महाराष्ट्र में और बढ़ी रार, फडणवीस के बयान से खफा उद्धव ठाकरे ने रद्द की भाजपा के साथ बैठक
महाराष्ट्र में और बढ़ी रार, फडणवीस के बयान से खफा उद्धव ठाकरे ने रद्द की भाजपा के साथ बैठक
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को और सीएम पद को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच तकरार बढ़ती दिख रही है। दोनों दलों के बीच मंगलवार शाम को पहले से तय बैठक भी नहीं हो सकी है। सरकार गठन को लेकर दोनों दलों के बीच होने वाली बैठक को उद्धव ठाकरे की ओर से फडणवीस के बयान के बाद रद्द किया गया, जिसमें उन्होंने कहा है कि शिवसेना के साथ ढाई-ढाई साल सीएम पद को लेकर कभी कोई वादा नहीं हुआ था।
मंगलवार शाम होनी थी बैठक
सरकार गठन को लेकर शाम 4 बजे दोनों दलों के बीच बैठक होने वाली थी, जिसे उद्धव ठाकरे ने फडणवीस के बयान के बाद रद्द कर दिया। बैठक में शिवसेना और भाजपा के महाराष्ट्र के सीनियर लीडरान के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर को भी इसमें शामिल होना था।
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फडणवीस ने कहा, ढाई-ढाई साल जैसी कोई डील नहीं
शिवसेना की ढाई साल के लिए सीएम पद की मांग को लेकर मंगलवार को फडणवीस ने कहा है कि भाजपा की शिवसेना के साथ ऐसी कोई डील नहीं है। शिवसेना का दावा है कि इस साल लोकसभा चुनाव से पहले 50-50 फॉर्म्युले के तहत दोनों दलों से ढाई-ढाई साल तक सीएम को लेकर ठाकरे, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और फडणवीस के बीच सहमति बनी थी। ऐसे में अब वो तभी भाजपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन देगी, जब उसे लिखित में ढाई साल बाद सीएम पद देने की बात भाजपा कहेगी।
इस बीच मुंबई में बुधवार को भाजपा विधायक दल की बैठक होगी।केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना को मुंबई में कल आयोजित होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक के लिए पार्टी ने केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
नतीजों के बाद से ही शिवसेना-भाजपा में तकरार
महाराष्ट्र भाजपा के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि फडणवीस ढाई साल के फॉर्मूले से इनकार कर रहे हैं, शिवसेना दावा कर रही है कि ऐसा हुआ था। ऐसे में अमित शाह और उद्धव ठाकरे को आपस में बात कर मामले को साफ करना चाहिए।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव में बीजेपी के 105 और शिवसेना के 56 विधायक जीते हैं। कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटों पर जीत मिली है। बहुमत के लिए यहां 145 सीटों की जरूरत है, ऐसे में साफ है कि कोई एक पार्टी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती है। भाजपा-शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा है और दोनों दलों की सीटें भी बहुमत के आंकड़े से ज्यादा हैं लेकिन नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर अड़ी हुई है, वहीं भाजपा इस पर तैयार नहीं है।