अतिमहत्वाकांक्षी अपने ही भतीजे अजित पवार से मात खा गया महाराष्ट्र की राजनीति का स्टालवर्ट शरद पवार
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मुंबई। महाराष्ट्र में शनिवार को बीजेपी-एनसीपी ने मिलकर सरकार बना ली, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली, सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि अजित पवार के साथ एनसीपी के 22 विधायकों ने बीजेपी का समर्थन किया है, इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने अजित पवार के फैसले से पल्ला झाड़ते हुए खास बातचीत में कहा कि यह एनसीपी का फैसला नहीं है।
कहां गच्चा खा गए शरद पवार
शरद पवार ने शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे से बात की है, शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से कहा कि अजित पवार के इस कदम के पीछे कहीं भी एनसीपी नहीं है, अजित पवार ने पार्टी को तोड़ने का काम किया है।
एक रात में पलट गया पासा
फिलहाल आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, बीजेपी-एनसीपी की सरकार बनने से राजनीतिक जानकारों को हैरानी जरूर हुई है क्योंकि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत पूरी हो चुकी थी और यह माना जा रहा था कि शनिवार को तीनों दल मिलकर एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगे और इसमें सरकार बनने की जानकारी देंगे लेकिन उससे पहले ही यह सियासी उलटफेर हो गया और रातों-रात वो हुआ जिसकी कल्पना कभी किसी ने नहीं की थी।
महाराष्ट्र की राजनीति के स्टालवर्ट कहलाते हैं...
शरद पवार को राजनीति का पितामह कहा जाता है, वो महाराष्ट्र की राजनीति के स्टालवर्ट कहलाते हैं लेकिन फिर चूक कहां हुई, हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जिसकी तस्वीर साफ नहीं है क्योंकि ये कैसे मान लिया जाए कि अजीत पवार के कदम की शरद पवार को भनक तक नहीं लगी, गौरतलब है चाचा से राजनीति का ककहरा सीखने वाले अजित पवार ने वो ही किया है जो शरद पवार ने कभी किया था, शरद पवार ने भी कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी बनाई थी और आज अजीत बीजेपी के साथ खड़े हो गए हैं।
पवार केवल मीटिंग ही करते रह गए और.........
शरद पवार महाराष्ट्र से दिल्ली और दिल्ली से मुंबई में बैठक ही करते रह गए और भतीजे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली, अगर सही में पवार के पास 22 विधायक हैं तो बीजेपी-एनसीपी की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने में कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी क्योंकि 288 विधायकों वाली राज्य की विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की ज़रूरत है और दोनों ही दलों के विधायकों का कुल योग 159 बैठता है। इसके अलावा बीजेपी के पास कुछ निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों का भी समर्थन हासिल है, जो कि उसे सरकार बनाने में कोई तकलीफ ना होगी।
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