50 साल में महाराष्ट्र में जो नहीं हुआ वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया
नई दिल्ली- महाराष्ट्र की राजनीति में पांच दशक बाद इतिहास फिर से अपने आप को दोहरा रहा है। महाराष्ट्र के चुनावी रुझानों से यह तय लग रहा है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में इससे पहले 1972 में ऐसा हुआ था जब तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे।
महाराष्ट्र की राजनीति में 2019 के अक्टूबर से पहले 1967 के मार्च में ऐसा मौका आया था, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंत राव नायक अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से चुनाव जीतकर सत्ता में लौटे थे। उनके बाद कोई भी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री दोबारा सत्ता में लौटना तो दूर अपना पांच साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सका था। लेकिन,फडणवीस ने महाराष्ट्र की राजनीति में पांच दशकों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ दिया है।
आज की सच्चाई ये है कि अपनी विकासवादी छवि के चलते उन्होंने प्रदेश की राजनीति में अपना कद इतना ऊंचा कर लिया है, जितना अभी तक वहां बालासाहेब ठाकरे और शरद पवार के अलावा कोई नहीं बना पाया है। इसबार का चुनाव सत्ताधारी गठबंधन ने वहां पूरी तरह से उन्हीं के चेहरे पर लड़ा और भारी बहुमत से सत्ता में वापसी कर रही है। उन्होंने अपने दम पर पिछले पांच वर्षों में खुद को पूरे महाराष्ट्र के सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित किया है।
फडणवीस के चलते ही आज महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी, बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना की बिग बॉस बनकर उभरी है। अगर ऐसा न होता तो 2014 में उसे 144 सीटें देने के लिए भी राजी नहीं हुए उद्धव इसबार अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं का भारी विरोध झेलकर भी अपनी पार्टी के लिए महज 124 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए क्यों तैयार होते?
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