इरफान खान को रियल जिंदगी का हीरो मानते हैं इस गांव के लोग, उनके लिए बदला इलाके का नाम
नई दिल्ली। हिन्दी सिनेमा के साथ-साथ हॉलीवुड में भी खूब नाम कमाने वाले एक्टर इरफान खान अब हमारे बीत नहीं हैं लेकिन लोग उनको लगातार याद कर रहे हैं। महाराष्ट्र के एक गांव के लोगों ने अब खास तरह से उनको याद किया है। यहां एक पूरे इलाके का नाम ही इरफान के सम्मान में बदल दिया गया है। गांववालों ने ऐसा करने के पीछे की करीब एक दशक पहले इरफान का यहां आना और फार्म हाउस बनाना बताया है, जिसके बाद उन्होंने इस इलाके के लिए कई काम किए।
इलाके का नाम बदलकर हीरो-ची-वाडी किया
महाराष्ट्र के इगतपुरी कस्बे में एक त्रिंगलवाड़ी नाम का किला है जिसके आसपास लगभग एक दर्जन गांव हैं। इन गांवों में रहने वाले लोगों ने इरफान के इस दुनिया को अलविदा कह जाने के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जगह का नाम बदलने का फैसला किया है।
गांव वालों ने अपने फेवरेट एक्टर को श्रद्धांजलि देने के लिए इलाके का नाम बदलकर 'हीरो-ची-वाडी' कर दिया है। इसका हिंदी में मतलब है हीरो का पड़ोसी। इगतपुरी में जिला परिषद सदस्य और स्थानीय नेता गोरख बोडके ने बताया है कि हम गांव का नाम आधिकारिक तौर पर 'हीरो-ची-वाडी' कर रहे हैं।
क्यों हैं ये लोग इरफान के दीवाने
दरअसल इरफान खान एक दशक पहले इरफान इगतपुरी गए थे तब उन्होंने वहां पर एक जगह खरीदी थी जहां पर उन्होंने फार्महाउस बनवाया था। वहां की आदिवासी जातियों को सुविधाओं के लिए कई काम उन्होंने किए। इलाके के लोगों का कहना है कि इरफान से जब बताया गया कि यहां कोई एंबुलेंस की सुविधा नहीं है तो एक महीने के अंदर उन्होंने एरिया के लिए एक एंबुलेंस की भी व्यवस्था कर दी। वह कई परिवारों को उन्होने चुपचाप मदद की थी। वहीं गांव के लोग जब भी उनके पास कोई काम लेकर गए तो इरफान ने कभी ना नहीं कहा।'
इगतपुरी
के
जिला
परिषद
के
सदस्य
गोरख
बोकडे
का
कहना
है
कि
हमें
जब
भी
उनकी
जरूरत
पड़ी
है,
वह
हमेशा
हमारे
साथ
खड़े
रहे।
उन्होंने
हमें
एंबुलेंस
दी
है
और
हमारे
स्कूलों
को
भी
बनवाया
है।
यहां
तक
कि
छात्रों
को
उन्होंने
किताबें
भी
दी
हैं।
वो
हमारे
लिए
असल
जिंदगी
के
हीरो
थे।
वो
बतातें
हैं
कि
इरफान
को
कैंसर
होने
के
बाद
वो
यहां
कभी
आ
नहीं
पाए।
जब
उनके
मरने
की
खबर
आई
तब
यहां
के
इलाके
में
शोक
छा
गया
था।
अब
लोगों
ने
इस
तरह
उनको
श्रद्धांदलि
देने
का
फैसला
किया
है।
इरफान की फिल्म देखने 30 किमी जाते थे ये लोग
इस इलाके के लोगों का कहना है कि यहां आसपास कोई सिनेमाघर नहीं है लेकिन यहां के लोग उनकी फिल्म देखने के लिए 30 किलोमीटर तक बस से यात्रा करके नासिक जाते रहे हैं। अगर टीवी पर भी इरफान की फिल्म का प्रसारण होता है तो वह उसे भी नहीं छोड़ते। बता दें कि 29 अप्रैल को इरफान खान का निधन हो गया था। वह पिछले दो साल से कैंसर से जूझ रहे थे।
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