महाराष्ट्र: कोंकण के कद्दावर नेता नारायण राणे की पार्टी का भाजपा में विलय, शिवसेना को झटका
नई दिल्ली- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नाराणय राणे की पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का मंगलवार को बीजेपी में विलय हो गया। राणे की पार्टी का भाजपा में विलय करने का ये ऐलान कोंकण के सिंधुदुर्ग जिले की कणकवली में हुआ, जहां से राणे के बेटे नितेश राणे भाजपा के उम्मीवार हैं। इससे पहले ये चर्चा थी कि वे औपचारिक तौर पर बीजेपी में शामिल होंगे, लेकिन उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में पूरी पार्टी को ही सत्ताधारी दल में मिलाने का फैसला किया। राणे का ये फैसला शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है, क्योंकि करीब डेढ़ दशक का उनका राणे के साथ छ्त्तीस का आंकड़ा है।
नारायण राणे की पार्टी का बीजेपी में विलय
नारायण राणे के छोटे बेटे नितेश राणे अभी कणकवली के सीटिंग एमएलए हैं और इस चुनाव में पहले से ही बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। मंगलवार को उनकी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष के बीजेपी में विलय करने के मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, "कुछ दिन पहले नितेश राणे बीजेपी में शामिल हुए थे, आज निलेश भी शामिल हो गए। राणे साहब राज्यसभा के सदस्य हैं....वे तो पहले से ही बीजेपी के सदस्य हैं।" उन्होंने ये कहकर राणे की तारीफ की है कि वे एक आक्रामक और मेहनती नेता हैं। गौरतलब है कि राणे बीजेपी के समर्थन से ही राज्यसभा में पहुंचे हैं। सबसे खास बात ये है कि अपने भाषणों में न तो फडणवीस और न ही राणे ने ही शिवसेना का जिक्र किया। हालांकि, फडणवीस ने भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ प्रत्याशी उतारने के लिए शिवसेना पर इशारों ही इशारों में तंज जरूर कस दिया। उन्होंने कहा कि, 'कणकवली में 60-65 % वोट नितेश को पड़ेंगे और दूसरों को 30-35 % वोट।' बता दें कि इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों पर तालमेल होने के बावजूद भी इस सीट पर उद्धव की पार्टी ने अपना उम्मीदवार इसलिए उतारा है, क्योंकि यहां से राणे के बेटे चुनाव लड़ रहे हैं।
राणे ने सीएम बनने का सपना छोड़ा!
नारायण राणे पिछले 14 साल से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की कोशिशों में चार-चार बार इधर से उधर हो चुके हैं। अब उनकी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का बीजेपी में शामिल हो जाने से ये साफ हो चुका है कि उन्होंने सीएम पद का सपना देखना छोड़ दिया है। अब वे सिर्फ अपने बेटे के लिए नई सरकार में कुछ बड़ा पद चाह रहे हैं। विलयके मौके पर उन्होंने कहा है, 'मैं फडणवीस के कार्य करने के तरीके से बहुत प्रभावित हूं। मैं तेजी से विकास सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी में शामिल हो रहा हूं। इस प्रक्रिया में मैं अपने तरीके से योगदान देना चाहता हूं।'
दो साल पहले बनाई थी नई पार्टी
नारायण राणे 1999 में शिवसेना-बीजेपी सरकार के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन, उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने की वजह से 2005 में उन्हें शिवसेना से निकाल दिया गया था। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए और पहले सीएम रहने के बावजूद मंत्री पद स्वीकार किया। लेकिन, मन में सीएम बनने का सपना लिए चल रहे राणे कांग्रेस में भी नहीं टिक सके। 2017 में उन्होंने कांग्रेस भी छोड़ दी और महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नाम से नई पार्टी बनाई जो बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का हिस्सा बन गई। लेकिन, शिवसेना और उद्धव ठाकरे को अभी तक राणे कुबूल नहीं हुए हैं। खबरों के मुताबिक बुधवार को उद्धव खुद उनके बेटे के खिलाफ चुनाव प्रचार करने पहुंचेंगे।
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