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आखिरी वक्त पर भाजपा ने पीछे खींचे पैर, वर्ना फिर सीएम बनते शिवराज

भाजपा ने एमपी में सरकार बनाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन ऐन वक्त पर उसने अपने पैर पीछे खींच लिए। जानिए क्यों?

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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में भाजपा को मिली हार के बाद कांग्रेस ने बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ राज्यपाल आनंदबेन पटेल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। कांग्रेस की ओर सीएम के नाम का ऐलान होते ही प्रदेश में सरकार गठन की तैयारियां तेज कर दी जाएंगी। 11 दिसंबर को आए चुनाव नतीजों में कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटें मिली हैं। कांग्रेस का कहना है कि उसके पास 121 विधायकों (बसपा-2, सपा-1 और अन्य-4) का समर्थन है। हालांकि, चुनाव परिणाम के ठीक बाद 109 विधायकों वाली भाजपा भी मध्य प्रदेश में फिर से सरकार बनाने की कोशिश में थी, लेकिन आखिरी वक्त पर पार्टी के रणनीतिकारों ने एक विशेष वजह से अपना प्लान बदल दिया।

भाजपा नेता के ट्वीट ने बढ़ाई सियासी हलचल

भाजपा नेता के ट्वीट ने बढ़ाई सियासी हलचल

मध्य प्रदेश में 11 दिसंबर को रात तक भी यह स्पष्ट नहीं था कि सरकार बनाने की स्थिति में भाजपा है या कांग्रेस। देर रात चुनाव आयोग ने जो परिणाम घोषित किया, उसके मुताबिक भाजपा को 109 सीटें मिलीं। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 116 सीटें चाहिए, इस गणित के हिसाब से भाजपा को 7 सीटों की जरूरत थी। चुनाव नतीजों के बाद भाजपा ने बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों से संपर्क साधना शुरू कर दिया। खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने 11 दिसंबर की आधी रात को करीब 1 बजे अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'प्रदेश में कांग्रेस को जनादेश नहीं है, कई निर्दलीय और अन्य भाजपा के संपर्क में हैं। कल राज्यपाल महोदया से मिलेंगे।' राकेश सिंह के इस ट्वीट के बाद लगने लगा कि भाजपा फिर से मध्य प्रदेश में सरकार का गठन करेगी।

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और ऐसे बदले सारे समीकरण...

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सूत्रों की मानें तो भाजपा आलाकमान ने चुनाव नतीजों के बाद मध्य प्रदेश में सरकार गठन को लेकर राज्य के प्रभारी नेताओं को फ्री-हैंड दे दिया था। यानी सरकार गठन का फैसला मध्य प्रदेश के प्रभारी नेताओं को करना था। लेकिन... अगले ही दिन भाजपा के रणनीतिकारों ने अपने पैर पीछे खींच लिए। पार्टी ने फैसला किया कि वो सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेगी। राकेश सिंह ने मीडिया के सामने बयान दिया कि चूंकि बहुमत किसी भी दल को नहीं मिला था, इसलिए पहले हम लोगों ने सोचा था कि सरकार बनाने का प्रयास किया जाए, लेकिन अब पार्टी ने विचार किया है कि कुछ बातें आने वाले कल पर ही छोड़ देनी चाहिएं। यह पूरा घटनाक्रम यूंही नहीं बदला था। दरअसल आखिर वक्त पर मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के फैसले से भाजपा के पीछे हटने की एक बड़ी वजह थी।

ये थी वो वजह, जिसके लिए बदला प्लान

ये थी वो वजह, जिसके लिए बदला प्लान

सूत्रों की मानें तो भाजपा के रणनीतिकारों को आशंका थी कि अगर सरकार बनाने के लिए जरूरी सात विधायकों का इंतजाम करने में कोई जोड़-तोड़ या खरीद-फरोख्त हुई तो 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की छवि को लेकर लोगों में गलत संदेश जाएगा। भाजपा को यह भी आशंका थी कि इस तरह से सरकार बनाने की कोशिश से पीएम मोदी और अमित शाह को लेकर नकारात्मक छवि बन सकती है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान हुए घटनाक्रम से सीख लेते हुए भाजपा अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए पार्टी ने निर्णय लिया कि वह विपक्ष में बैठेगी और सरकार बनाने का कोई दावा लेकर राज्यपाल के पास नहीं जाएगी। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि वो अपना इस्तीफा देने राज्यपाल महोदया के पास जा रहे हैं।

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English summary
Madhya Pradesh Election Results 2018 Congress BJP Shivraj Singh Chouhan.
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