तो तय हो चुका है शिवसेना-कांग्रेस और NCP के बीच सरकार का फॉर्मूला, इस पार्टी से होगा CM
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच शरद पवार के इस फॉर्मूले के तहत गठबंधन की सरकार का गठन हो सकता है...
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रही कयासबाजी के बीज एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने सोमवार को दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद हालांकि शरद पवार ने मीडिया के सामने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सोनिया गांधी से उनकी कोई बातचीत नहीं हुई, लेकिन खबर है कि तीनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर डील लगभग फाइनल हो चुकी है और अगले महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र में सरकार का गठन हो सकता है।
सीएम पद पर नहीं होगा कोई रोटेशन
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अगर सब कुछ ठीक रहा तो समझौते के तहत महाराष्ट्र की नई सरकार में दो डिप्टी सीएम होंगे, जिनमें से एक कांग्रेस और एक एनसीपी से होगा। खबर के मुताबिक यह भी स्पष्ट किया गया है कि उद्धव ठाकरे ही पूरे पांच साल के लिए राज्य के मुख्यमंत्री होंगे और इस पद पर कोई रोटेशन सिस्टम नहीं होगा। नई विधानसभा में तीनों दलों के बीच संख्याबल के आधार पर 42 विभागों का बंटवारा किया जाएगा। 288 सीटों वाली विधानसभा में शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। इस संख्याबल के मुताबिक, तीनों दलों को क्रमश: 15, 14 और 13 पोर्टफोलियो मिल सकते हैं।
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एनसीपी-कांग्रेस करेंगे स्पीकर पद पर फैसला
सूत्रों का कहना है कि शिवसेना ने स्पीकर पद को लेकर अंतिम फैसला एनसीपी और कांग्रेस पर छोड़ दिया है। स्पीकर के पद के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का नाम चर्चा में है। बताया जा रहा है कि राज्य में एक गैर-भाजपा सरकार का गठन करने के लिए इस पूरे समझौते की रूपरेखा शरद पवार ने तैयार की है। हालांकि सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात के बाद शरद पवार ने अपने पत्ते नहीं खोले और कहा कि सरकार गठन को लेकर हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई है। शरद पवार ने कहा कि हमने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही इस संबंध में आगे की बातचीत की जाएगी।
गठबंधन को लेकर जल्दबाजी में नहीं कांग्रेस
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना ने विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। ऐसे में माना जा रहा है कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस किसी प्रकार को कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती और अंतिम समझौते पर पहुंचने से पहले कुछ और मुद्दों पर रुख स्पष्ट करना चाहती है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'सरकार गठन को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हम किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करेंगे। हमें कुछ मुद्दों पर स्पष्टता चाहिए। इसके अलावा वैचारिक मोर्चे पर भी कुछ स्पष्टता की जरूरत है।' कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने बताया कि पार्टी अभी इस मुद्दे पर भी चर्चा कर रही है कि सरकार को बाहर से समर्थन दिया जाए या सरकार में शामिल हुआ जाए। हालांकि शिवसेना और एनसीपी चाहती हैं कि एक मजबूत सरकार के लिए कांग्रेस भी इसमें शामिल हो।
50-50 फॉर्मूले पर एनडीए से अलग हुई शिवसेना
आपको बता दें कि सीएम पद पर लेकर चली लंबी खींचतान के बाद शिवसेना, एनडीए से अलग हो चुकी है। शिवसेना की मांग थी कि राज्य में दोनों दलों के बीच 50-50 फॉर्मूले के तहत सरकार का गठन हो और सीएम का पद दोनों पार्टियों के पास ढाई-ढाई साल तक रहे। हालांकि भाजपा ने शिवसेना की इस मांग को खारिज कर दिया और राज्य के सियासी हालात देखते हुए राज्यपाल ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। शिवसेना इस मुद्दे को लेकर लगातार भाजपा पर हमलावर है और उसके ऊपर वादाखिलाफी का आरोप भी लगा रही है। वहीं, भाजपा का कहना है कि वो राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही बनेंगे।
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