Madhya Pradesh Political Drama : एमपी में बहुमत परीक्षण पर सस्पेंस खत्म, जानिए होता क्या है Floor Test?
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद घिरी कमलनाथ सरकार के लिए ये फिलहाल राहत की खबर है, जबकि इसके पहले, प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ से कहा था कि वे 16 मार्च यानी सोमवार को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करें लेकिन सोमवार को विधानसभा में राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण के बाद सदन की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, जिसकी वजह से एमपी में बहुमत परीक्षण टल गया है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात की थी
मालूम हो कि इससे पहले आधी रात में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि फ्लोर टेस्ट पर स्पीकर फैसला लेंगे, वो पहले ही राज्यपाल को लिखित सूचना दे चुके हैं कि उनकी सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है, लेकिन बंधक बनाए गए विधायकों को पहले छोड़ा जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर फ्लोर टेस्ट होता क्या है और क्यों कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
क्या होता है फ्लोर टेस्ट
दरसअल नवगठित सरकार का विधानसभा या लोकसभा में बहुमत साबित करने को फ्लोर टेस्ट कहते हैं। फ्लोर टेस्ट तीन तरह से साबित होता है। पहला ध्वनिमत, दूसरा संख्याबल और तीसरा हस्ताक्षर के जरिए मतदान दिखाया जाता है।
फ्लोर टेस्ट तीन तरह से होता है..
- ध्वनिमत
- हेड काउंट या संख्याबल : जब विधायक सदन में खड़े होकर अपना बहुमत दर्शाते हैं।
- लॉबी बंटवारा : इसमें विधानसभा सदस्य लॉबी में आते हैं और रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं -हां' के लिए अलग लॉबी और 'न' के लिए अलग लॉबी होती है।
क्या है एमपी विधानसभा का गणित?
एमपी में 230 विधानसभा सीटें हैं लेकिन दो विधायकों के निधन हो जाने के चलते विधानसभा की मौजूदा सीट 228 हो गई है, किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए मैजिक नंबर 115 चाहिए होता है और जो तस्वीर इस वक्त विधानसभा में है उसके मुताबिक कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, जिसमें से 4 निर्दलीय, 2 बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी विधायक का समर्थन उसको मिला हुआ है, यानी मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं।
मुश्किल में कमलनाथ सरकार
लेकिन अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है, तो ऐसे में कांग्रेस बहुमत से दूर दिख रही है, जिसके हिसाब से एमपी में कमल का नाथ बनना मु्श्किल दिख रहा है, अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के पास महज 101 विधायकों का समर्थन रह जाएगा, जबकि सरकार चलाने के लिए जादुई आंकड़ा 104 हो जाएगा।ऐसे में बीजेपी 107 विधायकों के साथ आसानी से सरकार बना लेगी,यहां खास बात आपको यह बता दें कि सपा, बसपा और निर्दलीय पर दल बदल लागू कानून लागू नहीं होगा।
'बीजेपी ने विधायकों को बंधक बना लिया'
सिंधिया के समर्थक 22 कांग्रेस विधायक अचानक भोपाल से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु चले गए हैं, इन 22 विधायकों में से 6 कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे, हालांकि स्पीकर ने 6 मंत्रियों का इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन 16 विधायकों का इस्तीफा अभी उन्होंने स्वीकार नहीं किया है। जिसके लिए कांग्रेस लगातार बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि उसने उसके विधायकों को बंधक बना लिया है।
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