मदरसों की वजह से फैलते हैं धार्मिक फसाद, खुलेआम चलाएं जाते हैं इस्लामिक मूवमेंट: वसीम रिजवी
नई दिल्ली। अपने बयानों को लेकर अकसर सुर्खियों में रहने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार उन्होंने ये कहा है कि धार्मिक फसाद फैलने की वजह मदरसे हैं। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल समेत भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहे मदरसे कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा है कि दारुल उलूम और मदरसों में संदिग्ध विदेशी कट्टरपंथी पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा कुछ विदेशी छात्र बनकर भी रह रहे हैं। रिजवी ने दावा किया है कि दारुल उलुम देवबंद में एक बांग्लादेशी नागरिक अपनी असली पहचान छिपाकर भारतीय पहचान के साथ रह रहा है। रिजवी का दावा है कि यह विदेशी शख्स भारत में खुलेआम इस्लामिक मूवमेंट चला रहा है।
रिजवी ने केंद्र व यूपी सरकार को एक रिपोर्ट भेजकर दारुल उलूम देवबंद और सीमा के मदरसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। रिजवी ने शनिवार को कहा कि दारुल उलूम और पश्चिम बंगाल से कश्मीर तक बर्मा व नेपाल और पाकिस्तान सीमा से सटे ज्यादातर मदरसों में हिंदू और शिया समाज के खिलाफ कट्टरपंथी मानसिकता तैयार की जा रही है। इसकी वजह से फसादात हो रहे हैं। रिजवी ने देश के कुछ मौलानाओं पर आतंकवाद को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये भारत माता की जय कहने को तैयार नहीं हैं क्योंकि ये भारत के हैं ही नहीं।
गौरतलब है कि इससे पहले भी वसीम रिजवी ने मदरसों पर कट्टरवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। रिजवी ने जनवरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों को 'मानसिक कट्टरवाद' को बढ़ावा देने वाला बताते हुए उन्हें स्कूल में तब्दील करने और उनमें इस्लामी शिक्षा को वैकल्पिक बनाने का अनुरोध किया था। रिजवी ने पत्र में यह भी दावा किया था कि मदरसों में गलत शिक्षा मिलने की वजह से उनके विद्यार्थी धीरे-धीरे आतंकवाद की तरफ बढ़ जाते हैं।