतकर नंबर वन पार्टी रही है।

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इसमें कोई आशंका नहीं है कि बीजेपी अकेले दम पर महाराष्ट्र में बहुमत लायक सीट लाने में कामयाब नहीं हो सकती है, क्योंकि बीजेपी के तीन कोर मुद्दे में से एक अयोध्या राम मंदिर मुद्दा हल हो चुका है, जिससे बीजेपी को बहुसंख्यक हिंदू वोटरों को मत मिलना पक्का हो गया है। इसके अलावा बीजेपी ने सरकार बनाने की कवायद से दूर होकर महाराष्ट्र की जनता की सहानुभूति अलग कमाई है।

हालांकि अभी भी महाराष्ट्र में राजनीतिक का ऊंट किस करवट बैठेगा, कुछ कहां नहीं जा सकता है, क्योंकि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर शिवसेना को कम वक्त देने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिक दाखिल की है।

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शिवसेना का आरोप है कि बीजेपी को राज्यपाल ने 48 घंटे का समय दिया, लेकिन उसे महज 24 घंटे का समय दिया गया। उधर, कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता एनसीपी के साथ एक मीटिंग के लिए दिल्ली से महाराष्ट्र रवाना हो रहे है। इनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल जैसे बड़े नेता शामिल है।

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: बाल ठाकरे की वर्षों पुरानी तस्वीर शेयर कर गिरिराज ने लिखा.........कराह रहे होंगे

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English summary
Maharashtra governer Bhagat singh koshyari recommend president rule in maharashtra after no one political party was able to form government in maharashtra. however Shiv sena and BJP alliance got majority in maharashtra but they failed to form government due to Power transfer.
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