Maharashtra: भाजपा का ऑपरेशन लोटस बढ़ाएगा अन्य दलों की मुश्किल
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग जाने के बाद कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने की किसी भी जल्दबाजी में नहीं है। लेकिन राष्ट्पति शासन लग जाने के बाद प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से सियासी गणित साधने में सक्रिय हो गई है और उसके लिए नए विकल्प खुल गए हैं। राष्ट्रपति शासन लग जाने के बाद भाजपा प्रदेश में सरकार बनाने की कोशिश में एक बार फिर से नए सिरे से जुट गई है।
प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में 105 सीटों पर जीत दर्ज की है और उसे प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 40 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 विधायक हैं, ऐसे में प्रदेश में बहुमत का आंकड़ा 145 है। भाजपा प्रदेश में 29 निर्दलीय विधायकों को साधने के साथ-साथ अन्य दलों के विधायकों को भी अपने साथ लाने की कोशिश करेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में काफी उठापटक देखने को मिल सकती है।
ऑपरेशन कमल
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नारायण राणे ने कहा कि मैं देवेंद्र फडणवीस से मिला और उनसे कहा कि हमे सरकार बनाने की कोशिश करनी चाहिए। हम सरकार बनाने के लिए जो भी संभव है वह करेंगे। इस पूरी प्रक्रिया में मैं अपनी पार्टी की पूरी मदद करूंगा। मुझे नहीं लगता है कि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ जा सकती है। उन्हें बेवकूफ बनाया गया है। भाजपा नेता के इस बयान से साफ है कि भाजपा प्रदेश में ऑपरेशन लोटस की शुरुआत कर सकती है, जैसा कि पार्टी ने कर्नाटक में किया था और सरकार बनाने में सफलता हासिल की थी।
भाजपा विधायकों को साधने की कोशिश करेगी
एचटी की खबर के अनुसार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने सोमवार को बताया कि अगर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगता है तो पार्टी शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों का समर्थन हासिल करने की कोशिश करेगी। लेकिन मंगलवार को भाजपा की कोर कमेटी की बैठक के बाद भाजपा ने इंतजार और महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर बनाए रखने की बात कही थी। भाजपा नेता सुधीर मुंगाटीवार ने कहा था कि हम प्रदेश की राजनीति पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना को अभी तक समर्थन नहीं दिया है, हमने बैठक में इन तमाम मसलों पर चर्चा की है।
भाजपा ने शिवसेना पर फोड़ा ठीकरा
मुंगटीवार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के लिए शिवसेना को जिम्मेदार ठहराया है, उन्होंने कहा कि यह जनता के फैसले का अपमान है। साथ ही उन्होंने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के राज्यपाल के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कोई भी दल प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर सकी। जिन लोगों ने दावा किया था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या है वो अपने सहयोगी दलों से समर्थन का पत्र हासिल करने में विफल रहे। हमने भी 24 घंटे का अतिरिक्त समय मांगा था, लेकिन राज्यपाल ने हमे अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया था।
गतिरोध खत्म करने की कोशिश
इस तरह की रिपोर्ट भी सामने आई थी कि जाने माने उद्योगपति ने शिवसेना से संपर्क साधा था और कहा था कि वह सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करें ताकि भाजपा के साथ चल रहा गतिरोध खत्म हो सके। वहीं राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया, बावजूद इसके लिए लोगों ने महायुति को पूर्ण बहुमत दिया। मुझे उम्मीद है कि प्रदेश को जल्द ही स्थिर सरकार मिलेगी। महाराष्ट्र में बारिश की वजह से किसानों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में इन मसलों पर जल्द काम करने की जरूरत है।
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