9 दिनों बाद मेधा पाटेकर ने समाप्त किया अपना अनिश्चितकालीन उपवास
भोपाल। मेधा पाटकर ने बड़वानी में 9 दिनों के बाद अपना अनिश्चितकालीन उपवास समाप्त का दिया। वह सरदार सरोवर बांध के शटर बंद करने और जल स्तर को 138.68 मीटर करने के गुजरात सरकार के कदम का विरोध कर रही थी। इससे पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य के पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद्र बेहार को अपने दूत के रूप में मेधा पाटकर से चर्चा के लिए बड़वानी जिले में भेजा था। मेधा पाटकर ने सोमवार देर रात नर्मदा किनारे छोटा बड़दा गांव में अनशन तोड़ा।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की तबीयत बिगड़ने का हवाला देते हुए भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनय विस्वम ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। बता दें कि मेधा पाटकर नर्मदा नदी पर गुजरात में निर्मित सरदार सरोवर बांध (एसएसडी) के मध्य प्रदेश के विस्थापितों के उचित पुर्नवास और ग्रामीणों को डूब से राहत के लिए बांध के गेट खोल पानी छोड़ने की मांग को लेकर 26 अगस्त से अनिश्चितकालीन 'सत्याग्रह' आंदोलन कर रही थीं। यह गांव एसएसडी के बैकवाटर के जलमग्न क्षेत्र में पड़ता है।
उससे पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मेधा पाटकर से अनशन खत्म करने की अपील की थी लेकिन मेधा ने इससे इनकार कर दिया था। सोमवार सुबह को प्रदेश की काबीना मंत्री विजयलक्ष्मी साघौ ने अनशन स्थल पर मेघा पाटकर से मिलकर उनसे अपना अनशन समाप्त करने का आग्रह किया और मुख्यमंत्री कमलनाथ से फोन पर उनकी बात भी करवाई। इसके बावजूद पाटकर ने अपना आंदोलन खत्म करने से इनकार कर दिया था। कमलनाथ ने इस मामले में एक वक्तव्य जारी कहा था, 'मेघा पाटकर और एनबीए के समस्त साथियों को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि मेरी सरकार डूब प्रभावितों के पूर्ण पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। डूब प्रभावितों के समस्त दावों और मुद्दों का संपूर्ण निराकरण, नर्मदा घाटी के गांव-गांव में शिविर लगाकर किया जाएगा।'