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मध्यप्रदेश: भाजपा में जाकर दोहरे चक्रव्यूह में फंसे ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक

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मध्यप्रदेश: भाजपा में जाकर दोहरे चक्रव्यूह में फंसे ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक

जनसेवा और सम्मान की खातिर कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में गए सिंधिया समर्थकों का मंत्री बनने का सपना करीब ढाई महीने बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। भाजपा ने जबकि उन्हें हफ्तेभर में ही मंत्री पद से नवाजने का वादा किया था। पहले प्रदेश में बेकाबू हुए कोरोना संकट और अब राज्यसभा चुनाव ने सिंधिया समर्थकों की इस बेसब्री को और बढ़ा दिया है। सिंधिया समर्थक विधायक भाजपा में जाकर दोहरे चक्रव्यूह में फंसते नजर आ रहे हैं। एक तो कांग्रेस से बागी होकर महाराज के साथ भाजपा में जाने का उन्हें अब तक ईनाम नहीं मिला है, दूसरी तरह उपचुनाव में फिर से जनता का सामना करने की उनकी हिम्मत भी टूट रही है। सूत्रो के मुताबिक कई सिंधिया समर्थक खुद अपनी जीत को लेकर आश्वास्त नहीं हैं। सिंधिया समर्थकों के सामने चुनौती केवल कांग्रेस से नहीं है, डेढ़ साल पहले जिन भाजपा विधायकों को हराकर वो विधानसभा पहुंचे थे, वो भी इन्हें टिकट दिए जाने को आसानी से पचा नहीं पा रहे हैं। हारे हुए ऐसे भाजपा उम्मीदवारों ने अभी से अपने तेवर दिखाने शुरु कर दिए हैं। भाजपा संगठन और उसके रणनीतिकारों ने अपने नेताओं और कांग्रेस से आए सिंधिया समर्थकों के मन भांपकर फिलहाल केवल राज्यसभा चुनाव पर फोकस कर दिया है। उधर सिंधिया की तरफ से मिले झटके का बदला लेने के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह आतुर दिख रही है। धोखा देने वाले ऐसे विधायकों के खिलाफ पार्टी ने चुन-चुनकर, इनकी हार सुनिश्चित करने के लिए अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं।

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लंबा हो रहा सिंधिया समर्थकों का मंत्री बनने का इंतजार

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सिंधिया समर्थकों को लगा था वादे के मुताबिक शिवराज सरकार का जल्द ही विस्तार किया जाएगा और उसमें बाकी सिंधिया समर्थकों को एडजस्ट किया जाएगा। शिवराज सिंह ने इस संबंध में एक सूची आलाकमान के पास भेजी भी थी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक खुद के समर्थकों की संख्या बहुत अधिक होने की वजह से उस सूची को आलाकमान से मंजूरी नहीं मिल पाई। बड़ी संख्या में शिवराज समर्थकों को जगह दिए जाने का भाजपा के भीतर से भी विरोध हो रहा था। संगठन औऱ आलाकमान ने इस सूची पर फिर से पुनर्विचार करने को कहा। अब नई सूची आने का इंतजार है। इस बीच अंतरिम विस्तार के लिए प्रशासनिक तैयारियों और कोरोना से जुड़ी चुनौतियों का हवाला देकर फिलहाल टाल दिया गया है। कैबिनेट में सिंधिया समर्थकों को करीब एक तिहाई हिस्सा दिए जाने का भी भाजपा के अंदर से विरोध हो रहा है।

अधीर हो रहे हैं सिंधिया समर्थक

अधीर हो रहे हैं सिंधिया समर्थक

कई सिंधिया समर्थव विधायक अपने निर्णय को लेकर अपने समर्थकों के बीच पछता रहे हैं। दरअसल उनकी चिंता डेढ़ साल बाद ही अपने क्षेत्र में जाकर फिर से जनता का समर्थन मांगने को लेकर है। वो भी विपक्षी दल के चुनाव चिन्ह पर जिसके उम्मीदवार को हराकर वो विधानसभा पहुंचे थे। मंत्री पद ना मिलने से वो जनता को इस बात को लेकर भी आश्वास्त नहीं कर सकते कि क्षेत्र में विकास औऱ बाकी कामों को एक विधायक की हैसियत की तुलना में और बेहतर ढंग से करा पाएंगे।

बागियों के सामने दोहरी चुनौती

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कांग्रेस से भाजपा में आए इन बागियों को चुनौती केवल कांग्रेस की तरफ से नहीं है, भाजपा के अंदर से भी इन्हें इनके क्षेत्रों में घेरने की पूरी कोशिश हो रही है। जैसे सांची से भाजपा उम्मीदवार रहे मुदित शेजवार ने फेसबुक पोस्ट के जरिये अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। मुदित शेजवार के तेवरों के चलते कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक प्रभुराम चौधरी को मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है। डेढ़ साल पहले पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार को प्रभुराम चौधरी ने हराया था। सांवेर से तुलसी सिलावट और सुरखी क्षेत्र से गोविंद राजपूत के लिए भी इसी तरह की मुश्किलों से दो-चार होना पड़ रहा है। कमलनाथ सरकार गिराने में साथ देने के लिए सिंधिया के दो समर्थक विधायकों को मंत्री जरूर बना दिया गया लेकिन भाजपा के लोग और अफसरान अभी तक उन्हें उस तरह स्वीकार नहीं कर पाए हैं।

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अपनों को मनाने में जुटे भाजपा के हैवीवेट

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सिंधिया समर्थकों के खिलाफ अपनी पार्टी के नेताओं के बागी रुख को भांपकर भाजपा संगठन इन्हें मनाने और संयत रहने की कोशिशों में जुट गया है। प्रदेश अध्यक्ष अपने नेताओं से अपील कर रहे हैं कि वो भाजपा सरकार को पूर्ण बहुमत दिलाने के लिए सिंधिया समर्थकों की जीत किसी तरह सुनिश्चित करें। पूरे मालवा इलाके में अपनी अच्छी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय भी तुलसी सिलावट के खिलाफ अपने नेताओं की मान-मनौव्वल में जुटे हुए हैं।

बागियों को घेरने के लिए कांग्रेस ने बनाई रणनीति

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अपनी सरकार के पटाक्षेप के समय कमलनाथ ने कहा था कि ये इंटरवल है। सिंधिया समर्थकों की तरफ से मिली चोट की टीस उन्हें अब तक साल रही है। इसलिए उन्होंने सिंधिया के कुछ खास समर्थकों को अपने रडार पर ले लिया है। दोनों मंत्री गोविंद राजपूत और तुलसी सिलावट उनमें खास हैं। गोविंद राजपूत के इलाके में घेरने के लिए दिग्विजय सिंह भी चक्कर लगाकर आ चुके हैं। ग्वालियर में सिंधिया समर्थकों को घेरने के लिए कांग्रेस, माधवराव सिंधिया के मित्र रहे पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ला को पार्टी में लेकर आई है। ग्वालियर में प्रद्यम्न सिंह और मुन्नालाल गोयल खासतौर पर कांग्रेस के निशाने पर हैं। निमाड़ इलाके में सिंधिया समर्थक हरदीप सिंह डंग के खिलाफ मीनाक्षी नटराजन को उतारने के लिए मनाया जा रहा है। डबरा में इमरती देवी और बम्हौरी में महेंद्र सिंह सिसौदिया को घेरने का भी कांग्रेस पुख्ता प्लान तैयार कर रही है।

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English summary
Madhya Pradesh: Supporters MLA of Jyotiraditya Scindia trapped in double problem by going to BJP
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