अमिताभ-माधुरी को फंसा कर सरकार खुद उलझा रही मैगी के नूडल्स
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। मैगी में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक तत्व पाये जाने की खबर ने देश के आम जनमानस को चिंतित कर दिया। इस से बड़ी हैरानी की बात यह है कि इस प्रकरण में पर मैगी बनाने वाली कंपनियों व उसकी गुणवत्ता की जांच करने वाले सरकारी विभाग पर मामला दर्ज कराने के बजाय मैगी के प्रचार करने वाले अमिताभ बच्चन, माधुरी व प्रीति जिंटा जैसी फिल्मी कलाकारों को दोषी माना जा रहा है।
सच पूछिए तो सरकार अमिताभ-माधुरी को इस मामले में खींच कर मैगी के नूडल्स को खुद उलझा रही है। ताकि जांच भटक जाये और 2 मिनट में पकने वाली इस मैगी का विवाद 2 दशक तक चले और गुनहगार अधिकारी बच निकलें।
कलाकारों पर कार्रवाई
अब केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अतिरिक्त सचिव जी गुरुचरण ने कहा, अगर किसी कंपनी का ब्रैंड एंबेसडर विज्ञापन में उन खास गुणों के बारे में बोलता है, जो कि उत्पाद में नहीं पाए जाते हैं, तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।
Think.
If
@MadhuriDixit
is
responsible
for
endorsing
a
brand
not
acceptable
then
by
that
logic
TV
Channels,Radio,hoardings
are
culprits
too!
—
rishi
kapoor
(@chintskap)
June
1,
2015
अभियान चले
जानकार कहते हैं कि इस केस में तत्काल पूरे बाजार व गोदामों से मैगी को जब्त कर इसे नष्ट करने का युद्धस्तर पर अभियान चलाने के साथ इसके दोषी निर्माता व इस खाद्य पदार्थों की जांच करने के लिए जिम्मेदार सरकारी जांच एजेंसियों पर मामला दर्ज होना चाहिए था।
जांच के आदेश
वरिष्ठ लेखक देव सिंह रावत कहते हैं कि देश के सभी राज्यों के विभिन्न जगहों से मैगी नूडल्स के नमूने लेकर केंद्र सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। यही नहीं मैगी के ब्रांड एंबेसडर पर भी गाज गिराने का मन बना लिया है। वहीं सरकारी विभाग अपने गुनाहों को कलाकारों के सर थोप कर यह बहाना बना रही है कि घटिया चीजों को बढ़िया बताकर उपभोक्ताओं को लुभाने वाले ब्रांड एंबेसडरों को सरकार ने कड़ी चेतावनी दी है। वहीं सरकार ने इसके बाबजूद आज तक देश में सेहत से खिलवाड़ करने वाले खाद्य पदार्थो, पेयों, आदि की कोई सूची प्रमुखता से जारी नहीं की है।
नहीं बिक सकते
विदेशों में जिन वस्तुओं, दवाईयों, खाद्य पदार्थो व पेयों आदि को वहां की सरकार ने सेहतके लिए हानिकारक मान कर प्रतिबंध लगा रखा है। वहां इन हानिकारक घोषित चीजों को कोई बाजार में नहीं बेच सकता। रावत कहते हैं कि विदेशों में सरकार जनता को बार-बार सावधान भी करती। परन्तु भारत में सरकार अपने इस दायित्व का कहीं निर्वहन नहीं करती।
इन हानिकारक पदार्थों के बारे में सरकार ने अभी तक प्रमुखता से कहीं कोई सूची जारी नहीं की। कहीं ऐसे पदार्थो को हानिकारक पाया भी तो उसकी सूचना जनता को जागृत करने व व्यापारियों से इसे न बेचने के लिए कहीं अभियान नहीं चलाया। फाइलों में दफन कर दिया जाता है मोटे कमीशन के चक्कर में।