महाराष्ट्र गवर्नर ने MLC की 9 रिक्त सीटों पर चुनाव की घोषणा के लिए EC को लिखा पत्र
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए राज्य की विधायिका में प्रवेश के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बुधवार शाम चुनाव आयोग को पत्र लिखकर महाराष्ट्र विधान परिषद की रिक्त पड़ी 9 सीटों पर चुनाव कराने की गुजारिश की है। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे को आगामी 27 मई तक महाराष्ट्र के किसी भी सदन का सदस्य होना जरूरी है।
हालांकि सियासी संकट के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव पर कार्य करने के लिए निर्देश देने की अपील की गई हैं।
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चूंकि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर कार्रवाई करने के मामले में प्रतिबद्ध नहीं हैं। इसलिए मजबूरन सीएम उद्धव ठाकरे को मंगलवार शाम संकट के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी।
A petition has been filed in Bombay High Court seeking directions for Governor of Maharashtra to act upon the proposal of State cabinet to appoint Chief Minister Uddhav Thackeray as Member of the State Legislative Council (MLC). #Maharashtra
— ANI (@ANI) April 30, 2020
बताया जाता है कि उद्धव ठाकरे ने सीएम ठाकरे राज्य विधानसभा के उच्च सदन में नामांकित करने के लिए शिवसेना उन सभी विकल्पों की तलाश कर रही हैं, जिससे बात इस्तीफे तक न पहुंच सके। बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के अलावा शिवसेना नेता चुनाव आयोग को भी पत्र लिखने की बात कह रहे थे, लेकिन गवर्नर द्वारा चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखने के बाद मामला सुलझता दिख रहा है।
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दरअसल, मुख्यमंत्री के रूप में अधर में लटके उद्धव ठाकरे को आगामी 27 मई तक राज्य विधानमंडल के दो सदनों में से एक के लिए निर्वाचित होना है, क्योंकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार एक मंत्री या मुख्यमंत्री को 6 महीने के भीतर राज्य विधायिका के लिए निर्वाचित होना और शपथ लेना पड़ता है।
उल्लेखनीय है गत 28 नवंबर को सीएम के रूप में शपथ लेने वाले ठाकरे अगर राज्य विधानसभा में उच्च सदन में नामित होने में विफल होते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होगा। चूंकि कोरोनोवायरस प्रकोप के कारण विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव टाल दिए गए थे। इसलिए बतौर सीएम उद्धव का भविष्य अधर में लटक गया हैं।
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