बवाल बढ़ते ही कमलनाथ सरकार ने वापस लिया नसबंदी वाला आदेश, जानिए क्या था मामला
भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नसबंदी को लेकर एक फरमान जारी किया था, जिसपर बवाल बढ़ गया था। सरकार के इस फरमान पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार को आड़े हाथों लिया था और कहा था कि मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? इस मामले पर बवाल बढ़ने के बाद सरकार ने आदेश वापस ले लिया है।
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की राज्य निदेशक छवि भारद्वाज को हटा दिया है। नसबंदी को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से स्वास्थ्य कर्मचारियों को आदेश जारी किया गया था कि कम से कम एक सदस्य की नसबंदी कराएं वरना उनको जबरन वीआरएस दे दिया जाएगा।
#UPDATE Madhya Pradesh govt removes National Health Mission state Director Chhavi Bharadwaj who issued the order informing male multi-purpose health workers that they would be compulsorily retired if they fail to convince even one man for sterilisation in 2019-20.
— ANI (@ANI) February 21, 2020
इसमें कहा गया था कि नसबंदी के टारगेट पूरा ना करने पर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा। इसमें कहा गया था कि स्वास्थ्य कर्मचारी कम से कम एक व्यक्ति की नसबंदी कराएं, नहीं तो उनको जबरन वीआरएस दे दिया जाएगा। इस आदेश पर शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा था कि क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक द्वारा जारी आदेश में कहा गया था कि कमलनाथ सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसबंदी के ऑपरेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है। ये टारगेट पूरा ना करने वाले कर्मचारियों को नो-वर्क, नो-पेमेंट के आधार पर वेतन से वंचित कर दिया जाएगा। इस आदेश पर कर्मचारियों का कहना था कि वे हर जिले में घर-घर जाकर परिवार नियोजन के बारे में लोगों को बता सकते हैं, समझा सकते हैं लेकिन लोगों की जबरन नसबंदी नहीं करा सकते हैं।