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मध्य प्रदेश: भाजपा सरकार के ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में FIR, शिवराज के करीबियों से हो सकती है पूछताछ

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भोपाल। मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय हुए ई-टेंडरिंग घोटाले मामले में राज्य सरकार की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) एफआईआर दर्ज की है। कथित तौर पर शिवराज सिंह की सरकार के समय सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ कर खास कंपनियों को फायदा पहुंचाते हुए उनको टेंडर दिए गए। इस घोटाले को 3 हजार करोड़ का बताया जा रहा है।

टेंपरिंग कर सात कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया

टेंपरिंग कर सात कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया

इकोनॉमिक ऑफेंस विंग के डीजी केएन तिवारी ने बताया कि करीब तीन हजार करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में नई दिल्ली के कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। राज्य सरकार के 5 विभागों के 9 टेंडरों के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ करके खास कंपनियों को को टेंडर दिए गए। इसमें पाया गया कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ करके खास कंपनी को लाभ पहुंचाया गया। मध्य प्रदेश के पांच विभागों में ये टेंडर दिए गए। ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संसाधन विभाग के दो, मप्र सड़क विकास निगम के एक और लोक निर्माण की पीआईयू के एक, कुल मिलाकर नौ टेंडर में सॉफ्टवेयर के जरिए छेड़छाड़ की गई। इसके जरिए सात कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।

मामले में मध्य प्रदेश सरकार के अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों के अलावा सात कंपनियों के डायरेक्टर, अज्ञात राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

कई जगह छापेमारी

कई जगह छापेमारी

मामले में एफआईआर होने के बाद बुधवार शाम से ही ईओडब्ल्यू ने गुरुवार को मानसरोवर स्थित ओस्मो फाउंडेशन के दफ्तर पर दबिश दी। कंपनी के तीन अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है। इनसे पूछताछ की जा रही है। मामले में पूर्ववर्ती सरकार के कुछ प्रभावशाली नेताओं के नाम भी सामने आने की बात कही जा रही है।

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क्या है कथित ई टेंडरिंग घोटाला

क्या है कथित ई टेंडरिंग घोटाला

शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए टेंडर दिए जाने में कथित घपले का मामला सामने आया था। सबसे पहले आरोप लगा कि तीन हजार करोड़ के टेंडर पसंदीदा कंपनी को देने के लिए टेंपरिंग की गई। मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रनिक डेवलपमेंट कर्पोरेशन लिमिटेड के ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के संचालन का काम जब सॉफ्टवेयर कंपनियों के पास था। तब यह बात सामने आई थी कि सॉफ्टवेयर कंपनियों के सहारे टेंडर हासिल करने वाली निर्माण कंपनियों ने मनमाफिक दरें भरकर अनधिकृत रूप से दोबारा निविदा जमा कर दी। इससे टेंडर चाहने वाली कंपनी को मिल गया। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने वचन-पत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था।

मध्य प्रदेश से जुड़ी लोकसभा चुनाव 2019 की विस्तृत कवरेज के लिए क्लिक करें

Comments
English summary
fir in madhya pradesh shivraj singh chouhan regime e tendering scam case
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