महाराष्ट्र में केंद्र सरकार के सभी ऑफिसों में मराठी का इस्तेमाल अनिवार्य
नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलावर को राज्य में केंद्र सरकार के सभी ऑफिसों और संगठनों में मराठी के प्रयोग को अनिवार्य करने के लिए पांच पन्नों की एक अधिसूचना जारी की है। इसमें बैंकिग, टेलीफोन, पोस्ट ऑफिस, एलआईसी, रेलवे, मेट्रो, मोनो रेल, एयरलाइन, गैस, पेट्रोलियम और आयकर विभाग शामिल है। यह अधिसूचना केंद्र सरकार की 'त्रि-भाषीय' फार्मूले को लागू करने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहे हैं।
मनसे और शिवसेना के दबाव के बाद आया आदेश
महाराष्ट्र सरकार का यह निर्णय राज ठाकरे की पार्टी मनसे के सभी बैंकिग लेनदेन और दुकानों पर लगे साइनबोर्ड में मराठी प्रयोग करने के अभियान के बाद आया है। भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने भी राज्य में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित कराई जा रही प्रवेश परीक्षाओं में मराठी को भाषा के तौर पर शामिल करने के लिए कड़ा रवैया अपनाया था। महाराष्ट्र सरकार के अब इस आदेश के बाद मनसे औऱ शिवसेना, दोनों पार्टियों ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह आदेश सिर्फ कागज में ही नहीं होना चाहिए बल्कि इसका कड़ाई से पालन होना चाहिए।
महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है मराठी
महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने बताया, 'मराठी, महाराष्ट्र ऑफिसियल लैंग्वेज एक्ट, 1964 के तहत महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है। यह भाषा पूरे राज्य में बोली जाती है। और त्रि-भाषीय फार्मूले के मुताबिक, यह सभी राज्यो के लिए अनिवार्य होना चाहिए कि वह हिंदी और इंग्लिश के साथ अपने राज्य में बोले जाने वाली भाषा को सरकारी कामकाज के प्रयोग में लाएं।'
क्या है त्रि-भाषीय फार्मूला?
बता दें कि केंद्र सरकार राज्यों में 'त्रि-भाषीय' फार्मूले तो लागू करने का प्रयास कर रही है। इस फार्मूले के मुताबिक सरकार चाहती है कि हिंदी और अंग्रेजी के साथ एक तीसरी भाषा जो कि उस राज्य में प्रमुख रूप से बोली जाती हो, का सरकारी ऑफिसों में प्रयोग है। जैसे कि इस केस में मराठी को हिंदी और इंग्लिश के साथ तीसरी भाषा में बनाया गया है। हालांकि दक्षिण भारत के कई राज्य इसे हिंदी थोपने का प्रयास बताते हुए इस फार्मूले का विरोध कर रहे हैं।
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