143 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं सीएम उद्धव ठाकरे, नहीं है कोई कार, चुनावी हलफनामे में खुलासा
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को विधान परिषद चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया, उद्धव ठाकरे ने सोमवार दोपहर बेटे आदित्य, पत्नी रश्मि और पार्टी सांसद संजय राउत के साथ विधान भवन जाकर अपना नामांकन भरा, आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधान परिषद की 9 सीटों पर 21 मई को चुनाव होना है, उद्धव ठाकरे शिवसेना के उम्मीदवार हैं, उद्धव समेत सभी नौ उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है।
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143 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं सीएम उद्धव ठाकरे
पहली बार चुनाव लड़ रहे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घोषित किया है कि उनके और उनके परिवार के पास 143.26 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति है, हालांकि वह किसी भी कार के मालिक नहीं हैं, यही नहीं उद्धव ठाकरे पर कर्ज समेत 15.50 करोड़ रुपए की देनदारियां हैं, ये जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को ठाकरे की ओर से सौंपे गए हलफनामे में सामने आई है।
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ठाकरे के खिलाफ पुलिस में 23 शिकायतें दर्ज
हलफनामे के मुताबिक, उनकी पत्नी रश्मि बिजनेसवूमन हैं, वह शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' की संपादक भी हैं। ठाकरे के पास कोई कार नहीं है, उनके खिलाफ पुलिस में 23 शिकायतें दर्ज हैं जिनमें से 14 'सामना' और 'मानहानिकारक' सामग्री या कार्टून से संबंधित हैं।
ठाकरे के दोनों बेटे उनपर निर्भर नहीं
उद्धव ठाकरे के पास 76.59 करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें से 52.44 करोड़ रुपए की अचल और 24.14 करोड़ रुपए की चल संपत्ति है, जबकि उनकी पत्नी के पास 65.09 करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें से 28.92 करोड़ रुपए की अचल और 36.16 करोड़ रुपए की चल संपत्ति है, उन्होंने अपने दोनों को बेटों को उनपर निर्भर नहीं बताया है।
विपक्षी भाजपा ने चार प्रत्याशी उतारे हैं...
गौरतलब है कि 24 अप्रैल को नौ सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद विधान परिषद की नौ सीटें रिक्त हुई थीं, इन सीटों पर सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी के दल, शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने पांच प्रत्याशी उतारे हैं, विपक्षी भाजपा ने चार प्रत्याशी उतारे हैं। नौ सीटों पर 9 ही प्रत्याशी होने के चलते चुनाव की जरूरत नहीं होगी और सभी को निर्विरोध चुन लिया जाएगा।
उद्धव नवंबर 2019 में बने थे सीएम
उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के सीएम की शपथ ली थी। उद्धव ठाकरे अभी तक विधानसभा या विधान परिषद में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 6 माह के भीतर किसी एक सदन के लिए निर्वाचित होना जरूरी है