महाराष्ट्र सरकार बताए प्रवासी श्रमिकों के लिए उन्होंने क्या-क्या कदम उठाए: बॉम्बे हाईकोर्ट
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में रेलवे और बस स्टैंडों पर प्रवासी कामगारों की भीड़ जमा होने की घटना का संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को मामले में 2 जून तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने सरकार से यह भी बताने को कहा है कि सरकार ने प्रवासियों के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं।
गत शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के.के. तातेड़ की खंड़पीठ 'सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस की एक याचिका पर सुनवाई पर महाराष्ट्र सरकार से यह रिपोर्ट तलब किया है।
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गौरतलब है 'सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस की ओर ब़ॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में कोरोनावायरस महामारी के दौरान प्रवासी कामगारों को आ रही परेशानियों पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ता के मुताबिक जिन प्रवासी कामगारों ने महाराष्ट्र से अपने गृह राज्य जाने के लिए श्रमिक विशेष ट्रेनों और बसों की सुविधा उठाने संबंधी आवेदन दिया, उन्हें उनके आवेदनों की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
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याचिका में यह भी कहा गया कि ट्रेन या बस पर सवार होने से पहले उन्हें तंग एवं अस्वच्छ शिविरों में रखा जाता है, उन्हें भोजन तथा अन्य आवश्यक सामान भी नहीं मुहैया करवाया जाता है, जिस पर महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार के मुखिया उद्ध सरकार को 2 जून तक जवाब हाईकोर्ट के समक्ष सुपुर्द करना है। दरअसल, प्रदेश में प्रवासियों का मुद्दा काफी गर्म रहा है और लगातार प्रवासियों के प्रदेश लौटने के लिए हो रही परेशानियों की खबरें आती रही हैं।
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हालांकि सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि प्रवासी कामगारों से जुड़े मुद्दों संबंधी मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। अदालत ने इस पर कहा कि फिर भी वह चाहती है कि इस बारे में राज्य सरकार अपनी ओर से दो जून तक एक रिपोर्ट जमा करवाए। अदालत ने कहा, 'इस तरह की भीड़ जमा होने दी जाती है तो यह उस लक्ष्य का विरोधाभासी होगा, जिसके साथ लॉकडाउन लगाया गया है।
उल्लेखनीय है लॉकडाउन के बाद से महाराष्ट्र से लाखों की संख्या में प्रवासी प्रदेश छोड़कर अपने-अपने राज्यों के लिए लौट चुके हैं. हालांकि इस दौरान अलग-अलग मौकों पर प्रवासियों के जुटने के कारण महाराष्ट्र सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी थी, बावजूद इसके महाराष्ट्र में लॉकडाउन के बीच कई बार रेलवे स्टेशनों के बाहर प्रवासियों की भीड़ एकत्रित होती रही है।
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