महाराष्ट्र: निकाय चुनाव से पहले बीजेपी ने शिवसेना को दिया बड़ा झटका, औरंगाबाद में तोड़ा गठबंधन
औरंगाबाद। महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना ने बीजेपी के सामने मुख्यमंत्री पद को लेकर शर्त रख दी थी और इसके बाद दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए थे। बीजेपी ने शिवसेना की शर्त नहीं मंजूर की थी जिसके बाद पार्टी ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना लिया था। वहीं, इस घमासान का असर निकायों में दिखाई देने लगा है। बीजेपी ने औरंगाबाद महानगर पालिका में शिवसेना से गठबंधन तोड़ लिया है।
औरंगाबाद महानगर पालिका में टूटा बीजेपी-शिवसेना गठबंधन
औरंगाबाद महानगर पालिका के डिप्टी मेयर और बीजेपी नेता विजय औताड़े ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन यहां 27 सालों से सत्ता पर काबिज था। बता दें कि 112 सीटों वाली महानगर पालिका में शिवसेना के 29 काउंसिलर हैं जबकि भारतीय जनता पार्टी के 22 काउंसिलर हैं। वहीं, कांग्रेस के 8 काउंसिलर हैं और एनसीपी के 4 काउंसिलर हैं, जबकि अन्य के 24 काउंसिलर इस महानगर पालिका में हैं।
डिप्टी मेयर विजय औताड़े ने दिया इस्तीफा
बीजेपी का महानगर पालिका में शिवसेना से अलग होने का फैसला उद्धव ठाकरे की पार्टी के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़कर शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाया था। वहीं, बीजेपी ने गठबंधन तोड़ने का फैसला ऐसे समय लिया है जब औरंगाबाद महानगर पालिका का चुनाव होने में केवल 4 महीने शेष है।
चार महीने बाद होना है अगला चुनाव
औरंगाबाद के बीजेपी नेताओं का कहना है कि शिवसेना के साथ गठबंधन में बने रहना असंभव था क्योंकि उन्होंने औरंगाबाद में 1,600 करोड़ रुपए की जलापूर्ति योजना को रोक दिया है। हालांकि, बीजेपी के इस फैसले पर शिवसेना का कहना है कि इससे पार्टी के नेतृत्व वाले महानगर पालिका में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनका इशारा शायद इस ओर था कि कांग्रेस-एनसीपी के अलावा अन्य काउंसिलर्स के साथ मिलकर वे नेतृत्व करते रहेंगे। इसके पहले, 2015 में औरंगाबाद महानगर पालिका के चुनाव हुए थे।