73 साल के ये डॉक्टर असल मायने में हैं 'भगवान', रोजाना 10 KM साइकिल चलाकर घर-घर जाकर कर रहे गरीबों का इलाज
73 साल के ये डॉक्टर असल मायने में हैं 'भगवान', रोजाना 10 KM साइकिल चलाकर घर-घर जाकर कर रहे गरीबों का इलाज
मुंबई। डॉक्टर को "धरती के भगवान" का दर्जा दिया गया है। मानवता की सेवा करने की वजह से समाज में डॉक्टरों का विशेष सत्कार मिलता है। डॉक्टरी ही एक ऐसा प्रोफेशन है जिस पर व्यक्ति आंख बंद कर विश्वास करता है। कोरोना जैसी महामारी में डाक्टरों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों का इलाज कर नया जीवन दान दिया है। ऐसे ही एक डाक्टर महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के 87 वर्षीय डाक्टर रामचंद दावेकर हैं जिन्होंने इस कोरोना काल में भी मरीजों की सेवा करके एक बार ये फिर से साबित कर दिया है कि असल मायने में डॉक्टर को "धरती के भगवान" हैं।
घर-घर जाकर गरीबों का इलाज कर रहे हैं
डाक्टर रामचंद दावेकर महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के होम्योपैथी डाक्टर हैं जो कोरोना महामारी में भी 87 वर्ष की उग्र में हर दिन 10 किलोमीटर साइकिल चला कर गांवों में जाकर के लोगों के घर-घर जाकर गरीबों का इलाज कर रहे हैं। साइकिल चलाते हुए जब कभी वो थक जाते हैं तो साइकिल को ढकेलते हुए पैदल चलना आरंभ कर देते हैं।
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60 वर्षों से निरंतर यूं ही कर रहे गरीबों की सेवा
कोरोना काल में ही नहीं वह पिछले 60 वर्षों से अपनी साइकिल से गांव-गांव जाकर गरीबों के घर जाकर उनका इलाज कर रहे हैं। पिछले 60 वर्षों में बिना नागा किए लगभग रोजाना दूर-दराज के गांवों में जाते हैं और लोगों का इलाज कर उनकी स्वस्थ्य कर रहे हैं। जाड़ा हो या गर्मी या फिर बरसात डाक्टर दावेकर हर दिन अपनी साइकिल पर दवाइयों का थैला और अन्य जरुरी चिकित्सीय सामग्री लेकर हर दिन अपनी साइकिल पर डोर-टू-डोर सर्विस के लिए निकल पड़ते हैं।
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मुझे ऐसा कोई डर नहीं है
एक प्रश्न के जवाब में डॉक्टर रामचंद्र दानेकर ने कहा कि आजकल के कुछ युवा डाक्टर इस महामारी में लोगों का इलाज करने से डर रहे हैं लेकिन मुझे ऐसा कोई डर नहीं है। आजकल, युवा डॉक्टर केवल पैसे के पीछे भाग रहे हैं। वे गरीबों की सेवा नहीं करना चाहते। चिकित्सक का सबसे बड़ा धर्म मरीजों की सेवा करना है, उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में चिकित्सा क्षेत्र में हमारे देश ने चाहे जितनी तरक्की कर ली हो लेकिन गांवों में अभी भी बड़ी संख्या में मरीज सही समय पर इलाज न मिल पाने के कारण अपनी जान गंवा देता है। इसलिए युवा डाक्टरों को गांवों में गरीबों के इलाज के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीबों की मुंह से निकली दुआ में जो दम है वो किसी फीस में नहीं।
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