मद्रास हाईकोर्ट ने इस बड़ी वजह से घटाई एड्स के रोगी की सजा
चेन्नई। मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को मानवीय आधार पर लगभग तीन दशक पुराने धन शोधन मामले में एड्स रोगी को निचली अदालत के एक साल के सजा के फैसले को पलटते हुए उसे एक महीने कर दिया है। लेकिन हाईकोर्ट दोषी पर लगे फाइन को बढ़ा दिया है। इसके साथ-साथ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने दोषी को अपनी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए पुनर्विचार याचिका की अनुमति भी दे दी है।
हालांकि हाई कोर्ट के जस्टिस ने मामले की सुनवाई करते हुए दोषी पर दोनों मामलों में जुर्माना की राशि 500 रुपए से बढ़ाकर प्रत्येक मामले में 5000 रुपए कर दी है। सुनवाई के दौरान जस्टिस ने अपने आदेश में कहा कि मैं यह देख रहा हूं कि बीमारी की प्रकृति और दोषी के पीड़ा को देखते हुए मानवीय आधार पर कारावास की सजा को एक महीने की अवधि किया जाना चाहिए। बता दें कि याचिकाकर्ता ने, 1991 में वेल्लोर जिले में प्राथमिक कृषि सहकारी बैंक के प्रभारी सचिव के रूप में काम करते हुए कई लाख रुपए की धन की हेराफेरी की थी।
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इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा 2010 और 2013 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें प्रत्येक मामले में एक-एक साल के कारावास और 500 रुपए के जुर्माने का फैसला सुनाया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने मामले निचली अदालत की ओर रुख किया, जहां कोर्ट ने उनकी स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए कठोर कारावास की सजा को कम कर दिया था। लेकिन दोषी इस बात से परेशान था कि जेल में रहने की वजह से उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इस दौरान संशोधन याचिका को खारिज करते हुए, न्यायाधीश ने कहा कि सरकारी वकील ने भी इस तथ्य को सामने नहीं रखा था कि आरोपी एड्स से पीड़ित है।
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