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महाराष्ट्र: शिव सेना, NCP और कांग्रेस- पिक्चर अभी बाकी है

ऐसे में संक्षिप्त तौर पर कहें तो सारी शक्ति केंद्र में समाहित हो जाती है और वो राज्यपाल के माध्यम से उनको क्रियान्वित करता है. इसकी अधिकतम अवधि एक साल हो सकती है. और अगर इसे और बढ़ाना है तो चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट चाहिए होगा कि उक्त राज्य में चुनाव संभव नहीं हैं. लेकिन चूंकि महाराष्ट्र में ऐसी कोई तनाव की स्थिति नहीं है तो ऐसा कुछ नहीं होगा.

By BBC News हिन्दी
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शिवे सेना नेता आदित्य ठाकरे
Reuters
शिवे सेना नेता आदित्य ठाकरे

महाराष्ट्र और हरियाणा के लिए एक साथ चुनाव की तारीख़ों का एलान हुआ था. नतीजे भी एक ही दिन आए.

एक ओर जहां हरियाणा में सरकार का गठन हुए हफ़्ते गुज़र गए हैं वहीं महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है.

यूं तो नतीजे आने के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है लेकिन मंगलवार का दिन महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक तिथि के तौर पर दर्ज हो गया. राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया.

महाराष्ट्र में तीसरी बार लगा है राष्ट्रपति शासन

देश के अलग-अलग राज्यों में अब तक 125 बार राष्ट्रपति शासन लगाए जा चुके हैं. वहीं महाराष्ट्र में इससे पहले केवल दो बार राष्ट्रपति शासन लगे.

पहली बार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन 17 फ़रवरी 1980 को लगाया गया था. तब, एक साथ सात राज्यों में राष्ट्रपति शासन की घोषणा की गई थी.

तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार थे और उनके पास बहुमत भी था. पहली बार लगा राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र में 112 दिनों तक रहा.

दूसरी बार 28 सितंबर 2014 को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी जो अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सहित अन्य दलों से अलग हो गई थी और विधानसभा भंग कर दी गई थी. यह राष्ट्रपति शासन 32 दिनों तक लागू रहा.

शरद पवार
Getty Images
शरद पवार

महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं लेकिन इस बार हुए विधानसभा चुनावों में कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई.

राज्यपाल ने सबसे पहले, सबसे अधिक सीट पाने वाली बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था लेकिन बीजेपी ने उससे इनक़ार कर दिया. इसके बाद शिव सेना को न्योता दिया लेकिन शिव सेना ने 48 घंटे की मोहलत मांगी.

राज्यपाल ने उनके इस आग्रह को अस्वीकार करते हुए उन्हें 24 घंटे की मोहलत दी. इसके बाद सोमवार देर रात को ही राज्यपाल ने एनसीपी को भी सरकार बनाने का दावा पेश करने का न्योता दिया लेकिन कांग्रेस को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया.

जिसे लेकर अहमद पटेल ने मंगलवार को नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह संविधान के अनुरूप नहीं है.

अब क्या कुछ हो सकता है महाराष्ट्र की राजनीति में?

महाराष्ट्र राजनीति
Getty Images
महाराष्ट्र राजनीति

वैसे तो महाराष्ट्र की राजनीति में इतनी तेज़ी से सब कुछ बदल रहा है कि कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार समर खड़स मानते हैं कि यह राष्ट्रपति शासन जल्दी ही समाप्त हो जाएगा.

समर खड़स के मुताबिक़ "मंगलवार को जिस तरह से अहमद पटेल और शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की उससे यह साफ़ संकेत मिलते हैं कि आने वाले वक़्त में शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर सरकार बनाएंगी."

लेकिन क्या ये गठबंधन एक स्थायी सरकार दे पाएगी?

इस सवाल के जवाब में समर खड़स कहते हैं "ये सही है कि इन तीनों पार्टियों की विचारधारा एकदम अलग है लेकिन क्या बीजेपी के गठबंधन ऐसे नहीं थे. अगर बीजेपी ऐसे सफल प्रयोग कर सकती है तो ये तीनों पार्टियां ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं."

लेकिन क्या एक शिव सेना का साथ देने से कांग्रेस को उत्तर भारत में नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा?

समर कहते हैं "क्या बीजेपी को नुक़सान उठाना पड़ा. नहीं. बीजेपी और शिव सेना का गठबंधन सालों का रहा है लेकिन बावजूद इसके दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है और लोकसभा में उनकी जीत इस बात का प्रमाण है कि शिव सेना के साथ गठबंधन से किसी पार्टी की उत्तर भारत में नियति का निर्धारण नहीं हो जाता."

हालांकि वो ये ज़रूर कहते हैं कि अगर गठबंधन की सरकार बनती है तो सत्ता का सूत्र क्या होगा इस पर अभी कोई दावा नहीं किया जा सकता है लेकिन आज की बात ये है कि तीनों पार्टियों के बीच सरकार बनाने को लेकर बात हो गई है.

राष्ट्रपति कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
Getty Images
राष्ट्रपति कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

राष्ट्रपति शासन का मतलब क्या है?

क्या राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना ही एकमात्र विकल्प था? इस पर संविधान विशेषज्ञ उल्लास बाप कहते हैं कि चुनाव के बाद जो नतीजे आए उसमें किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है. जिस पार्टी को बहुमत मिलता है मुख्यमंत्री उसी पार्टी का बनता है. लेकिन राज्य में ऐसी स्थिति है कि किसी को बहुमत नहीं है. और ना ही गठबंधन हुआ है. इस स्थिति को "फेल्योर ऑफ़ कॉन्सिट्यूशनल मशीनरी इन द स्टेट" कहते हैं.

"ये आपातकाल की स्थिति है. जिसका संविधान में उल्लेख है. अनुच्छेद 352 में राष्ट्रीय आपातकाल का ज़िक्र है, 360 में वित्तीय और 356 में राष्ट्रपति शासन का ज़िक्र है. राष्ट्रपति शासन का मतलब ये है कि जब किसी राज्य में सरकार नहीं बन पा रही हो तो राज्यपाल राष्ट्रपति को अनुशंसा भेजता है और उसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर देता है."

"इस स्थिति में एक्ज़िक्यूटिव पावर राष्ट्रपति के पास रहती है और लेजिसलेटिव पावर विधानसभा के पास रहती है. हाई कोर्ट इससे अप्रभावित रहती है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भी इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है."

ऐसे में संक्षिप्त तौर पर कहें तो सारी शक्ति केंद्र में समाहित हो जाती है और वो राज्यपाल के माध्यम से उनको क्रियान्वित करता है. इसकी अधिकतम अवधि एक साल हो सकती है. और अगर इसे और बढ़ाना है तो चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट चाहिए होगा कि उक्त राज्य में चुनाव संभव नहीं हैं. लेकिन चूंकि महाराष्ट्र में ऐसी कोई तनाव की स्थिति नहीं है तो ऐसा कुछ नहीं होगा.

हालांकि अगर इस दौरान कोई गठबंधन के लिए पार्टियों में सहमति बन जाती है तो वे राज्यपाल के पास जा सकती हैं और उस स्थिति में राष्ट्रपति शासन हट जाएगा.

महाराष्ट्र राजनीति
EPA
महाराष्ट्र राजनीति

अब तक जो कुछ हुआ?

साथ चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और शिव सेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर बात नहीं बनी. शिव सेना जहां 50-50 के फ़ॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री पद का बँटवारा चाहती थी वहीं बीजेपी मुख्यमंत्री पद को किसी भी सूरत में साझा करने के लिए तैयार नहीं थी.

अंत कुछ ऐसे हुआ कि जो दो पार्टियां साथ चुनाव प्रचार कर रही थीं और साथ चुनावी मैदान में उतरी थीं वे अलग हो गईं. उसके बाद अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक-दूसरे पर जमकर टीका-टिप्पणी भी की.

बीजेपी और शिव सेना गठबंधन
Getty Images
बीजेपी और शिव सेना गठबंधन

इसके बाद शिव सेना ने एनसीपी और कांग्रेस के सहारे सरकार बनाने का फ़ैसला किया. हालांकि जब देर शाम मंगलवार को एनसीपी और कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहली बार सोमवार यानी 11 नवंबर को शिव सेना ने उन्हें औपचारिक तौर पर समर्थन के लिए कहा है.

हालांकि ये दोनों पार्टियां शिव सेना को समर्थन देंगी या नहीं ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि कुछ तथ्यों को लेकर अभी भी स्पष्टता नहीं है, ऐसे में अभी हां या ना कहना संभव नहीं है.

पटेल ने कहा कि कांग्रेस जो भी फ़ैसला करेगी वो एनसीपी से सलाह करके ही करेगी.

और एनसीपी प्रमुख ने कहा है कि सरकार बनाने की उन्हें कोई जल्दी नहीं है.

अहमद पटेल और शरद पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस ख़त्म होने के तुरंत बाद शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और यह स्पष्ट किया कि पार्टी कांग्रेस और एनसीपी के साथ बैठक करने वाली है.

इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर भी निशाना साधा और दोबारा साथ आने की बात से इनक़ार कर दिया.

https://twitter.com/ani_digital/status/1194286355150303232

इससे पहले शिव सेना ने सरकार बनाने के लिए अतिरिक्त समय नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया है. शिव सेना की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल वकील हैं.

शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी सभी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की निन्दा की है.

वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फ़डनवीस ने एक प्रेस बयान जारी कर राष्ट्रपति शासन लागू होने को दुर्भाग्यजनक बताया मगर उम्मीद जताई कि महाराष्ट्र में जल्दी ही एक स्थिर सरकार बनेगी.

वहीं गृह मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि महाराष्ट्र में कोई भी विपक्षी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था, इसलिए राष्ट्रपति शासन बेहतर विकल्प था.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इसे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के इशारे पर लिया गया फ़ैसला बताया है.

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English summary
maharashtra government formation: game is not over yet
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