MP: उपचुनाव से पहले शिवराज के 2 मंत्रियों की छिन गई कुर्सी, ये नियम आया आड़े
भोपाल। मध्य प्रदेश में उपचुनाव (Madhya Pradesh By Elections 2020) से पहले शिवराज सरकार के दो मंत्रियों की कुर्सी छिन गई है। सरकार के दो मंत्री तुलसीराम सिलावट (Tulsiram Silawat) और गोविंद राजपूत (Govind Singh Rajput) की मंत्री पद की समय सीमा आज 21 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। दोनों मंत्रियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंर चौहान को अपना इस्तीफा दे दिया है। हालांकि अगर वह इस्तीफा न देते तो भी उनका पद स्वतः ही खाली हो जाता। वहीं इस बीच राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी भोपाल पहुंच गई हैं। पद खाली होने की स्थिति में सरकार दोनों पदों को किसी अन्य को देने की अधिसूचना जारी करेगी।
Recommended Video
ये है नियम
नियम के मुताबिक कोई भी सदस्य विधानसभा का सदस्य बने बिना सिर्फ 6 महीने तक ही मंत्री पद पर रह सकता है। छह माह पूरे होने पर स्वतः ही पद उससे छिन जाएगा। गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट ने सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत करके भाजपा का साथ अपना लिया था। इसके चलते उन्हें विधायकी छोड़नी पड़ी थी। बाद में शिवराज सरकार के गठन के समय राजपूत को परिवहन व राजस्व विभाग दिया गया था जबकि तुलसीराम सिलावट को जल संसाधन विभाग मिला था।
21
अप्रैल
को
बने
थे
मंत्री
दोनों
21
अप्रैल
को
कैबिनेट
मंत्री
बनाया
गया
था।
नियमों
के
मुताबिक
बिना
सदन
का
सदस्य
बने
कोई
व्यक्ति
अधिकतक
छह
माह
तक
ही
मंत्री
रह
सकता
है।
उसके
बाद
उसे
पद
से
हटना
होगा।
ऐसे
में
यह
समय
सीमा
20
अक्टूबर
को
समाप्त
हो
गई
है।
यही
वजह
है
कि
दोनों
मंत्री
पद
भी
खाली
हो
गए
हैं।
इसके
साथ
ही
दोनों
को
मिलने
वाली
मंत्री
पद
की
सुविधाएं
भी
छिन
जाएंगी।
वैसे
दोनों
नेता
उपचुनाव
के
मैदान
में
हैं
लेकिन
परिणाम
10
नवम्बर
तक
आएगा
जिसके
चलते
पद
छोड़ना
पड़ा
है।
राजपूत ने इस्तीफा देने पर कहा कि उन्होंने मंगलवार को ही मंत्री पद से इस्तीफा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज दिया है। राजपूत ने कहा कि उनके लिए पद नहीं मध्य प्रदेश का विकास और जनता की सेवा महत्वपूर्ण है। पहले भी मंत्री पद और विधायकी छोड़ चुका हूं।
दोनों
हैं
चुनाव
मैदान
में
राजपूत
सुरखी
विधानसभा
क्षेत्र
से
जबकि
सिलावट
सांवेर
से
एक
बार
फिर
चुनाव
मैदान
में
हैं
लेकिन
चुनाव
के
नतीजे
10
नवम्बर
को
आएंगे।
ऐसे
में
उसके
बाद
ही
दोनों
के
भविष्य
का
फैसला
हो
पाएगा।
सुरखी
में
राजपूत
का
मुकाबला
कांग्रेस
उम्मीदवार
पारुल
साहू
से
है।
खास
बात
ये
है
कि
जहां
राजपूत
भाजपा
से
कांग्रेस
में
गए
हैं
वहीं
पारुल
भाजपा
से
2013
में
चुनाव
लड़कर
राजपूत
को
हरा
चुकी
हैं।
वहीं
2018
का
विधानसभा
चुनाव
राजपूत
ने
27
हजार
वोट
के
बड़े
अंतर
से
जीता
है।
सिलावट अपनी पारंपरिक सांवेर विधानसभा से मैदान में हैं। जहां उनके सामने कांग्रेस के टिकट पर पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू हैं। सिलावट के लिए सांवेर क्षेत्र बहुत पुराना है। उतना ही पुराना उनका सिंधिया परिवार से रिश्ता है। यही वजह है कि इस सीट पर सिलावट के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी होगी।
MP: सांवेर सीट पर क्या फिर उगेगी तुलसी ? बगावत का हिसाब चुकता करने के लिए कांग्रेस भी है तैयार