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महाराष्‍ट्र: सरकार बनाने के लिए बीजेपी शिवसेना को देगी सरकार में 40 फीसदी हिस्‍सेदारी का ऑफर!

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बेंगलुरु।महाराष्‍ट्र में भाजपा और शिवसेना के गठबंधन की गांठ सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। दोनों पार्टियों के बीच तल्ख्यिां बढ़ती ही जा रही हैं। अगर भाजपा और शिवसेना की गठबंधन की सरकार चाहिए तो ऐसे में बीच का रास्‍ता निकालना बहुत जरुरी हैं।

भाजपा दे सकती हैं ये ऑफर

भाजपा दे सकती हैं ये ऑफर

महाराष्ट्र में शिवसेना जो ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग लेकर अड़ी है उसको साधने के लिए भाजपा अब एक नए फार्मूले पर विचार कर रही हैं। वह कभी भी शिवसेना को इस नये ऑफर की पेशकश कर सकती है। शिवसेना को साधने के लिए भाजपा राज्य व केंद्र में उसकी हिस्सेदारी बढ़ाने की पेशकश कर सकती है। माना जा रहा है कि केंद्र में मंत्रिमंडल का विस्तार कर केन्‍द्र सरकार में शिवसेना को दिए जा सकते हैं।साथ ही राज्य में उपमुख्यमंत्री के अलावा सरकार में 50 नहीं 40 फीसदी की हिस्सेदारी की पेशकश भी की जा सकती है। इसे भाजपा का सबसे बड़ा समझौता फार्मूला माना जा रहा है।

भाजपा भी खुलकर मैदान में आ चुकी है

भाजपा भी खुलकर मैदान में आ चुकी है

बता दें भाजपा-शिवसेना की ओर से विगत दिवस दिनभर बयानबाजी होती रही। पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बयान जारी कर शिवसेना के 50-50 के फार्मूले के दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद शिवसेना ने सरकार के गठन को लेकर शाम को भाजपा के साथ होने वाली बैठक रद्द कर दी। वहीं शिवसेना के रवैये से नाराज गृहमंत्री और भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने अपना महाराष्‍ट्र दौरा रद्द कर दिया। गौर करने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे आने के पांच दिन बाद भी भाजपा-शिवसेना सरकार गठन के लिए एक साथ आने में कामयाब नहीं हो सके हैं। शिवसेना लगातार भाजपा पर दबाब बनाए हुए और शुरुआत में संयम बरतने के बाद अब भाजपा भी खुलकर मैदान में आ गई है।

क्या शिवसेना की मांगे जायज हैं

क्या शिवसेना की मांगे जायज हैं

कर्नाटक के सियासी नाटक के बाद महाराष्ट्र में भी सत्ता पर काबिज होने के लिए महाराष्‍ट्र में भी फुल ड्रामा हो चल रहा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि भाजपा के इस प्रस्‍ताव को शिवसेना ठुकरा देती है तो शिवसेना को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा सांसद संजय काकड़े ने टीवी चैलन में यह दावा किया है कि शिव सेना के 45 नवनिर्वाचित विधायक किसी भी क्षण भाजपा के पाले में आकर उसे सरकार बनाने में मदद कर सकते हैं। जैसे-जैसे दिन बीतेंगे भाजपा और शिव सेना के बीच की कड़वाहट बढ़ेगी। भले ही इस विधान सभा चुनाव के बाद शिवसेना ये कह रही हो कि पहले ढ़ाई साल सत्ता सुख वो भोगेगी मगर पार्टी के लिए ये कहीं से भी आसान नहीं होगा क्योंकि महाराष्ट्र में शिवसेना को मिला जनादेश साथ ही सीटों की वो संख्या जिसपर शिवसेना ने चुनाव लड़ा। महाराष्ट्र का सियासी महाभारत को देखकर ये कहना गलत नहीं होग कि सूबे में शिवसेना अपनी हैसियत से ज्यादा की मांग कर रही है। साथ ही जिस तरह की मांग शिवसेना भाजपा से कर रही है उन्हें देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि आज शिव सेना, भाजपा से जो भी मांगें मनवाने का प्रयास कर रही है वो पूर्णतः नाजायज हैं।

 निर्दलियों पर हैं दोनों पार्टियों की है नज़र

निर्दलियों पर हैं दोनों पार्टियों की है नज़र

हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 105 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा और 56 सीटों पर विजेता बनी शिवसेना में इस बात को लेकर संघर्ष हो रहा है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा और सत्ता की मलाई किसकी कटोरी में आएगी। ऐसे में दोनों ही दलों ने निर्दलियों को रिझाने की शुरुआत कर दी है। भाजपा जानती है कि यदि वो निर्दलियों को मानाने में कामयाब हो जाती है तो संख्या बल के कारण वो शिवसेना को कहीं पीछे छोड़ देगी। उस स्थिति में शायद ही शिवसेना कोई बड़ी डिमांड रख पाए। वहीं बात अगर शिवसेना की हो तो अगर ये निर्दलीय उसके पाले में आ जाते हैं तो इसका सीधा फायदा पार्टी को मिलेगा जिसके दमपर वो आने वाले वक़्त में भाजपा को बड़ी चुनौती दे सकती है। निर्दलियों को लेकर जो सबसे दिलचस्प बात सामने आ रही है वो ये कि 5 में से 3 निर्दलियों ने शिवसेना के मुकाबले भाजपा पर ऐतबार करना बेहतर समझा।

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एनसीपी है बड़ा विकल्‍प

एनसीपी है बड़ा विकल्‍प

बात अगर 2014 के चुनावों की हो तो शिवसेना और भाजपा दोनों की राहों में रोड़ा डालने का काम एनसीपी ने किया था मगर बात जब 2019 के इस विधानसभा चुनावों की हो तो इस बार एनसीपी ने ये साफ़ कर दिया है कि वो न तो भाजपा के साथ है और न हो वो शिवसेना के पाले में जाएगी। यानी जो रुख इस बार एनसीपी का महाराष्ट्र में है वो ये साफ़ बता रहा है कि यदि इस बार एनसीपी खेल बना नहीं रही है तो वो बिगाड़ेगी भी नहीं। महाराष्ट्र में जो सत्ता की कवायद चल रही है उसके बाद एक बड़ा सवाल ये भी बना हुआ है कि क्या शिवसेना के लिए एनसीपी संकट मोचक की भूमिका में आ सकती है ?

ज्ञात हो कि महाराष्ट्र विधानसभा के अंकगणित में एनसीपी और कांग्रेस भी अहम भूमिका में हैं। शिवसेना के पास दो ही विकल्प हैं। या तो वह भाजपा के साथ सरकार बनाए या फिर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर नया विकल्प खड़ा करे। भाजपा के पास भी शिवसेना के दूर होने पर एनसीपी का सबसे बड़ा विकल्प है।

ये है गणित

महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीट हैं। भाजपा को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, जबकि कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 145 है।

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Comments
English summary
It seems difficult to form a BJP-Shiv Sena coalition government in Maharashtra. In such a situation, the BJP will offer the Shiv Sena the post of Deputy Chief Minister with 40% stake in the government and others.
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